अग्निशमन के अधूरे इंतज़ाम

18 मई की सुबह हैदराबाद के ऐतिहासिक चार मीनार स्थल से महज़ 100 मीटर की दूरी पर स्थित गुलजार हाउस की एक इमारत में लगी भीषण आग से आठ बच्चों सहित 17 लोगों की मौत हो गयी। अग्नि विभाग की प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, आग शॉर्ट सर्किट की वजह से 18 मई की सुबह क़रीब 5:30 बजे लगी, जब अधिकांश निवासी सो रहे थे।

ग़ौरतलब है कि गुलजार हाउस हैदराबाद की एक बहुत पुरानी इमारत है और यह हैदराबाद की संकरी गलियों में स्थित है। यह इलाक़ा मोती निर्मित गहनों के कारण दुनिया भर में अपनी एक ख़ास पहचान रखता है। ध्यान देने वाली बात यह है कि यह आग वहाँ कई दशकों से बसे एक परिवार की मोती की दुकान में लगी, जिसका घर दुकान की ऊपर वाली मंज़िल पर था। इस हादसे में मरने वाले 17 सदस्य एक ही परिवार के थे और धुएँ में दम घुटने से उनकी मौत हुई। तेलंगाना राज्य सरकार ने इस आग-दुर्घटना की व्यापक जाँच के लिए छ: सदस्यीय समिति का गठन किया है। देश में रिहायशी भवनों, झुग्गी-झोंपड़ियों, अस्पतालों, स्कूलों, औद्योगिक भवनों में आग लगने की घटनाएँ अक्सर सुनने को मिलती हैं, जिनसे लोगों की जान और माल को ख़तरा होता है।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की दिसंबर, 2023 को प्रकाशित रिपोर्ट ‘एक्सीडेंटल डेथ्स एंड सुसाइड्स इन इंडिया 2022’ के अनुसार, वर्ष 2022 में देश की आग लगने की 7,566 घटनाओं में 7,435 लोगों की जान गयी। इनमें से आधी से अधिक मौतें आवासीय इमारतों और घरों में आग लगने की वजह से हुई हैं। एनसीआरबी के आँकड़े दर्शाते हैं कि देश में आग की दुर्घटनाओं में कमी आयी है और इससे होने वाली मौतें भी 1996 में 27,561 से घटकर 2022 में 7,435 हो गयी हैं; लेकिन अग्नि-सुरक्षा पर काम करने वाले एक नागरिक समूह बियोन्ड कार्लटन का मानना है कि इन आँकड़ों की क्रॉस चेकिंग की ज़रूरत है। बियोन्ड कार्लटन ने 15 फरवरी, 2025 को ‘भारत में अग्नि-सुरक्षा कार्लटन से परे परिप्रेक्ष्य’ नामक एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि बर्न रजिस्ट्री, अस्पताल डाटा और अग्निशमन विभाग जैसे अन्य डाटा स्रोतों का उपयोग करके ही सही डाटा का पता लगाया जा सकता है। रिपोर्ट में अन्य विसंगतियों की ओर भी ध्यान दिलाया गया है। जैसे- मौतों की संख्या की तुलना में घायलों की संख्या बेहद कम लगती है। यही नहीं, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो पुलिस से डेटा एकत्र करता है, न कि अग्निशमन सेवाओं से। भारत सरकार के पास उपलब्ध अग्निशमन केंद्रों और अग्निशमन कर्मियों का नवीनतम डाटा 2018 का है, जो संसाधनों की भारी कमी को दर्शाता है।

दरअसल मानव बस्तियों और औद्योगिक प्रतिष्ठानों आदि में आग की घटनाओं की वजहें हैं- ज़्यादातर रसोई में ईंधन इस्तेमाल में लापरवाही, बिजली से जुड़ी लापरवाही और शॉर्ट सर्किट, धूम्रपान और खुले में आग जलाना, उद्योगों में हानिकारक रसायन और ज्वलनशील पदार्थों का ग़ैर-ज़िम्मेदाराना इस्तेमाल करना और आग से जुड़े सुरक्षा-उपायों को नज़रअंदाज़ करना। यूँ तो राष्ट्रीय भवन संहिता (एनबीसी), 2016 में संरचनाओं के निर्माण, रखरखाव और अग्नि-सुरक्षा के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश शामिल हैं, जिनमें प्रमुख घातक आग के ख़तरे को कम करने वाली डिजाइन और सामग्रियों के संदर्भ में बताया गया है कि दीवारों, छत, अग्नि-निकास आदि में उपयोग की जाने वाली अग्नि-प्रतिरोधी सामग्रियों का इस्तेमाल करना। एनसीबी यह भी सुनिश्चित करती है कि इमारतों में आग लगने की सूरत में सचेत करने और इसे बुझाने से सम्बन्धित प्रौद्योगिकियों को शामिल किया जाए। जैसे-आग का पता लगाने के लिए स्वचालित अलार्म प्रणाली, पानी के छिड़काव के लिए स्वचालित स्प्रे, फायरमैन लिफ्ट, अग्नि-अवरोधक आदि। लेकिन सबसे मुख्य सवाल यह है कि देश में ज़रूरत के अनुपात में अग्निशमन केंद्रों और अग्निशमन कर्मियों की कमी है। इस पर सरकार कब ध्यान देगी? इसके साथ ही एनसीबी के दिशा-निर्देशों पर अमल करने में अक्सर जो उदासीनता नज़र आती है, उस नज़रिये में गंभीरता नज़र आनी चाहिए। अक्सर कार्रवाई करने वाले सरकारी कर्मचारी, अधिकारी अपनी जेबें गर्म करने के चक्कर में अग्नि-सुरक्षा के मानकों का निरीक्षण करने, अग्निशमन सम्बन्धित नियमों, दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करने वालों के प्रति कठोर कार्रवाई करने से बचते हैं। जिस तरह से जलवायु परिवर्तन के कारण धरती अब पहले की अपेक्षा साल-दर-साल अधिक गर्म हो रही है और इंसान की एयरकंडीशनर पर निर्भरता बढ़ती जा रही है, इंसान के व्यवहार में बदलाव की यह प्रक्रिया भी आग लगने की घटनाओं में वृद्धि का एक कारण सामने आया है।

आग की घटनाएँ कम-से-कम हों और उनमें जान-माल की हानि भी बहुत कम हो, इसके लिए चौतरफ़ा अभियान और बेहतर प्रयासों की ज़रूरत है। स्कूलों, दफ़्तरों और रिहायशी इलाक़ों में इससे बचाव, अग्निशमन उपकरणों के इस्तेमाल की जानकारी सम्बन्धित अभियान बराबर चालू रहने चाहिए। अग्निशमन उपकरणों के रखरखाव के प्रति सम्बन्धित विभागों को सचेत रहना, सरकार का अग्निशमन विभागों के आधुनिकीकरण के लिए अधिक वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना। भारत, जहाँ दुनिया की सबसे अधिक आबादी है; शहरीकरण की प्रक्रिया की रफ़्तार बहुत तेज़ है। शहरों में आबादी का घनत्व बढ़ रहा है, ऐसे में सरकार और समाज दोनों को मिलकर ठोस काम करने की ज़रूरत है।