एम्स निदेशक ने कहा कि जब तक देश की बड़ी संख्या में आबादी का टीकाकरण नहीं हो जाता, तब तक कोविड के लिए जरूरी प्रोटोकॉल का पालन करना हर एक के लिए जरूरी है। उन्होंने संक्रमण के मामलों में बड़ी वृद्धि होने पर कड़ी निगरानी और क्षेत्र-विशेष में लॉकडाउन की आवश्यकता पर जोर दिया। गुलेरिया ने एक बार फिर कहा है कि ऐसी कोई संभावना नहीं है कि अगली लहर में बच्चे ज्यादा प्रभावित होंगे।
इससे पहले विशेषज्ञों ने चेताया था कि कोरोना की तीसरी लहर अपरिहार्य है। इसके सितंबर-अक्तूबर से शुरू होने की आशंका है। भारत अप्रैल और मई में कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर से बुरी तरह प्रभावित हुआ था, जिसमें प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोगों की जानें गई थीं और विभिन्न अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी के कारण संकट बढ़ गया था।
वर्तमान में मामले तो नियंत्रण में होते जा रहे हैं, और कुछ दक्षिण के राज्यों तक ही सीमित होता जा रहा है। लेकिन अगर लापरवाही बरती गई तो हालात पिछली दफा से भी ज्यादा घातक हो सकते हैं।
गुलेरिया ने कहा कि देशभर में हर शख्स के टीकाकरण होने तक एक और बड़ी लहर को रोकने के लिए आक्रामक तरीके से काम करने की जरूरत है। कोविड हॉटस्पॉट में आक्रामक निगरानी और संक्रमण के मामलों में अधिक वृद्धि होने पर लॉकडाउन जैसेी सख्ती की जरूरत होगी। किक्षेत्र विशेष में संक्रमण दर पांच प्रतिशत से अधिक होती है तो क्षेत्र में लॉकडाउन और रोकथाम उपायों को लागू किया जाना चाहिए।