धीरे-धीरे दिलचस्प बनते जा रहे उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव में समाजवादी पार्टी इस बार खुद को मजबूत मानकर चल रही है। अब पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने ऐलान किया है कि वे खुद चुनाव नहीं लड़ेंगे। यादव इस समय लोकसभा के सदस्य हैं।
माना जा रहा है कि इस चुनाव में प्रियंका गांधी की सक्रियता और भाजपा के पूरी ताकत झोंक देने से अखिलेश समाजवादी पार्टी के प्रचार में पूरा वक्त देना चाहते हैं।
पिछली बार जब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने थे तब भी वे विधानसभा के सदस्य नहीं थे। उनके पार्टी सदस्यों की मान्यता है कि इस बार यदि पार्टी की सरकार बनती है तो वे विधान परिषद से ही चुने जाएंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चाचा शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी से गठबंधन करने पर उन्होंने सकारात्मक रुख दिखाया। यादव ने कहा कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी से गठबंधन मुश्किल नहीं है।
बता दें, अखिलेश यादव आजकल ‘विजय रथ यात्रा’ निकाल रहे हैं। पार्टी के कार्यकर्ता मान कर चल रहे हैं कि अगली सरकार पार्टी की ही बन रही है। सपा नेता कह रहे हैं कि भाजपा से सिर्फ सपा की टक्कर है और कोई मैदान में नहीं है। हालांकि, जानकार मान रहे हैं कि इस बार उत्तर प्रदेश का चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है। भाजपा ने अभी से पूरी ताकत मैदान में झोंक दी है, जबकि प्रियंका गांधी की सक्रियता प्रदेश में जिस तरीके से दिख रही है और जनता के बीच जैसी उनकी चर्चा चल रही है वह चुनाव को दिलचस्प बनाने के सम्भावना दिखा रही है।
हाल के हफ़्तों में प्रदेश में प्रियंका गांधी की रैलियों को जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। सपा की यात्रा भी भीड़ खींच रही है। प्रियंका गांधी की रविवार की गोरखपुर रैली में जबरदस्त भीड़ दिखी थी। प्रियंका ने जिस तरह योगी सरकार की खिंचाई की उससे पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरा है।
उन्होंने अखिलेश यादव को भी निशाने पर लिया। प्रियंका ने जब यह कि उत्तर प्रदेश में आज कांग्रेस ही मुख्य विपक्षी दल के रूप में दिख रही है। उसी ने सड़कों पर जनता की लड़ाई लड़ी है। जनता ने इसका तालियां बजाकर समर्थन भी किया। प्रियंका राजनीतिक गठबंधन पर भी नजर रखे हुए हैं। रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी से उनकी मुलाकात की चर्चा राजनीतिक गलियारों में है। वैसे रालोद का सपा से गठबंधन हो चुका है। लेकिन कांग्रेस की सक्रियता देखकर रालोद इरादा बदल सकता है।