बीस के करीब महिलाओं, जिनमें ज्यादातर पत्रकार हैं, की तरफ से यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद विदेश राज्यमंत्री के पद से इस्तीफा देने को बाध्य हुए पूर्व संपादक एमजे अकबर ने बुधवार को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में अपना ब्यान दर्ज करवाया। इस मामले की अगली सुनवाई अब १२ नवंबर को होगी।
गौरतलब है कि #मीटू कैंपेन के तहत इन महिलाओं ने अकबर के खिलाफ आरोप लगाए थे। इसके बाद अकबर ने एक पत्रकार प्रिय रमानी के खिलाफ मानहानी का मामला दर्ज किया है। अकबर ने बुधवार को कोर्ट को बताया कि उन्होंने रमानी के १० और १३ अक्टूबर के ट्वीट पर मानहानि का केस किया है। इन ट्वीट्स को कई अखबारों और वेबसाइटों ने छापा था। अकबर ने कहा कि उन्होंने जो आलेख लिखा था, उसमें उनका नाम नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्होंने कुछ नहीं किया था।
अकबर, जो मंत्री पद से इस्तीफा दे चुके हैं और अब भाजपा के सदस्य हैं, ने कोर्ट में अपना बयान दर्ज करते हुए पत्रकारिता करियर और अपने लेखक होने के बारे में बताया। अकबर ने कहा कि बतौर पत्रकार उनका करियर काफी लंबा रहा और वे छोटी आयु में ही संडे गार्जियन के कोलकाता एडिशन के संपादक बन गए थे।
उन्होंने कहा कि उनहोंने डेली टेलिग्राफ से करियर की शुरुआत की और १९९३ में एशियन एज के एडिटर बने। बाद में वे संडे गार्जियन के संपादक बन गए। अकबर ने कहा कि प्रिया रमानि के खिलाफ उन्होंने मानहानि (डिफेमेशन) का केस दर्ज किया क्योंकि उन्होंने उन्हें लेकर ट्ववीट में आरोप लगाए थे।