‘मीडिया जरूरत से ज्यादा दिल्ली केंद्रित है’

Sheila_dikshit

दिल्ली के विधानसभा चुनाव करीब हैं. पिछले पंद्रह साल में आपकी सफलताएं क्या रहीं और कौन-से काम करने अभी बाकी हैं? 
हम इस मामले में भाग्यशाली रहे हैं कि पिछले तीन चुनाव हमने जीते. हमने 15 साल यहां काम किया है, इसलिए हमें उम्मीद है कि जनता सही फैसला करेगी. इस समय हम जनता के ज्यादा से ज्यादा करीब पहुंचने की जी-तोड़ कोशिश कर रहे हैं. हम उन्हें अपने किए गए कामों की जानकारी दे रहे हैं. यह चुनाव आसान नहीं होगा लेकिन हमें अपनी जीत का विश्वास है.

इन सालों में आपकी असफलता क्या रही या किस चीज में आप बदलाव देखना चाहेंगी?
ईश्वर की कृपा से हमारे ऊपर किसी घोटाले का आरोप नहीं लगा है. राष्ट्रकुल खेलों के दौरान थोड़ा-बहुत हल्ला मचा था, लेकिन शुंगलू कमेटी और कैग की जांच में कुछ भी नहीं निकला. इस दौरान हमने तमाम रचनात्मक काम किए हैं. हमें घबराने की जरूरत नहीं है.

हाल के सालों में दिल्ली बड़े जनांदोलनों का गवाह बनी जैसे अरविंद केजरीवाल का आंदोलन. देश के दूसरे हिस्सों में इसकी ज्यादा धमक नहीं थी. इस लिहाज से जनता का गुस्सा दिल्ली सरकार के खिलाफ ही माना जाएगा. आपके घर के सामने भी तमाम विरोध प्रदर्शन हुए.
विरोध मेरे खिलाफ क्यों है? क्योंकि यहां कैमरे वाले इकट्ठा हो जाते हैं. अगर केजरीवाल के 10 लोग यहां इकट्ठा होते हैं तो 50 कैमरे वाले उनके पीछे भीड़ लगा देते हैं. यह कहने के लिए मुझे माफ कीजिएगा पर कैमरे देश के दूसरे हिस्सों में जाते ही नहीं हैं. सारे अखबार, पत्रिकाएं दिल्ली से ही प्रकाशित हो रही हैं, सारे न्यूज चैनल दिल्ली में सिमटे हैं. मीडिया दिल्ली केंद्रित होकर रह गया है. आपको बुरा लग सकता है पर यह सच है. हमंे इसकी आदत पड़ चुकी है.

पर 16 दिसंबर की घटना के बाद भी आपके खिलाफ व्यापक गुस्सा सड़कों पर दिखा था.
मैं जो कर सकती थी मैंने किया. कभी-कभी परिस्थितियां इतनी जटिल हो जाती हैं कि उन्हें सुलझाना आसान नहीं होता. यह सरकार के लिए झटका तो है ही. पर मेरी अंतरात्मा साफ है. मेरी आलोचना हुई जबकि पुलिस मेरे हाथ में नहीं है. मैं अकेली नेता थी जो बाहर निकली और जंतर मंतर पर प्रदर्शनकारियों के बीच गई थी. वहां बड़ी संख्या में केजरीवाल के समर्थक भी मौजूद थे. मैंने सोचा कोई बात नहीं, मैं यहां आई हूं एक मृतक आत्मा को श्रद्धांजलि देने जिसकी मौत एक दुखद और अमानवीय घटना में हो गई है.

अरविंद केजरीवाल ने आपके खिलाफ चुनाव लड़ने का एलान किया है. आप इसे कैसे देखती हैं?
पता नहीं. उन्होंने अपना आंदोलन शुरू किया था भ्रष्टाचार के खिलाफ. उनका दावा था कि उन्हें राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है. और अब उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी बना ली है. अब वे अपने उम्मीदवार भी घोषित कर रहे हैं. देखते हैं आगे क्या होता है.

लोकायुक्त के साथ आपकी तकरार क्यों है? 
सच बात यह है कि भाजपा ने उनसे शिकायत की थी कि मैंने सरकारी पैसे की बर्बादी की है. उन्होंने 2008-09 का एक मामला लिया था. उनका आरोप है कि हमने अपने चुनावों में सरकारी धन का दुरुपयोग किया है. यह बिल्कुल गलत आरोप है क्योंकि जिस समय की बात वे कर रहे हैं उस दौरान आदर्श आचार संहिता लागू थी. हम सरकार में कुछ करने की स्थिति में ही नहीं थे. इसके बावजूद अगर मैंने या किसी और ने चुनाव आचार संहिता के दौरान एक भी कार का इस्तेमाल किया हो तो मैं जेल जाने को तैयार हूं. चुनाव आयोग ने कभी कुछ नहीं कहा. केवल राजनीतिक फायदे के लिए कुछ लोग मामले को तूल दे रहे हैं.

शहर की एक और बड़ी समस्या यमुना की बात करते हैं. क्या यमुना एक्शन प्लान पर आपका कोई वश है? 
नहीं, यमुना पर किसी का कोई अधिकार नहीं है. जापान ने बड़ी मात्रा में इसके लिए धनराशि दी है. यमुना कई राज्यों से होकर बहती है जैसे हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश. लिहाजा किसको किसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाए? यमुना में आने वाली गंदगी का एक बड़ा हिस्सा हरियाणा से आ रहा है. उत्तर प्रदेश का कहना है कि यमुना की गंदगी का एक बड़ा हिस्सा दिल्ली और हरियाणा से आ रहा है. मेरा व्यक्तिगत मत है कि नदियों के बारे में एक संपूर्ण नीति बनाने की जरूरत है. यमुना संकट में है. हमने कुछ इंटरसेप्टर की स्थापना की है. इनकी सहायता से गंदा पानी यमुना में मिलने से पहले साफ कर दिया जाता है. इन्हें शाहदरा, नजफगढ़ और एक सहायक नाले के लिए स्थापित किया गया है. इससे थोड़ा सुधार होगा लेकिन फिर भी मेरा विचार है कि नदियों के लिए हमें एक समग्र नीति की आवश्यकता है. यह समय है जब नदियां राष्ट्रीय चिंता का विषय होनी चाहिए.