कौन प्लस, कौन माइनस?

असल दुनिया से वर्चुअल दुनिया की तरफ भागते इस युग में गूगल प्लस की आमद सोशल नेटवर्किंग साइट की दुनिया को और भी दिलचस्प बना रही है. इसी साल जुलाई में लांच हुए गूगल प्लस से पहले गूगल बज और वेव लेकर आ चुका है और दोनों ही फेसबुक को टक्कर देने में नाकाम रहे थे. मगर इस बार गूगल सोशल नेटवर्किंग के इस महत्वाकांक्षी बाजार में पूरी तैयारी के साथ उतरा है.

गूगल प्लस का सबसे बेहतरीन फीचर है ‘सर्कल’. सर्कल आपसे जुड़े लोगों का वर्गीकरण करने में आपकी मदद करता है यानी आप लोगों को फैमिली, फ्रेंड्स, एक्वेन्टन्स, वर्क नाम के अलग-अलग दायरे में रख सकते है. साथ ही आप अपनी पसंद का सर्कल खुद भी बना कर उसको मनमाफिक नाम दे सकते हैं. इस तरह के वर्गीकरण से आप का स्टेटस या प्लस की भाषा में कहें तो ‘स्ट्रीम’ सिर्फ उन्हीं लोगों से शेयर होगा जिनसे आप चाहते हैं. अगर आप चाहते हैं कि आपके बॉस को आॅनलाइन आपकी फोटो देख कर यह पता न चले कि आपने वीकडे पर देर रात पार्टी की और इस वजह से आॅफिस लेट आए तो फिर गूगल प्लस आपको ही ध्यान में रख कर बनाया गया है. फेसबुक के खिलाफ गूगल का यह टारगेटिड शेयरिंग वाला आइडिया सबसे असरदार हथियार कहा जा रहा है. फेसबुक की तुलना में देखा जाए तो सर्कल आपकी प्राइवेसी को ज्यादा संजोकर रखता है. फेसबुक अब तक इसी मोर्चे पर सबसे ज्यादा कमजोर रहा है. गूगल ने ट्विटर के ‘फॉलो’ फीचर को भी प्लस में शामिल किया है, जिससे आप उन लोगों को यहां फॉलो कर सकते हैं जो आपको नहीं जानते मगर आप उनमें दिलचस्पी रखते हंै और इस तरह आप उनकी पब्लिक स्ट्रीम को देख सकते हैं.

गूगल प्लस वर्चुअल वर्ल्ड का ‘हैंगआउट’ भी लेकर आया है जिसमें आप एक ही स्क्रीन पर एक साथ दस दोस्तों के साथ वीडियो चैट कर सकते हैं. फेसबुक ने भी हाल ही में स्काइप के साथ मिल कर वीडियो चैटिंग की व्यवस्था शुरू की है मगर स्काइप एक से ज्यादा लोगों के साथ वीडियो चैट करने के लिए यूजर से चार्ज करता है जबकि गूगल प्लस में यह सेवा नि:शुल्क है. साथ ही गूगल ने अपने खुद के वेब फोटो एलबम सॉफ्टवेयर पिकासा की मदद से प्लस में फोटो अपलोड करना और उसे देखना फेसबुक से ज्यादा आसान और तेज बना दिया है. स्ट्रीम की तरह फोटो की भी प्राइवेसी का ध्यान रखा गया है. स्पार्क्स नाम का नया फीचर भी है जो गूगल के सर्च इंजन का ही एक रूप है. इसमें आप अपने पसंदीदा विषयों के बारे में जान सकते हैं और पसंद आने पर अपने सर्कल में उसे शेयर कर सकते हैं.

फेसबुक के ‘लाइक’ की तर्ज पर गूगल प्लस ने प्लस वन (+1) को अपनाया है. तकनीकी तौर पर यह ज्यादा उपयोगी है क्योंकि उस पर क्लिक करने से आप का डाटा सीधे गूगल के सर्च में शामिल हो जाता है जिससे उसकी सर्च उपयोगिता बढ़ जाती है. यह अलग बात है कि फेसबुक का लाइक अब लोगों की दिनचर्या का हिस्सा बन गया है और उसको टक्कर देना प्लस वन के लिए बेहद मुश्किल होगा.

फेसबुक और गूगल दोनों ही एक-दूसरे के उत्पादों को टक्कर देने में पीछे नहीं रहते. फेसबुक के माफिया वार और फार्मविला जैसे मशहूर गेम्स को टक्कर देने के लिए गूगल ने प्लस में नया गेम्स सेक्शन जोड़ा है और जहां फेसबुक अपने गेम्स के डेवलपरों से 30 प्रतिशत चार्ज करता है वहीं गूगल फेसबुक का मार्केट कम करने के लिए डेवलपरों से सिर्फ पांच प्रतिशत चार्ज कर रहा है. दूसरी तरफ फेसबुक गूगल प्लस के सर्कल और प्राइवेसी के बढ़े हुए स्तर को टक्कर देने के लिए स्टेटस पोस्ट को गूगल प्लस की ही तर्ज पर पब्लिक, फ्रेंड्स और कस्टम के अंतर्गत वर्गीकरण करके शेयर करने का विकल्प मुहैया करा रहा है. इसके साथ ही आपकी पोस्ट में गूगल की ही तरह आपकी लोकेशन को भी जोड़ रहा है और फोटो टैग करने वाले फीचर में यूजर को ज्यादा प्राइवेसी भी दे रहा है.

नये आइडिया लाने के बावजूद गूगल प्लस के लिए राह आसान नहीं होने वाली क्योंकि किसी भी सोशल नेटवर्किंग साइट की सफलता मुख्यत: ‘मास माइग्रेशन’ पर निर्भर करती है. कितने लोग किसी सोशल साइट से जुड़ेंगे, यह सीधे तौर पर निर्भर करता है कि कितने लोग अभी उस साइट पर हैं. यानी किसी भी सोशल साइट के लिए शुरुआती भीड़ जुटाना सबसे जरूरी होता है. गूगल प्लस के पास सबसे बड़ा फायदा जीमेल के रूप में है जिस पर अकाउंट होने पर आप बाकी के गूगल प्रोडक्टों की तरह सीधे गूगल प्लस का उपयोग कर सकते हैं. जीमेल के इन्हीं 20 करोड़ अकाउंटों की वजह से प्लस ने बाजार में आने के कुछ समय के भीतर ही तकरीबन 2.5 करोड़ यूजर को अपने से जोड़ लिया है. अब इनमें से कितने लगातार प्लस पर सक्रिय रहेंगे यह वक्त के साथ ही पता चलेगा. वहीं दूसरी तरफ फेसबुक के पास आधिकारिक तौर पर 75 करोड़ यूजर हैं जो लगातार सक्रिय रहते हैं.
यह लड़ाई कौन जीतेगा? गूगल प्लस या फेसबुक? यह कहना ठीक वैसी ही जल्दबाजी होगी जैसे टेस्ट मैच शुरू होने से पहले ही विजेता का नाम ट्राॅफी पर लिखना. वैसे सोशल नेटवर्किंग के दीवाने तो इसी बात से खुश हैं कि विशाल इन्फ्रास्ट्रक्चर और नये क्रिएटिव विचारों से लैस दोनों ही कंपनियां उन्हें खुश करने के लिए दिन-रात एक कर रही हैं.