राजनीति के 'मिस्टर क्लीन'

पृथ्वीराज चव्हाण,

उम्र-66,

मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र

इंजीनियरिंग के विद्यार्थी रहे पृथ्वीराज चव्हाण की पॉलिटिकल इंजीनियरिंग में सफलता भविष्य के एक बेहतर राजनीतिक समाज की तरफ इशारा करती दिखती है. अब तक के अपने राजनीतिक सफर में उन्होंने अलग-अलग जिम्मेदारियों को जिस तरह से निभाया है उसे देखते हुए उनसे काफी उम्मीदें जगती हैं. पीएमओ में बतौर राज्यमंत्री रहे चव्हाण विज्ञान और प्रौद्योगिकी, कार्मिक लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय समेत और कई मंत्रालयों में राज्य मंत्री रहने के बाद दो साल से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाले हुए हैं.

विलासराव देशमुख को मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद जब कांग्रेस ने अशोक चव्हाण को महाराष्ट्र का मुखिया बनाया तो उसे यह भरोसा था कि उसने राज्य में नेतृत्व की समस्या हल कर ली है. लेकिन पार्टी हाईकमान ने अभी चैन की सांस ली ही थी कि आदर्श घोटाले में उसके मुख्यमंत्री पर सीधे आरोप लगने लगे. पार्टी की लगातार खराब होती छवि से चिंतित हाईकमान ने साफ-सुथरी छवि के चलते ‘मिस्टर क्लीन ’ के नाम से जाने जाने वाले पृथ्वीराज चव्हाण को प्रदेश की कमान सौंप दी. भ्रष्टाचार के आरोपों से त्रस्त कांग्रेस के लिए विवाद और भ्रष्टाचार से दूर चव्हाण राज्य में पार्टी के लिए संजीवनी साबित हुए.

हालांकि बर्कले शिक्षित एयरोस्पेस इंजीनियर चव्हाण के लिए महाराष्ट्र जैसे जटिल राज्य में बतौर मुखिया काम कर पाना बेहद कठिन था. लेकिन पिछले दो साल में उन्होंने अपने सुलझे व्यक्तित्व तथा साफ-सुथरी और सकारात्मक राजनीति की छाप छोड़ी है. हालांकि भारतीय भाषाओं के कंप्यूटरीकरण में उल्लेखनीय योगदान करने वाले चव्हाण को प्रदेश की जटिल राजनीतिक-प्रशासनिक व्यवस्था को समझने में काफी समय लगा जिसे लेकर उनकी कई हलकों में आलोचना भी हुई. लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने जिस तरह से प्रदेश की राजनीतिक फिजा में घुली सड़ाध का स्रोत तलाशना शुरू किया उसने उन्हें एक नई ऊंचाई प्रदान की. मुंबई विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर एवं वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक सुरेंद्र जोंधाले कहते हैं, ‘उन्होंने मुंबई में व्यापारियों और बिल्डरों की अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाई. इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करना बहुत हिम्मत की बात है क्योंकि इनको हमेशा से राजनीतिक संरक्षण प्राप्त रहा है. नेताओं को ये लोग मोटा चुनावी चंदा देते और बदले में नेता इन्हें संरक्षण.’ कुछ समय बाद जैसे ही एनसीपी प्रमुख शरद पवार के भतीजे और राज्य के उप-मुख्यमंत्री अजीत पवार सिंचाई घोटाले में फंसे, कांग्रेस ने एनसीपी के सामने अपने मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण की स्वच्छ छवि का उदाहरण रखते हुए एनसीपी पर अजीत से इस्तीफा दिलाने का दबाव बनाना शुरू किया. आखिरकार अजीत को झुकना पड़ा.

महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रवक्ता अनंत गाडगिल कहते हैं, ‘चव्हाण ने राज्य प्रशासन को बेहद पारदर्शी और सक्षम बनाया है. उन्होंने राज्य के विकास की दिशा में कई कड़े और सकारात्मक कदम उठाए हैं. कुछ लोग उनकी आलोचना करते हुए कहते हैं कि वे धीरे काम करते हैं. फाइलों पर जल्दी हस्ताक्षर नहीं करते. हकीकत ये है कि वो हर फाइल को बहुत ध्यान से पढ़ते हैं. उनसे आप किसी अनैतिक या अवैध चीज़ पर साइन नहीं करा सकते. जो लोग देरी का आरोप लगाते हैं, उनकी पीड़ा सिर्फ ये है कि मुख्यमंत्री उनकी गलत चीजों पर स्वीकारोक्ति की मोहर नहीं लगाते.’

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई पृथ्वीराज चव्हाण के व्यक्तित्व के एक अलग पहलू पर प्रकाश डालते हुए कहते हैं, ‘पृथ्वी चमक-दमक की राजनीति से बिल्कुल दूर रहते हैं. जिस जगह पूरा बॉलीवुड है, पैसा है, पावर है, वहां के मुखिया का इतना लो प्रोफाइल रहना एक आश्चर्य है और सुखद भी.’ एक और घटना का जिक्र करते हुए वे कहते हैं, ‘ सीएम बनने के बाद जब उनके मुख्यमंत्री निवास में जाने की बात हुई तो उन्होंने पहले इनकार कर दिया. बाद में पता चला कि निवास में बहुतायत में मौजूद सुख-सुविधाओं के साधनों पर उन्हें आपत्ति थी. पहले उन चीजों को वहां से निकाला गया. फिर पृथ्वीराज मुख्यमंत्री आवास में रहने गए.’

महाराष्ट्र की कराड लोकसभा सीट से तीन बार सांसद रह चुके पृथ्वीराज को भले ही महाराष्ट्र की स्थानीय राजनीति का कोई अनुभव न रहा हो लेकिन अपने कार्यकाल में उन्होंने जिस राजनीतिक परिपक्वता का उदाहरण प्रस्तुत किया वह उन्हें स्टेट्समैन के रूप में स्थापित करता है. किदवई कहते हैं, ‘आप देखिए जिस तरह से उन्होंने बाल ठाकरे के मामले को हैंडिल किया वो काफी सराहनीय है. शिवसेना ने शिवाजी पार्क में बाल ठाकरे की अंत्येष्टि की जगह पर मेमोरियल बनाने की मांग करते हुए वहां एक अस्थाई ढांचा खड़ा कर दिया. इसको लेकर राज्य में काफी हो हल्ला मचा. शिवसेना ने वहां से किसी भी कीमत पर ढांचा हटाने से इनकार कर दिया था. बाद में चव्हाण से बातचीत के बाद शिवसेना ढांचा हटाने पर राजी हो गई. जो राजनेता  शिवसेना को कुछ करने या न करने से रोक सकता है, उसकी परिपक्वता और क्षमता का अंदाजा लगाया जा सकता है.’   

-बृजेश सिंह