बगैर भूमिका की कविताएं

पुस्तक: नयी सदी के लिए चयन /पचास कविताएं 

कवयित्री: सविता सिंह 

मूल्य: 65रुपये 

पृष्ठ: 80

प्रकाशन: वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली

वाणी प्रकाशन ने ‘नयी सदी के लिए चयन’ सीरीज में 100 कवियों की 50 प्रतिनिधि कविताओं का संचयन प्रकाशित करने की योजना बनाई है, जिसमें तुलसीदास से लेकर वर्तमान समय में लिख रहे कवियों को शामिल किया गया है. इस योजना के अनुसार हरेक कवि की 50 कविताएं बिना किसी भूमिका के पाठकों तक सीधे पहुंचाने की है. इसी प्रयास के तहत सविता सिंह की पचास प्रतिनिधि कविताओं का संकलन आज हमारे बीच है. 

संकलन की कविताएं, एक लंबी कविता ‘चांद, तीर और अनश्वर स्त्री’ सहित विस्तृत फलक पर विविध अनुभूतियों और संवेदनाओं को अभिव्यक्त करती हैं, जिसका मुख्य स्वर ‘स्त्रीवादी’ है. कवयित्री सविता सिंह अपनी कविताओं के संदर्भ से कविता की उपस्थिति और उसके राजनीतिक संकल्प को ‘कविता का जीवन’ शीर्षक कविता में अभिव्यक्त करती हैं : मुझसे भी जटिल जिंदगी जिएंगी मेरी कविताएं/ सोई रहेंगी कोई सौ साल…/ तब भी उन्हें यह संसार अनुपम ही लगेगा अपनी क्रूरता में / तब भी वे ढूंढ़ेंगी प्रेम और सहिष्णुता ही इस संसार में.  

यह संकलन एक सचेत कवयित्री का संकलन है जो विद्रूपताओं के खिलाफ अपना मैंडेट देती हैं, सुंदर, स्वस्थ मुक्ति के स्वप्न रचती हैं और यथार्थ  की विडंबनाओं से वाकिफ भी है. ‘मुक्ति के फायदे’ और ‘याद रखना नीता’ शीर्षक कविताएं स्त्री मुक्ति के सपने को ‘को-ऑप्ट’ कर लिए जाने के सत्य की ओर इशारा करती हैं, सचेत करती हैं- ‘अच्छा है मुक्त हो रही हैं मिल सकेंगी स्वच्छंद संभोग के लिए अब/ एक समय जैसे मुक्त हुआ था श्रम पूंजी के लिए (मुक्ति के फायदे) तथा ‘याद रखना नीता/ एक कामयाब आदमी सावधानी से चुनता है अपनी स्त्रियां/ बड़ी आंखों सुन्दर बांहों लम्बे बालों सुडौल स्तनों वाली प्रेमिकाएं / चुपचाप घिस जाने वाली सदा घबराई धंसी आंखों वाली मेहनती/ कम बोलने वाली पत्नियां (याद रखना नीता). संकलन की ‘मुश्ताक मियां की दौड़’ कविता जैसी कविताएं सांप्रदायिकता और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद द्वारा पोषित क्रूरता को संबोधित करती हैं तो ‘जहाँ मेरा देश था’ कविता नवसाम्राज्यवाद के प्रति आगाह करती है. सविता सिंह ने हिंदी कविता को पिछले 10 साल में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, स्त्रीवादी स्वर और सौंदर्य शास्त्र के साथ.  

-संजीव चंदन