चित्र कथा : दर्द के निशां

atali 1

13 साल का अमान अली हिंसा के समय भागते हुए अपनी कुछ किताबें साथ ले गया था. वापस आकर अपनी बची हुई किताबों और स्कूल बैग को जला हुआ देखकर वो दुखी हो गया. अमान पिछले कई हफ्तों से स्कूल नहीं गया 


ATAALI 2

75 साल के अब्दुल हफीज आगजनी में जलाई गई अपनी धार्मिक किताबों के अवशेष के साथ. वो बताते हैं कि विवादित मस्जिद स्थल के सामने बना उनका घर हिंसा का सबसे अधिक शिकार हुआ है. मस्जिद के निर्माण को मॉनीटर करने के लिए लगा हुआ सीसीटीवी कैमरा हफीज के घर से ही संचालित होता था, उसकी हार्ड डिस्क को काफी नुकसान पहुंचा है


ataali 3

विवादित मस्जिद स्थल पर नमाज पढ़ते लोग. हिंसा के दौरान टूटी बाहरी दीवार की मरम्मत प्रशासन द्वारा करवाई गई है.


ataali 4

आस मोहम्मद प्राइवेट नौकरी करते हैं, और उन्होंने वापस नौकरी पर जाना शुरू कर दिया है वहीं उनकी पत्नी घर की देखरेख कर रही हैं. दंगे में उनके मात्र एक कमरे के घर से कुछ कीमती सामान और पैसे लूट लिए गए. उनके चार बच्चे अभी तक रिश्तेदार के घर से वापस गांव नहीं लौटे हैं


ataali 5

नगमा बताती हैं कि उनकी 6 महीने की बेटी को गुस्साई भीड़ ने आग में फेंक दिया था पर उनके पड़ोसियों ने बच्ची को बचा लिया. नगमा अपने पति शेरदिल और तीन बच्चों के साथ रहती हैं. हिंसा से बच्चे इतने डर गए हैं कि उन्होंने घर लौटने से ही मना कर दिया है


ataali 6

25 साल के युसूफ की हाल ही में शादी हुई थी. वो बताते हैं कि घर में जलाया हुआ सब समान और फर्नीचर बिलकुल नया था. उनकी पत्नी इतनी डर गईं हैं कि उन्होंने गांव लौटने से ही मना कर दिया है. युसूफ एक प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं और उन्हें डर है कि बिना किसी सूचना के इतने दिनों तक काम पर न जाने के कारण उनकी नौकरी न चली जाए


ataali 7

ऑटो ड्राइवर रईसुद्दीन रोते हुए कहते हैं, ‘उनका घर पूरी तरह बर्बाद हो गया है. ये मरम्मत से परे है, हमें इसे फिर से बनाना होगा.’ वो अपना काम फिर से शुरू भी नहीं कर सके हैं. तनाव के डर से वो अब तक अपनी पत्नी और बच्चों को गांव ले कर नहीं आए हैं.


ataaali 7

बेवा नन्नो अपने एक कमरे के छोटे से घर में. वो अपने इकलौते बेटे के साथ रहती हैं जिसकी शादी दिसंबर में होनी है. जो थोड़ा-बहुत फर्नीचर उनके पास था और जो भी पैसा उन्होंने बेटे की शादी के लिए बचाया था वो सब दंगे में बर्बाद हो गया