इस महाविलय में बिखराव के और भी पुख्ता संकेत मिल रहे हैं. महाविलय से बिखराव के रास्ते तैयार हो रहे हैं. उत्तरप्रदेश से मायावती को लिए बिना और बिहार से जीतन राम मांझी को लिए बिना आप सामाजिक न्याय की राजनीतिक लड़ाई का अध्याय पूरा नहीं कर सकते. मेरी राय है महाविलय की इस बेला में महाबिखराव के सबसे स्वर्णिम दिन हैं और अब ऐसे में अगर इसका फायदा भाजपा या एनडीए के नेता अगले विधानसभा चुनाव में नहीं उठा पाते हैं तो यह उनकी अपनी नाकामी होगी, उनके नेतृत्व की नाकामी होगी.
(निराला से बातचीत पर आधारित)