डालमिया को मुकुट और श्रीनिवासन को राज

बाजीगर: हार कर जीतनेवाले बाजीगर साबित हुए हैं जगमोहन डालमिया
बाजीगर: हार कर जीतनेवाले बाजीगर साबित हुए हैं जगमोहन डालमिया

साल 2006 में पिलकॉम खातों की हेराफेरी से जुड़े विवाद के बाद जगमोहन डालमिया बीसीसीआई से विदा हो गए. उस वक्त ज्यादातर लोगों की सोच थी कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड में डालमिया का वक्त खत्म हो चुका है. पूर्व बीसीसीआई और आईसीसी अध्यक्ष ने एक दशक के बाद फिर से अध्यक्ष के तौर पर बोर्ड में जबर्दस्त वापसी की है. हालांकि डालमिया की यह वापसी लंबे समय से चल रही बीसीसीआई की जटिल राजनीति को और ज्यादा उलझाने के लिए काफी है और बोर्ड की इस राजनीति को डालमिया से बेहतर शायद ही किसी ने अनुभव किया हो.

चयन के बाद 74 वर्षीय डालमिया ने अपने आलोचकों पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘जिन लोगों ने मुझे क्रिकेट बोर्ड से बाहर का रास्ता दिखाया था आज मेरे लिए खुशी से तालियां बजा रहे हैं.’ इस बात को अभी ज्यादा अरसा नहीं हुआ है जब शरद पवार, एन श्रीनिवासन, आईएस बिंद्रा, शशांक मनोहर, एसी मुथैया और ललित मोदी ने डालमिया को बाहर करने के लिए हाथ मिलाया था.

क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार के सचिव आदित्य वर्मा ने श्रीनिवासन के बोर्ड से बाहर होने पर अपनी खुशी जाहिर की. तहलका से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘भारतीय क्रिकेट की बेहतरी के लिए लंबे समय से मैंने श्रीनिवासन को हटाने के लिए संघर्ष किया है. आखिरकार यह संभव हो सका और मेरे प्रयासों को सफलता मिली. मैं चाहता था कि शरद पवार और डालमिया एक साथ आएं और मुझे खुशी है कि ऐसा हो सका. डालमिया एक कुशल प्रशासक हैं और भारतीय क्रिकेट से वर्षों से जुड़े रहे हैं. मुझे उम्मीद है कि तीन साल के उनके कार्यकाल में भारतीय क्रिकेट नई ऊंचाइयों को छुएगा और बिहार के खिलाड़ियों को उनका समुचित हक मिल सकेगा.’

डालमिया की परिकथाओं-सी वापसी की शुरुआत 2007 में हुई थी, जब उन्होंने बॉम्बे उच्च न्यायालय के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. वहां से आरोपमुक्त होने के बाद जगमोहन डालमिया को क्रिकेट प्रशासक के तौर पर दुबारा एक नई जिंदगी मिली. इस फैसले ने बीसीसीआई में देर-सबेर ही सही उनकी वापसी के रास्ते खोल दिए थे. इसके बाद कलकत्ता उच्च न्यायालय ने भी डालमिया के खिलाफ लगे सभी आरोप निरस्त कर दिए. साल 2008 में डालमिया ने  क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा. इस चुनाव में उन्होंने कोलकाता के पुलिस कमिश्नर प्रसून मुखर्जी को हराया. इस जीत ने यह साबित कर दिया कि डालमिया अपनी रणनीतिक चालों के दम पर आगे भी टिके रहनेवाले हैं.

इसके कुछ साल बाद 2013 में जब आईपीएल6 में स्पॉट फिक्सिंग विवाद उठा, तब उंगली तत्कालीन बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन और उनके दामाद गुरुनाथ मयप्पन पर भी उठी. ऐसे समय में डालमिया तारणहार के तौर पर उभरे. चार महीने के लिए उन्हें अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया. कह सकते हैं कि डालमिया ने बेहतरीन वापसी की.

सर्वोच्च न्यायालय ने एन श्रीनिवासन के बीसीसीआई अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी. लिहाजा डालमिया का नाम रेस में सबसे ऊपर आ गया क्योंकि इस बार बीसीसीआई अध्यक्ष पद के लिए नामित करने की बारी ईस्ट जोन की थी. मीडिया में ऐसी खबरें भी थीं कि एनसीपी नेता और बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष शरद पवार भी अध्यक्ष पद के लिए किस्मत आजमाना चाहते थे लेकिन उनके पास संख्या बल नहीं था इसलिए उन्होंने पीछे हटना ठीक समझा. पवार के दौड़ से बाहर होते ही डालमिया के लिए रास्ता पूरी तरह साफ हो गया.

बीसीसीआई मामलों के जानकार और क्रिकेट लेखक वी श्रीवास्तव ने तहलका को बताया, ‘74 साल की उम्र में डालमिया के पास बीसीसीआई में बदलाव के लिए कौन सी प्रेरणा और योजना होगी.   बीसीसीआई की कार्यप्रणाली पर सर्वोच्च न्यायालय ने नाराजगी जाहिर की है. ऐसे में क्या डालमिया सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को मानते हुए भारतीय क्रिकेट का बेड़ा पार कर सकेंगे?’

श्रीनिवासन के पुराने वफादार लगभग सभी महत्वपूर्ण पदों पर जीत दर्ज करने में सफल रहे. बोर्ड के पदाधिकारियों पर उनकी पकड़ कितनी मजबूत है, इससे समझा जा सकता है कि पांच में से चार पदों पर श्रीनिवासन खेमे के उम्मीदवार सफल रहे. शरद पवार का सचिव पद के लिए भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर का समर्थन श्रीनिवासन के लिए तगड़ा झटका रहा. अनुराग ठाकुर ने संजय पटेल को हराया. ठाकुर ने यह सफलता भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय शाह के सहयोग से हासिल की. तहलका को सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि अमित शाह ने विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों को अनुराग ठाकुर की जीत सुनिश्चित कराने की खास हिदायत दी थी. भाजपा के लोगों में झारखंड क्रिकेट एसोसिएशन के अमिताभ चौधरी संयुक्त सचिव और तेलंगाना स्टेट क्रिकेट

एसोसिएशन के जी गंगाराजू उपाध्यक्ष (दक्षिण क्षेत्र) पद पर विजयी रहे.

सर्वोच्च न्यायालय ने भी बोर्ड की कार्यप्रणाली और पारदर्शिता के अभाव पर सवाल उठाए हैं. इन गंभीर चुनौतियों से डालमिया कैसे निपटेंगे, इस पर सबकी निगाहें टिकी हैं. राष्ट्रीय चयनकर्ता अशोक मल्होत्रा ने तहलका से कहा, ‘डालमिया की वापसी सकारात्मक संदेश है. बीसीसीआई विश्व का सर्वाधिक धनी बोर्ड है, उसे यहां पहुंचाने में डालमिया की बड़ी भूमिका है

(विजय ग्रोवर के सहयोग के साथ)

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