बिक रहे हैं आईपीएल पास?

लोकप्रिय क्रिकेट टूर्नामेंट का एक और काला सच

इसमें कोई संदेह नहीं कि आईपीएल ने क्रिकेट को लोकप्रियता के नये शिखर पर पहुँचाया है; लेकिन परदे के पीछे इस खेल का एक काला चेहरा भी है। आईपीएल में सट्टे, मैच फिक्सिंग के बाद अब इसके टिकटों की कालाबाज़ारी और मुफ़्त में मिलने वाले मैच-पास बेचने की बात सामने आयी है। तहलका एसआईटी ने इसकी तह में जाकर इसका कच्चा चिट्ठा खोला है। पढि़ए इस रिपोर्ट में :-

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) यक़ीनन दुनिया की सबसे प्रसिद्ध टी20 लीग है। हालाँकि यह हमेशा क्रिकेट से ज़्यादा विवादों के कारण ज़्यादा चर्चा में रही है। सन् 2008 में इसकी स्थापना के बाद से ही, इसे लेकर ख़ूब हंगामे हुए हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि क्रिकेट व्यापार का केंद्र बन चुका है, विवादों ने जाने-अनजाने आईपीएल को लोकप्रियता की लम्बी छलांग लगाने में मदद की है।

स्पॉट फिक्सिंग से लेकर खिलाडिय़ों पर प्रतिबंध, फ्रैंचाइजी का निलंबन, ललित मोदी को आईपीएल अध्यक्ष पद से बर्ख़ास्त करना, लीग में काले धन की संलिप्तता आदि कुछ ऐसे बड़े विवाद हैं, जिन्होंने बीते वर्षों में आईपीएल प्रेमियों को हिलाकर रख दिया है।

अब कॉम्प्लिमेंट्री पास, जिस पर साफ़ लिखा है- ‘नॉट फॉर सेल’ (बिक्री के लिए नहीं)। बावजूद इसके दलाल इस मुफ़्त पास की कालाबाज़ारी करके बिक्री कर रहे हैं, जो कि आईपीएल घोटाले का एक नया स्वरूप है। विभिन्न शहरों से ख़बरें आ रही हैं कि आईपीएल पास की कालाबाज़ारी करने वाले और दलाल ख़ूब चाँदी काट रहे हैं। हाई प्रोफाइल मैचों के टिकट ब्लैक में बेचे जा रहे हैं। मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक, पिछले आईपीएल के संस्करणों में 500 रुपये का टिकट 3,000 रुपये से 7,000 रुपये में बिका है। इसी तरह पिछले आईपीएल के फाइनल के टिकट 3,000 रुपये से 2,00,000 रुपये तक में बिके।

कालाबाज़ारी करने वालों ने होटलों, रेलवे स्टेशनों और स्टेडियम के निकट की कॉलोनियों में भी फ़र्ज़ी टिकट बेचने शुरू कर दिये हैं। हाल के दिनों में विभिन्न शहरों की पुलिस ने कालाबाज़ारी करने वालों, आईपीएल मैचों के नक़ली टिकट बेचने वाले दलालों को गिरफ़्तार किया है। अप्रैल, 2023 में जब आईपीएल का 16वाँ सीजन चल रहा है, दिल्ली में सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट पुलिस ने आईपीएल मैचों के लिए नक़ली टिकट छापने वाले एक रैकेट का भंडाफोड़ किया है। इसके साथ ही पुलिस ने तीन नाबालिग़ समेत पाँच लोगों को गिरफ़्तार किया है। भारत के विभिन्न शहरों में इन तमाम गिरफ़्तारियों के बावजूद आईपीएल के फ़र्ज़ी और टिकटों की कालाबाज़ारी बदस्तूर जारी है।

कालाबाज़ारी और फ़र्ज़ी टिकटों के कारोबार की तो क्या ही कहें, ‘नॉट फॉर सेल’ (बिक्री के लिए नहीं) चेतावनी वाले आईपीएल के मुफ़्त पास भी बाज़ार में दलाल 15,000 रुपये प्रति पास के हिसाब से बेच रहे हैं। दिल्ली पुलिस ने 2010 में दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान एक महिला सहित दो लोगों को ‘मुफ़्त पास’ ब्लैक में बेचने के आरोप में गिरफ़्तार किया था। महिला पर एथलेटिक्स के 50 ऐसे मुफ़्त पास (टिकट) ब्लैक में बेचने का आरोप है।

नक़ली आईपीएल टिकटों, असली टिकटों की कालाबाज़ारी, और ‘बिक्री के लिए नहीं’ लिखे मुफ़्त आईपीएल पास बेचने की इन सभी ख़बरों के बाद ‘तहलका’ को इस कारोबार की जाँच करने के लिए मजबूर होना पड़ा। सूत्रों के मुताबिक, यह एक और आईपीएल घोटाला है, जो धड़ल्ले से चल रहा है। इस लीग में ‘तहलका’ के पत्रकार ने दिल्ली में मुकुल गुप्ता से मुलाक़ात की, जो वर्षों से हरियाणा के फ़रीदाबाद में अपनी क्रिकेट अकादमी चला रहा है। मुकुल दिल्ली के अरुण जेटली स्टेडियम, फ़िरोज़शाह कोटला मैदान में होने वाले 2023 के आईपीएल मैचों के ‘बिक्री के लिए नहीं’ मुफ़्त के पास 15,000 रुपये प्रति पास की निश्चित क़ीमत पर बेच रहा है।

मुकुल के मुताबिक, वह जो कॉम्प्लिमेंट्री पास बेच रहा है, वो दिल्ली ज़िला क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) मेंबर्स के हैं; जो दिल्ली में क्रिकेट गतिविधियों का आधिकारिक निकाय है। मुकुल का दावा है कि वह डीडीसीए के उन मेंबर्स से कॉम्प्लिमेंट्री पास ख़रीद रहे हैं, जिन्हें उनकी एसोसिएशन से ये पास मिलते हैं। मुकुल 20 अप्रैल, 2023 को दिल्ली में खेले जाने वाले दिल्ली कैपिटल्स और कोलकाता नाइट राइडर्स के बीच मैच के कॉम्प्लिमेंट्री पास, जो ‘बिक्री के लिए नहीं’ हैं; बेचने के लिए हमसे मिलने आया। इस भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए मैच देखने का शौक़ीन बताकर हमने ख़ुद को कॉम्प्लिमेंट्री पास ख़रीदार (काल्पनिक) के रूप में पेश किया।

मुकुल : एक्चुअली कॉम्प्लिमेंट्री, जिनसे हमको मिलता है ना! उनसे भी हम पैसा देकर ही लेते हैं, …क्योंकि मेंबर मैं हूँ नहीं…।

रिपोर्टर : ये तो प्लेयर्स के होते होंगे…?

मुकुल : नहीं, नहीं; …प्लेयर्स के नहीं, मेंबर्स के।

रिपोर्टर : जो डीडीसीए के मेंबर्स हैं…?

मुकुल : हाँ; उन्हीं को मिलते हैं। बाक़ी किसी को नहीं मिलते कॉम्प्लिमेंट्री पास…।

रिपोर्टर : डीडीसीए के मेंबर्स को मिलते हैं…?

मुकुल : ओनली मेंबर्स।

रिपोर्टर : ये जो तू मुझे कॉम्प्लिमेंट्री पास दे रहा है, ये डीडीसीए वालों का है?

मुकुल : हाँ; डीडीसीए वालों का…।

रिपोर्टर : इस पर लिखा है- ‘बिक्री के लिए नहीं’

मुकुल : एग्क्जैक्टली (बिलकुल सही)।

रिपोर्टर : तो भाई पैसे कम ले ले…?

मुकुल : फिर वही, बच्चों वाली बात मत करो मेरे से…।

मुकुल ये ‘बिक्री के लिए नहीं’ वाले आईपीएल पास (टिकट) 15,000 रुपये प्रति पास की निश्चित क़ीमत पर बेच रहा था। जब हमने उसे छूट देने के लिए कहा, तो वह कहता है कि वह पैसे अपने पास नहीं रख रहा है, बल्कि अपने अन्य सहयोगी सदस्यों को दे रहा है।

रिपोर्टर : भाई 15 के (हज़ार) से कम करवा दियो, …इस बार ज़्यादा ले रहा है।

मुकुल : भैया! मैं नहीं ले रहा, …आपको मैंने पहले ही बता दिया …ये तो बस देने हैं, आगे किसी को।

रिपोर्टर : तेरा कुछ नहीं इसमें…?

मुकुल : अपना कुछ नहीं है…।

रिपोर्टर : तू फ़रीदाबाद से चलकर पास देने आ रहा है, …तेरा कुछ नहीं है?

मुकुल : एक मिलना भी तो होता है…।

रिपोर्टर : हाँ; मिलना है, तो यू आर ऑलवेज वेलकम…।

यह जानने के बावजूद कि यह कॉम्प्लिमेंट्री आईपीएल पास ‘बिक्री के लिए नहीं’ हैं, मुकुल प्रति पास 15,000 रुपये में बेच रहा था। उसने पत्रकारों से कहा कि वह उन्हें नहीं बेच रहा है, बल्कि हमें प्रेम स्वरूप देने आया है। जब हमने उससे कहा कि यह पास तो बिक्री के लिए नहीं है, तो उसने कहा कि वह हमसे प्रेमवश मिलने आया है।

रिपोर्टर : कॉम्प्लिमेंट्री पास ‘नॉट फॉर सेल’, इस पर लिखा हुआ है भाई साहब…।

मुकुल : हाँ; तो सेल थोड़ी न कर रहा हूँ…।

रिपोर्टर : फिर क्या कर रहा है…?

मुकुल : मैं तो आपको देने आया हूँ मोहब्बत में…।

रिपोर्टर : इसको पैसे मत दो…, फिर…।

मुकुल : देने आया हूँ मोहब्बत में…।

रिपोर्टर : थोड़े तो कम कर दे भाई…।

20 अप्रैल के मैच से पहले मुकुल ने हमें 4 अप्रैल, 2023 को दिल्ली में दिल्ली कैपिटल्स और गुज़रात टाइटंस और 11 अप्रैल, 2023 को दिल्ली कैपिटल्स और मुंबई इंडियंस के बीच हुए मैचों के ‘बिक्री के लिए नहीं’ वाले आईपीएल पास की पेशकश की। लेकिन हमने इसे ख़रीदने से मना कर दिया। लेकिन उसने हमारा पीछा करना जारी रखा और 20 अप्रैल के मैच पास की पेशकश की, जो दिल्ली में तीसरा आईपीएल मैच था। हमने उससे मिलने का फ़ैसला किया। बैठक में मुकुल ने हमें आश्वासन दिया कि वह हमें भविष्य के मैचों के लिए आईपीएल कॉम्प्लिमेंट्री पास भी पैसे के लिए प्रदान करेगा।

रिपोर्टर : अच्छा, ये कौन-सा मैच है दिल्ली में?

मुकुल : फोर्थ मैच है…।

रिपोर्टर : थर्ड मैच है, …तीसरा; एक तो तू 7 को दे रहा था मुझे…।

मुकुल : हाँ।

रिपोर्टर : 7 अप्रैल, 2023 का दे रहा था मुझे, ऑफर किया था मुझे…, एक 11 का… और अब 20 का…, तीसरा मैच है ये दिल्ली का…, 2023 अप्रैल…। आगे मैचिज का सीन क्या है पासिज का…?

मुकुल : जैसे-जैसे आएगी, मैं बता दूँगा…।

रिपोर्टर : वही कॉम्प्लिमेंट्री होंगे न वो…‘नॉट फॉर सेल’?

मुकुल : हाँ।

रिपोर्टर : कितना रेट?

मुकुल : देखते हैं।

मुकुल के भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए और यह साबित करने के लिए कि वह डींग नहीं मार रहा है, बल्कि वास्तव में ‘बिक्री के लिए नहीं’ वाले आईपीएल पास बेच रहा है। हमने मुकुल से 14,000 रुपये में दिल्ली में आयोजित 20 अप्रैल, 2023 के मैच का एक आईपीएल ‘बिक्री के लिए नहीं’ वाला पास ख़रीदा। इस एक पास के लिए 15,000 रुपये की उसकी अपनी मूल माँग से 1,000 रुपये कम में।

रिपोर्टर : पूरे 14 हज़ार हो गये ये आईपीएल के पास के (मुकुल ने कैमरे के सामने पैसे लिए)।

मुकुल : हाँ, हाँ; आईपीएल के पास के नहीं, …मोहब्बत के।

‘तहलका’ ने आईपीएल में उभर रहे इस भ्रष्टाचार को साबित करने और अपनी रिपोर्ट के लिए यह ‘नॉट फॉर सेल’ आईपीएल पास ख़रीदा। ख़रीदे गये फ्री पास का उपयोग नहीं किया गया। फ्री पास ख़रीदने का मक़सद मैच देखना नहीं, बल्कि दलालों को उजागर करने के लिए था। बता दें कि सन् 2011 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने डीडीसीए को फ़िरोज़शाह कोटला स्टेडियम में खेले जाने वाले चार विश्व कप क्रिकेट मैचों में से प्रत्येक के लिए 10,000 से अधिक कॉम्प्लिमेंट्री पास जारी नहीं करने का निर्देश दिया था।

न्यायालय ने डीडीसीए मेंबर द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया, जिन्होंने कॉम्प्लिमेंट्री पास जारी करने में संघ की कार्यकारी समिति के ‘मनमाने तरीक़े’ को चुनौती दी थी और इस तरह की पास जारी करने की एक सीमा तय करने की माँग की थी। जिस तरह से नक़ली आईपीएल टिकट और ‘बिक्री के लिए नहीं’ वाले आईपीएल पास वर्षों से भारत के सभी आईपीएल स्थलों पर कालाबाज़ारी करते हुए मुकुल जैसे दलालों द्वारा बेचे जाते हैं। क्रिकेट प्रेमी मानने लगे हैं कि यह एक और आईपीएल घोटाला है। लेकिन इसे पहली बार ‘तहलका’ ने कैमरे में क़ैद करके उजागर किया है।

आईपीएल से जुड़े विवाद

आईपीएल के कॉम्प्लिमेंट्री पास की अवैध बिक्री पर ‘तहलका’ के इस ख़ुलासे से पहले भी इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) क्रिकेट 2008 में अपनी स्थापना के बाद से ही कई विवादों से घिरा रहा है। यहाँ हम आईपीएल के इतिहास के सबसे बड़े विवादों की सूची दे रहे हैं :-

श्रीनिवासन का बेटा सट्टेबाज़ी में गिरफ़्तार : चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके) के शीर्ष अधिकारी और बीसीसीआई के तत्कालीन अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन के दामाद और क्रिकेट के शौक़ीन गुरुनाथ मयप्पन को आईपीएल के 2013 के संस्करण में सट्टेबाज़ी में कथित संलिप्तता के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था। जाँच के दौरान राजस्थान रॉयल्स के मालिक राज कुंद्रा ने भी सट्टेबाज़ी की बात क़ुबूल की। दोनों फ्रेंचाइजी को टूर्नामेंट से दो साल (2016 और 2017 सीजन) के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था।

टॉवल काण्ड : सन् 2013 में दिल्ली पुलिस ने स्पॉट फिक्सिंग के लिए राजस्थान रॉयल्स के तीन खिलाडिय़ों- एस. श्रीसंत, अजीत चंदिला और अंकित चव्हाण को गिरफ़्तार किया। श्रीसंत ने एक ओवर में 13 रन देने से पहले, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर 14 रन देने का वादा किया था; सट्टेबाज़ों के लिए संकेत के रूप में एक टॉवल का इस्तेमाल किया।

रवींद्र जडेजा पर प्रतिबंध : रवींद्र जडेजा, जो वर्तमान में देश के प्रमुख ऑलराउंडरों में से एक हैं; को सन् 2010 में आईपीएल में खेलने से प्रतिबंधित कर दिया गया था, क्योंकि उन्होंने अपनी टीम राजस्थान रॉयल्स को सूचित किये बिना एक अन्य फ्रेंचाइजी (कथित रूप से मुंबई इंडियंस) के साथ एक नये अनुबंध पर हस्ताक्षर करने की कोशिश की थी, जिसकी तरफ़ से उन्होंने पहला सीजन खेला था।

श्रीलंकाई खिलाडिय़ों को नहीं खेलने दिया: एक सीजन में तब बड़ा विवाद खड़ा हो गया था, जब तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता, जो प्रधानमंत्री पद पर नज़र गड़ाये हुए थीं; ने चेन्नई में खेले जाने वाले आईपीएल मैचों में श्रीलंका के खिलाडिय़ों से मिलने से मना कर दिया था। यह विवादित क़दम श्रीलंकाई तमिलों के मुद्दे के जवाब में उठाया गया था, जो तमिल राजनीति पर हमेशा हावी रहा है। हालाँकि आश्चर्यजनक बात यह थी कि सर्व-शक्तिशाली आईपीएल गवर्निंग काउंसिल को इस फ़ैसले पर सहमत होना पड़ा। कुमारा संगकारा और महेला जयवर्धने जैसे दिग्गजों सहित कुल 13 श्रीलंकाई खिलाडिय़ों को सुरक्षा चिन्ताओं का हवाला देते हुए चेन्नई में खेलने की अनुमति नहीं दी गयी।

राहुल शर्मा, पार्नेल पर ड्रग का दाग़: पुणे वारियर्स, जो अब एक निष्क्रिय फ्रेंचाइजी है; के दो खिलाड़ी राहुल शर्मा और वेन पार्नेल को 2012 में मुंबई में एक रेव पार्टी में ड्रग्स लेने के आरोप में हिरासत में लिया गया था। क्रिकेटर्स, जो फ़िल्म और टीवी उद्योग की कई अन्य प्रसिद्ध हस्तियों के साथ पाये गये थे; को हिरासत में लिया गया। लेकिन मादक परीक्षणों से गुज़रने के बाद उन्हें छोड़ दिया गया।

पाकिस्तान की खिलाडिय़ों पर रोक : नवंबर, 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमलों की पृष्ठभूमि में पाकिस्तान सरकार ने अपने खिलाडिय़ों के अगले साल होने वाले आईपीएल के लिए भारत की यात्रा करना असुरक्षित माना। शाहिद अफ़रीदी, शोएब अख़्तर, यूनुस ख़ान, शोएब मलिक, सोहेल तनवीर और उमर गुल जैसे शीर्ष खिलाड़ी, जो विभिन्न फ्रेंचाइजी के लिए खेल रहे थे; को अन्य के साथ अनुमति नहीं दी गयी थी।

जब ललित मोदी हुए निलंबित : वित्तीय गड़बड़ी के आरोप सामने आने के बाद 2010 में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने आईपीएल के संस्थापक और अध्यक्ष ललित मोदी को उनके पद से निलंबित कर दिया था।

चीयरलीडर का ख़ुलासा : दक्षिण अफ्रीका की गैब्रिएला पासक्वालोटो, जो मुम्बई इंडियंस (एमआई) की चीयरलीडर थीं; के मैच के बाद की पार्टियों में क्रिकेटरों के संदिग्ध आचरण के बारे में ब्लॉग लिखने के बाद आईपीएल के चौथे संस्करण में काफ़ी हलचल मच गयी। उन्हें आईपीएल द्वारा चीयरलीडर के रूप में उनकी भूमिका से बर्ख़ास्त कर दिया गया था; लेकिन इससे विवाद कम नहीं हुआ।

केकेआर ने सौरव गांगुली को हटाया : आईपीएल के चौथे सीजन में केकेआर ने सौरव गांगुली का आधार मूल्य कथित तौर पर 2,00,000 डॉलर (लगभग 9 मिलियन रुपये) से बढ़ाकर 4,00,000 डॉलर (18 मिलियन रुपये) होने के बाद उन्हें टीम से हटा दिया। इस खब्बू बल्लेबाज़ को बाद में पुणे वारियर्स ने अंतिम समय में घायल आशीष नेहरा के स्थानापन्न के रूप में ख़रीद लिया। लेकिन केकेआर के उन्हें हटाने के बाद गांगुली का आईपीएल करियर लगभग समाप्त ही हो गया था। हालाँकि ‘प्रिंस ऑफ कोलकाता’ के नाम से मशहूर गांगुली बाद में बीसीसीआई के अध्यक्ष बने।

कोच्चि टस्कर्स का अनुबंध समाप्त: इस फ्रैंचाइजी ने 2011 में अपनी शुरुआत की थी; लेकिन उसी वर्ष 26 मार्च, 2015 की निर्धारित तिथि तक अपनी बैंक गारंटी प्रस्तुत करने में विफल रहने के कारण इसे समाप्त कर दिया गया था। टीम ने मध्यस्थता की चुनौती में विजय हासिल की, जिसके मुताबिक बीसीसीआई को 18 प्रतिशत वार्षिक ज़ुर्माने के साथ मुआवज़े के रूप में 550 करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया गया था। यह मामला तबसे अनसुलझा ही है।

शाहरुख़ के लिए स्टेडियम के दरवाज़े बंद: बॉलीवुड स्टार और केकेआर के सह-मालिक मुंबई इंडियंस पर अपनी टीम की जीत के बाद मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में सुरक्षा गार्ड के साथ विवाद में उलझे थे। ख़ान पर आरोप लगा कि वह खेल समाप्त होने के बाद मैदान में पहुँचे और अधिकारियों को गाली दी। मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन ने ख़ान पर पाँच साल के लिए स्टेडियम में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगा दिया था; लेकिन 2015 में इसे रद्द कर दिया।

डेक्कन चार्जर्स का अनुबंध समाप्त: आईपीएल फ्रेंचाइजी डेक्कन चार्जर्स का अनुबंध बीसीसीआई ने 100 करोड़ रुपये की निर्धारित बैंक गारंटी का भुगतान करने में विफल रहने के बाद रद्द कर दिया था। टीम मामले को अदालत में ले गयी और आरोप लगाया कि कारण बताओ नोटिस की समाप्ति से एक दिन पहले ही उनका अनुबंध रद्द कर दिया गया। सन् 2020 में बॉम्बे हाई कोर्ट की तरफ़ से नियुक्त मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने बीसीसीआई को दोषी ठहराया और उसे फ्रेंचाइजी के मालिक डेक्कन क्रॉनिकल्स होल्डिंग्स लिमिटेड (डीसीएचएल) को नुक़सान की भरपाई के लिए 4,800 करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया। दिलचस्प यह है कि डेक्कन चार्जर्स ने 2009 का आईपीएल सीजन जीता जो दक्षिण अफ्रीका में आयोजित किया गया था।

छेड़छाड़ का आरोपी खिलाड़ी गिरफ़्तार : आरसीबी के बल्लेबाज़ ल्यूक पॉमर्सबैक को एक अमेरिकी महिला की तरफ़ से दायर छेड़छाड़ की शिकायत पर नई दिल्ली में गिरफ़्तार किया गया था। शिकायतकर्ता महिला ने यह भी दावा किया था कि जब उसके मंगेतर ने हस्तक्षेप करने की कोशिश की, तो उसे भी ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी ने पीटा। आरसीबी ने पॉमर्सबैक की लम्बित जाँच को निलंबित कर दिया; लेकिन बाद में शिकायतकर्ताओं के मामला वापस लेने के बाद सभी आरोप हटा दिये गये।

कोहली-गंभीर टकराव : एक मैच में जब विराट कोहली के आउट होने के बाद कोहली और गंभीर ने एक-दूसरे पर आरोप लगाये, तो मामला काफ़ी गंभीर हो गया। टिप्पणियों का आदान-प्रदान हुआ, और दिल्ली के खिलाड़ी रजत भाटिया को दोनों को शान्त करना पड़ा। हालाँकि जब दोनों 2016 के संस्करण में मिले, तब चीज़ें बहुत शान्त थीं। लेकिन 2023 के संस्करण में एक बार फिर लखनऊ सुपर जायंट्स और आरसीबी के मैच में नवीन-उल-हक़ के साथ विवाद के बाद कोहली और गंभीर के बीच मैच के बाद जबरदस्त बवाल हुआ। अन्य खिलाडिय़ों को बीच बचाव करना पड़ा। हालाँकि इस प्रकरण के चलते दोनों पर 100 प्रतिशत मैच फीस, जबकि नवीन-उल-हक़ पर 50 फ़ीसदी मैच फीस का ज़ुर्माना लगाया गया।

प्रीति जिंटा-वाडिया विवाद : जहाँ नेस वाडिया और प्रीति जिंटा का बहुचर्चित रोमांस कथित तौर पर कुछ साल पहले ख़त्म हो गया, वहीं व्यवसायी-अभिनेत्री की जोड़ी ने अपने पेशेवर रिश्ते को जारी रखने का फ़ैसला किया। हालाँकि दोनों के बीच चीज़ें ख़राब हो गयीं, जब जिंटा ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराकर वाडिया पर मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में एक आईपीएल खेल के दौरान उन्हें धमकाने और छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया।

आईपीएल पर बॉम्बे हाईकोर्ट का आदेश : एक एनजीओ की तरफ़ से दायर जनहित याचिका पर कार्रवाई करते हुए, बॉम्बे हाई कोर्ट ने बीसीसीआई को 30 अप्रैल के बाद होने वाले सभी आईपीएल मैचों को राज्य के बाहर स्थानांतरित करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि राज्य में सूखे के दौरान पिचों को ठीक रखने के लिए पानी का इस्तेमाल संसाधनों की बर्बादी है। इसके बाद महाराष्ट्र फाइनल सहित 13 मैचों की मेज़बानी करने से चूक गया।

दरअसल आईपीएल में पहला विवाद टूर्नामेंट शुरू होने से पहले ही शुरू हो गया था। पहला आईपीएल टूर्नामेंट इंग्लिश काउंटी चैंपियनशिप के सीजन के साथ-साथ न्यूजीलैंड के इंग्लैंड दौरे के साथ हुआ। यही वजह थी कि ईसीबी और काउंटी क्रिकेट क्लबों ने खिलाडिय़ों की उपलब्धता को लेकर बीसीसीआई के सामने अपनी चिन्ता जतायी। ईसीबी ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह खिलाडिय़ों को आईपीएल में खेलने के लिए अनापत्ति प्रमाण-पत्र पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे, जिससे उन्हें यह स्पष्ट हो गया कि देश के प्रति खिलाडिय़ों का कर्तव्य पहले है। नतीजतन, दिमित्री मैस्करेनहास 2008 के सत्र के लिए आईपीएल के साथ हस्ताक्षर करने वाले इकलौते अंग्रेज खिलाड़ी थे।

केंद्र सरकार के भारत में आयोजित विश्व कप पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद् (आईसीसी) को 45 करोड़ रुपये की कर छूट देने के बाद मनोरंजन कर वसूलने के लिए आईपीएल और उसकी फ्रेंचाइजी के ख़िलाफ़ एक जनहित याचिका दायर की गयी थी। इस मामले को वित्त मंत्रालय में ले जाया गया, क्योंकि यह आरोप लगाया गया था कि आईपीएल टिकट अत्यधिक ऊँची क़ीमतों पर बेचे जा रहे थे और केवल अमीर ही उन्हें ख़रीद सकते थे। आईपीएल के कॉम्प्लिमेंट्री पास की बिक्री क्रिकेट में भ्रष्टाचार का सिर्फ़ एक हिस्सा भर है। ‘तहलका’ के पास भविष्य के लिए और भी बहुत कुछ है!