‘हमने चुनाव में जनता से किए गए हर वादे को पूरा किया है’

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आपकी सरकार ने हाल ही में उत्तर प्रदेश में तीन साल पूरे किए हैं. अपने प्रदर्शन को आप 10 में से कितने नंबर देंगे?

सरकार का प्रदर्शन 10 में से 10 अंकों वाला रहा है. लेकिन मुझे लगता है कि हममें सुधार की गुंजाइश है. 2012 में सत्ता में आने के बाद मेरी सरकार ने राज्य के समेकित विकास के लिए एक योजना बनाई थी, जिसका फायदा समाज के सभी तबकों को मिला. लंबे समय से विकास की पटरी से उतरे हुए राज्य को हमने विकास के पथ पर लाने के लिए प्रयास किया है. हमारी पूर्ववर्ती सरकार के समय शासन प्रणाली पूरी तरह से ध्वस्त हो गई थी. स्वास्थ्य सुविधाएं बुरी दशा में थीं, राज्य के ग्रामीण और शहरी इलाकों में बिजली का घनघोर संकट था. पिछली सरकार ने इन क्षेत्रों में किसी तरह के विकास या सुधार का कोई प्रयास ही नहीं किया. सपा सरकार ने किसानों, मजदूरों, पिछड़ों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों, छात्रों, छोटे व्यापारियों और ग्रामीणों पर अपना ध्यान केंद्रित किया है. शिक्षा पर खास ध्यान रखते हुए लड़कियों की पढ़ाई को प्रोत्साहन दिया है. इस संबंध में किए गए हमारे दावों को आंकड़ों के जरिए समझा जा सकता है. सपा सरकार के पहले वर्ष यानी 2012-13 में देश की विकास दर 4.5 प्रतिशत की तुलना में राज्य ने 5.8 प्रतिशत की विकास दर दर्ज की. इसी तरह 2013-14 में देश की 4.7 प्रतिशत की तुलना में उत्तर प्रदेश की विकास दर पांच फीसदी थी. 2014-15 की पहली दो तिमाहियों में उत्तर प्रदेश की विकास दर 6.3 प्रतिशत और 5.4 प्रतिशत रही, जबकि इसी दौरान देश की विकास दर 5.7 और 5.3 फीसदी रही. 2014-15 में उत्तर प्रदेश की विकास दर 6 फीसदी के आसपास रहने की उम्मीद है. इस साल फरवरी में एसोचेम की ओर से जारी बुकलेट ‘उत्तर प्रदेश इंचिंग टूवर्ड्स डबल डिजिट ग्रोथ’ के अनुसार 2012-13 और 2013-14 में प्रदेश की विकास दर देश की तुलना में बेहतर थी.

सूबे की कानून व्यवस्था हमेशा से ही चिंता का विषय रही है. आपके सत्ता संभालने के बाद भी यहां दंगे और दुर्घटनाएं देखने को मिलीं. ऐसा क्यों हुआ? कानून व्यवस्था में सुधार से जुड़ी उपलब्धियां क्या रही हैं?

उत्तर प्रदेश में जब भी सपा की सरकार आती है, कानून-व्यवस्था की स्थिति बढ़ा-चढ़ा कर अति संवेदनशील बतायी जाती है. यहां तक कि छोटी-सी घटना को भी बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है. बदायूं की घटना इसका सटीक उदाहरण है. कुछ शरारती तत्व समाज में अशांति फैलाने की ताक में हमेशा लगे ही रहते हैं. इस बार भी ऐसा ही हुआ. हमारी सरकार की छवि खराब करने के लिए कुछ लोगों ने सुनियोजित तरीके से गड़बड़ियां फैलाई. आप इस बात की तारीफ करेंगे कि हमारी पुलिस खराब परिस्थितियों में भी अपना काम बखूबी करती रही. जब पुलिस अच्छा काम करती है तब भी उसकी तारीफ मुश्किल से की जाती है. राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सरकार ने पुलिस को पूरा समर्थन दे रखा है. एक समस्या राज्य में पुलिसकर्मियों की कमी की है. इसे पूरा करने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है. इसके अलावा हम पुलिस फोर्स के नवीनीकरण पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. इससे हालात और सुधरेंगे.

उत्तर प्रदेश में ऐतिहासिक पर्यटक स्थलों की बहुतायत है. इसके बावजूद ऐसा सुनने में आता है कि इन पर्यटक स्थलों की दशा बहुत अच्छी नहीं हैं. इस दिशा में क्या प्रयास हो रहे हैं?

आप ने सही कहा, यहां टाइगर रिजर्व और पक्षी अभयारण्य भी हैं इसके अलावा आगरा, लखनऊ, वाराणसी, इलाहाबाद, मथुरा, कन्नौज, फतेहपुर सीकरी और सारनाथ जैसे पुरातन शहर हैं. इसका मतलब प्रदेश में पर्यटकों के लिए काफी कुछ है. प्रदेश में धार्मिक पर्यटन के कई विकल्प हैं. तमाम ऐतिहासिक स्थल जैसे- कलिंजर किला, झांसी का किला, लखनऊ की भूल-भुलैया, वाराणसी के घाट और इलाहाबाद में संगम आदि भी अंतरराष्ट्रीय फलक पर ख्याति प्राप्त हैं. सरकार ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए इटावा में लायन सफारी और लायन ब्रीडिंग सेंटर विकसित कर रही है. पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ‘हेरिटेज आर्क’ विकसित करने की भी योजना है. उत्तर-पश्चिम से दक्षिण पूर्व की ओर जाने के दौरान इस आर्क पर तीन महान शहरों आगरा, लखनऊ और वाराणसी की यात्रा की जा सकती है. इसके अलावा रास्ते में कई दूसरे स्थलों का भी दौरा किया जा सकेगा. विमान, रेल और सड़क मार्ग से इस ‘हेरिटेज आर्क’ का सफर इतिहास, आध्यात्म, कला और प्रकृति का कभी न भूलनेवाला अनुभव कराएगा. पर्यटन और इससे जुड़े उद्योग को बढ़ावा देना के लिए सरकार और कोशिश करेगी ताकि युवाओं को रोजगार मुहैया किया जा सके. सरकार का लक्ष्य है कि पर्यटन को उद्योग के रूप में बढ़ावा देने के लिए लोगों को जोड़ा जाए. हाल ही में सरकार ने ‘माई आगरा कैम्पेन’ का सफलतापूर्वक आयोजन कराया है. कुशीनगर में ‘मैत्रेय परियोजना’ को पुनर्जीवित किया गया है ताकि पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी पर्यटक पहुंच सकें. इससे इस क्षेत्र का आर्थिक विकास सुनिश्चित हो सकेगा. विश्व बैंक की ओर से सहायता प्राप्त ‘प्रो-पूअर टूरिज्म डेवलपमेंट’ परियोजना के जरिए दो प्रमुख पर्यटन गलियारों- आगरा-ब्रज कॉरिडोर और बौद्ध परिपथ पर जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं. विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए कुशीनगर में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का निर्माण किया जा रहा है. इसके अलावा पर्यटकों की सुविधा के लिए लखनऊ, इलाहाबाद, वाराणसी और आगरा जैसे महत्वपूर्ण पर्यटक स्थलों को विमान सेवा से जोड़ा जाएगा. हमने विरासत पर्यटन नीति लागू की है, जिसके तहत विरासत से जुड़ी संपत्तियों को होटल में तब्दील किया जा सकेगा. बुंदेलखंड परिपथ को भी विकसित किया जाएगा.

एक राज्य के विकास के लिए सबसे जरूरी है बुनियादी ढांचे का विकास. सड़क और बिजली जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकार क्या कर रही है?

सड़क और बिजली के अलावा राज्य सरकार का  स्टेडियम, पार्क, सुपर स्पेश्यलिटी अस्पताल, कैंसर अस्पताल, आईआईआईटी, आईटी पार्क जैसे बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित किए हुए है. लखनऊ में एक विश्वस्तरीय क्रिकेट स्टेडियम का निर्माण भी जारी है इससे प्रदेश में खेल और खिलाड़ियों के लिए माहौल बनेगा. यह राज्य के बुनियादी ढांचे के विकास में बड़ा योगदान होगा. इसके अलावा उन्नाव में ट्रांस गंगा हाईटेक सिटी और लखनऊ मेट्रो रेल परियोजना बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने की सपा सरकार की प्रतिबद्धता के उदाहरण हैं. मेट्रो रेल सेवा को चार दूसरे शहरों- आगरा, कानपुर, वाराणसी और मेरठ में भी शुरू करने का निर्णय लिया गया है.

अखिलेश यादव की वे कौन सी योजनाएं हैं जिनका प्रदेश के विकास पर दूरगामी असर हो सकता है?

लखनऊ मेट्रो रेल, लखनऊ के बाहर सीजी (चक गंजारिया) सिटी योजना, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे और कैंसर अस्पताल हमारी सरकार के दौरान शुरू हुई कुछ ऐसी योजनाएं हैं जिन्हें लोग लंबे समय तक याद रखेंगे.

आपने शुरुआत में शिक्षा और महिलाओं की शिक्षा का जिक्र किया. हमने देखा कि सरकार ने बालिकाओं के लिए चलाई जा रही कुछ योजनाओं को बंद कर दिया था ऐसा क्यों करना पड़ा. बालिकाओं की शिक्षा को लेकर आगे की योजना क्या है?

सरकार इस बात में यकीन करती है कि किसी भी समाज या राज्य की सफलता, समृद्धि और विकास की कुंजी उसकी शिक्षा में है. शिक्षा के बिना हम विकास के लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकते. चाहे वह एक इकाई का हो या फिर पूरे समाज का. सत्ता में आने के बाद मेरी सरकार ने लड़कियों की उच्च शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए ‘कन्या विद्या धन योजना’ को पुनर्जीवित किया है. इसके अलावा ‘हमारी बेटी, उसका कल’ और ‘पढ़ें बेटियां, बढ़ें बेटियां’ जैसी योजनाएं लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई थीं. वित्त वर्ष 2015-16 में कन्या विद्या धन योजना के तहत 300 करोड़ रुपये की राशि सुनिश्चित की गई है. साथ ही कॉलेजों में लड़कियों के हॉस्टल के लिए 244 करोड़ रुपये की व्यवस्था भी सरकार ने की है. छात्र-छात्राओं को अच्छी शिक्षा दिलवाना सरकार के सबसे महत्वपूर्ण एजेंडे में है.

आपने छात्र-छात्राओं को लैपटॉप देना शुरू किया था, बाद में वह योजना बंद हो गई. क्या इससे आपके शिक्षा के उद्देश्य पूरे हुए?

हां, यह उत्तर प्रदेश में ही नहीं देश-भर की सबसे सफल और प्रसिद्ध योजनाओं में से एक रही. सरकार ने इस बात का ध्यान रखा कि बिना किसी भेदभाव के 15 लाख लैपटॉप छात्र-छात्राओं को मिल सके. मुफ्त में लैपटॉप देने से ग्रामीण और आर्थिक रूप से पिछड़े छात्र-छात्राओं को अपना भविष्य बेहतर बनाने का अवसर मिला है. इससे न सिर्फ उनका आत्मविश्वास बढ़ा बल्कि तकनीक के प्रति उनका डर भी खत्म हुआ है. आप उत्तर प्रदेश के किसी भी गांव में जाकर यह देख सकते हैं कि इस योजना ने छात्र-छात्राओं में कितने सकारात्मक बदलाव किए हैं. इसने उनका जीवन बदल दिया है. यह योजना डिजिटल विभाजन को पाटने के काम में सफल रही. अब उनके लिए अनंत संभावनाएं हैं. आप उनके चेहरे पर खुशी देख सकते हैं. जानकारी के लिए मैं बता दूं कि यह योजना बंद नहीं हुई है. हमारी सरकार मेधावी छात्र-छात्राओं को नि:शुल्क लैपटॉप दे रही है.

किसी भी सरकार के लिए ग्रामीण इलाकों में शौचालय बनवाना चुनौतीपूर्ण रहा है. उत्तर प्रदेश सरकार इस चुनौती से कैसे निपट रही है?

आपकी बात से हम सहमत हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय बनवाने के लिए हम प्रयास कर रहे हैं. शौचालय बनाने की सीमा 10 से बढ़ाकर 12 हजार रुपए कर दी गई है. वर्ष 2015-16 के बजट में इसके लिए हमने 1,533 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. इसी तरह, ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय के साथ बाथरूम बनवाने की पायलट परियोजना के लिए 16 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. मैं विश्वास दिलाता हूं कि मेरी सरकार इस समस्या से निपटने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी. हमारा नारा है ‘साफ और हरित उत्तर प्रदेश’.

आपने हाल ही में कई इंवेस्टर्स मीट का आयोजन किया है. ये प्रयास किस हद तक सफल हुए हैं? क्या इससे प्रदेश के बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिलेगा?

उत्तर प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने के लिए मैंने कई स्तरों पर प्रयास किया है. इस रणनीति के तहत हमने आगरा में इंवेस्टर्स मीट और नई दिल्ली में उत्तर प्रदेश इंवेस्टर्स कॉन्क्लेव कराया. दिल्ली में हुए आयोजन में 54 हजार करोड़ रुपये के एमओयू पर हस्ताक्षर हुए हैं. इसके अलावा सरकार बिजली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए गंभीर प्रयास कर रही है, क्योंकि बिना इसके राज्य में उद्योग पनप नहीं सकते. इसके अलावा राज्य में निवेश को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी सुविधाओं की भी जरूरत है. आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे जैसी महत्वपूर्ण परियोजना जल्द ही साकार रूप ले लेगी. 15 हजार करोड़ रुपये की इस योजना से आगरा और लखनऊ के बीच सफर का समय काफी कम हो जाएगा. यह योजना एक्सप्रेस-वे के साथ उद्योगों की स्थापना को बढ़ावा देगी. इसलिए आनेवाले वर्षों में रोजगार के कई सारे अवसर उपलब्ध होंगे. इसके अलावा बेहतर कनेक्टिविटी के लिए सभी जिला मुख्यालयों को चार लेन की सड़क से जोड़ा जा रहा है. लखनऊ में एक आईटी सिटी विकसित की जा रही है, जो प्रदेश की राजधानी को एक आदर्श आईटी हब के रूप में बदल देगा. इससे रोजगार के तमाम अवसर मुहैया होंगे क्योंकि राज्य में उद्यमी अपने आईटी उद्यम लगाएंगे. वास्तव में एचसीएल, इंफोसिस और अमूल ने पहले से ही यहां निवेश कर रखा है. इसके अलावा टाइम्स ग्रुप 600 करोड़ रुपये के निवेश के साथ ग्रेटर नोएडा में एक विश्वविद्यालय स्थापित कर रहा है.