सेंसर बोर्ड की पुनरीक्षण कमेटी ने राज से फिल्म के कुछ दृश्यों को हटाने का प्रस्ताव दिया था. उन्होंने इस प्रस्ताव को सूचना और प्रसारण अपीलीय न्यायाधिकरण में चुनौती दी थी. इसके जवाब में अधिकारियों ने भारत में फिल्म के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा दी. बोर्ड का मानना है कि समलैंगिक संबंध और धार्मिक कट्टरता फिल्म का मूल विषय है जो आम दर्शकों के लिए विवादित हो सकता है. बहरहाल राज अमित कुमार इस फैसले के खिलाफ कोर्ट में अपील करने के लिए अपने वकीलों से सलाह-मशविरा कर रहे हैं.
फिल्म में विक्टर बनर्जी और आदिल हुसैन प्रमुख भूमिकाओं में नजर आएंगे. राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता हरि नायर फिल्म के सिनेमैटोग्राफर हैं और साउंड डिजायन ऑस्कर पुरकार विजेता रसूल पूकुटी ने किया है. यह फिल्म न्यूयॉर्क और दिल्ली में घटी दो घटनाओं पर आधारित है. पहली कहानी में दिखाया गया है कि किस तरह से एक आतंकवादी, उदारवादी मुस्लिम विद्वान को चुप कराने के लिए उसका अपहरण कर लेता है. वहीं दूसरी कहानी समलैंगिकता के मुद्दे को दर्शाती है. यह एक युवती की कहानी है, जिसका पिता उस पर शादी के लिए दबाव बनाता है. वह एक दूसरी युवती से प्यार करती है और घर छोड़ देती है. परिस्थितिवश फिल्म के दोनों मुख्य किरदार एक-दूसरे के सामने होते हैं और अपनी पहचान, अस्तित्व और प्यार की खातिर संघर्ष करते हैं.
ऐसा नहीं है कि बॉलीवुड में पहली बार धार्मिक कट्टरता और समलैंगिता पर कोई फिल्म बन रही है. इससे पहले भी ऐसी फिल्में रिलीज हुई हैं. ऐसे में इस फिल्म को लेकर उठाई गई सेंसर बोर्ड की आपत्ति उसकी मौजूदा कार्यप्रणाली पर संदेह पैदा करती है. बहरहाल राज की अगली फिल्म का नाम ‘अयोध्या’ है. इस फिल्म के बारे में हालांकि उन्होंने कोई जानकारी नहीं दी लेकिन इसका नाम ही कई इशारे कर रहा है. अपनी लड़ाई जारी रखने की बात करते हुए राज बताते हैं, ‘पान पराग को लेकर तो बहुत लोग काम कर रहे हैं. तो हम कुछ ऐसा काम करें जो हमारे हिसाब से हमें लगता है कि जरूरी है. बाकी चुटकुले तो लोग सुना ही रहे हैं रोज.’
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