अब बात राहुल गांधी के लोकसभा क्षेत्र अमेठी की. राहुल ने जगदीशपुर औद्योगिक क्षेत्र में पेपर मिल लगाने का एलान किया है. इसके अतिरिक्त सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट, कैटरिंग टेक्नोलाजी ऐंड अप्लाइड न्यूट्रीशन इंस्टीट्यूट भी अमेठी लोकसभा में खोले जाने की घोषणा कांग्रेस की ओर से की गई है. ऐसा नहीं है कि अमेठी व रायबरेली पर सिर्फ गांधी परिवार के लोग ही मेहरबान हैं. कांग्रेस कोटे के केंद्रीय मंत्री भी इन क्षेत्रों में योजनाओं का एलान करने में पीछे नहीं हैं. दो-तीन महीने पहले केंद्रीय इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा भी जगदीशपुर में स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सहयोग से पावर प्लांट लगाए जाने की बात कह चुके हैं. रायबरेली की तरह ही नेशनल हाइवे अथॉरिटी आफ इंडिया लखनऊ से अमेठी तक फोर लेन रोड का निर्माण भी लोकसभा चुनाव से पूर्व करना चाहता है. इसकी अधिसूचना का काम भी शुरू हो चुका है. केंद्र की बहुप्रतीक्षित कैश फॉर सब्सिडी स्कीम के तहत उत्तर प्रदेश के छह जिले चुने गए हैं जिनमें अमेठी व रायबरेली दोनों शामिल हैं.
अब कांग्रेस के चुनावी वादों पर गौर करें तो पता चलता है कि 2009 के लोकसभा चुनाव से पहले भी अमेठी में पेपर मिल बनाने का वादा किया गया था. लेकिन पांच साल तक योजना ठंडे बस्ते में ही रही. फिर जैसे ही 2014 के लोकसभा चुनाव की आहट सुनाई देने लगी, तो राहुल ने एक बार फिर से पेपर मिल खोले जाने का शगूफा जनता के बीच छोड़ दिया है. इसी तरह जगदीशपुर औद्योगिक क्षेत्र में बंद पड़ी माल्विका स्टील फैक्टरी को केंद्र सरकार ने 2009 के लोकसभा चुनाव से पूर्व स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया को सौंप दिया था. उस समय यहां एक बड़ा कार्यक्रम तक आयोजित किया गया.
इसमें राहुल सहित कई केंद्रीय मंत्री भी शामिल हुए लेकिन पांच साल का समय बीतने को आ रहा है और फैक्ट्ररी अब तक बंद है. इसी तरह रायबरेली के लालगंज में रेलकोच कारखाने के लिए किसानों की सैकड़ों एकड़ जमीन तो ले ली गई है लेकिन कारखाना चलने के नाम पर वहां सिर्फ कपूरथला से रेलकोच मंगवा कर फिनिशिंग का काम हो रहा है. लिहाजा कांग्रेस का यह दावा कि कारखाना लगने से स्थानीय लोगों को काफी संख्या में रोजगार मिलेगा सिर्फ बेमानी ही साबित हो रहा है. फिनिशिंग के काम में विभिन्न रेलकोच कारखानों से ही इंजीनियरों व टेक्नीनीशियनों को बुला कर काम चलाया जा रहा है. इसमें स्थानीय लोगों को काम पर लगाया ही नहीं गया.
अतीत बताता है कि कांग्रेस की पहल पर अमेठी व रायबरेली में वेस्पा और आरिफ सीमेंट जैसे बड़े कारखाने लगे तो लेकिन कुछ साल चल कर बंद भी हो गए. इसके चलते वहां के स्थानीय किसानों की सैकड़ों एकड़ उपजाऊ जमीन आज भी इन कारखाना मालिकों के पास ही बंधक पड़ी है. कारखाने बंद होने के कारण स्थानीय किसानों को न तो रोजगार मिला न ही काम लिहाजा आज वे भुखमरी के कगार पर हैं या कामकाज की तलाश में दिल्ली, मुंबई, सूरत या लुधियाना पलायन करने को विवश हैं.
उधर, प्रदेश की सपा सरकार कांग्रेस के इन चुनावी शगूफों की हवा बड़े ही शांतिपूर्ण ढंग से निकालती दिखती है. सचिवालय में तैनात एक सीनियर आईएएस कहते हैं, ‘कांग्रेस ने रायबरेली में एम्स के लिए जमीन की मांग की जिसे दे दिया गया. इसके अतिरिक्त कैटरिंग टेक्नोलोजी के लिए भी जमीन मांगी गई जिसे सरकार ने 13 दिन में ही मुहैया करा दिया. ऐसे में कांग्रेस के पास यह बहाना नहीं बचता है कि राज्य सरकार जमीन उपलब्ध नहीं करवा रही है.’ ये अधिकारी बताते हैं कि अमेठी व रायबरेली के लिए केंद्र से आने वाली योजनाओं की मॉनीटरिंग खुद सूबे के मुख्य सचिव समय समय पर कर रहे हैं ताकि पूर्ववर्ती बसपा सरकार पर जैसे जमीन उपलब्ध न कराने का आरोप लग रहा था वैसा आरोप सपा पर न लगने पाए. रायबरेली से सपा विधायक रामलाल अकेला कहते हैं, ‘चुनाव से पूर्व अमेठी व रायबरेली के लिए तमाम योजनाओं की घोषणा करना कांग्रेस का एजेंडा है. एम्स जैसी बड़ी योजनाओं के लिए हमारी सरकार ने जमीन उपलब्ध करवा दी है लेकिन केंद्र की ओर से ही काम शुरू नहीं कराया जा रहा है. अब स्थानीय लोग भी इनकी नीति को जान गए हैं जिसका परिणाम कांग्रेस को 2012 के विधानसभा चुनाव में मिल चुका है.’ वहीं अमेठी लोकसभा से कांग्रेस के विधायक डॉ मोहम्मद मुस्लिम बस इतना कहते हैं कि कांग्रेस जितने वादे कर रही है वे सब जल्द ही पूरे हो जाएंगे.