न करते शोर-शराबा तो हनी सिंह क्या करते?
हनी सिंह के पास अभिनय की ऐसी परिभाषा है कि आप अमिताभ की फिल्में देखना छोड़ देंगे. कहते हैं कि अभिनय सामने खड़े अभिनेता की आंखों में आंखें डाल झूठ बोलने की कला है. और चूंकि वे लेखक-संगीतकार हैं इसलिए झूठ नहीं बोल सकते. इस ज्ञान की टंकी का टैप हनी ने इसलिए खोला ताकि ‘एक्सपोज’ में किया गया उनका गंदा अभिनय बहकर कहीं दूर निकल जाए, और वह ग्रैमी अवार्ड्स पर ज्ञान दे सकें. ‘सब कह रहे हैं मैं छा रहा हूं. क्या छा रहा हूं. ग्रैमी तो ला नहीं पा रहा हूं.’ आगे का ज्ञान और भी मजेदार है. ‘मार्टिन लूथर ने सपना देखा था तभी आज ओबामा प्रेसीडेंट हैं. मैंने भी सपना देखा है, अगर मैं नहीं ला पाया तो मेरे जैसा कोई और लाएगा ग्रैमी.’ प्रिय हनी, बस एक सवाल का जवाब दें. बप्पी लहरी ने नकल कर ढेर सारे ग्रैमी-छाप गाने बनाए थे, तो क्या अब बप्पा लहरी को ग्रैमी मिलने की संभावना प्रबल है? अगर हां, तो एक दिन आप की जगह शहद सिंह को ग्रैमी अवश्य मिलेगा. तथास्तु.