दुर्भाग्यवश, ये उम्मीदें पूरी नहीं हो सकीं. बीसीसीआई में उस समय ऐसे बहुत से मामले थे, जिनका जल्द निपटारा होना चाहिए था, लेकिन डालमिया ने अपने जीवनकाल में उन्हें पूरा नहीं किया. सबसे पहला मामला तो यही है कि आईपीएल की दो निलंबित टीमों, चेन्नई सुपरकिंग्स और राजस्थान रॉयल्स का क्या होगा? दूसरा, टीम इंडिया का अगला हेड कोच कौन होगा? तीसरा, दिसंबर में पाकिस्तान के साथ टेस्ट सीरीज खेली जाएगी या नहीं. चौथा, आईपीएल 2016 में कितनी टीमें खेलेंगी, आठ या दस? और सबसे आखिरी और महत्वपूर्ण, क्या सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे विवादों में घिरे बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन को बोर्ड की बैठकों में भाग लेने की अनुमति देनी चाहिए या नहीं?
इन सबके अलावा बीसीसीआई के सामने कुछ और जटिल मुद्दे भी हैं. इनमें आरटीआई के दायरे में आने से इंकार करने और दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा क्लीन चिट मिलने के बावजूद एस. श्रीसंथ, अंकित चह्वाण और अजीत चंडीला के ऊपर लगे बैन को हटाने को लेकर बोर्ड की अनिच्छा प्रमुख मुद्दे हैं. गौरतलब है कि इन खिलाड़ियों पर 2013 आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग का आरोप लगा था. अगर पूर्व भारतीय क्रिकेटर अजय जडेजा पर लगे मैच फिक्सिंग के आरोप, उन पर लगे 5 साल के बैन के बाद हट सकते हैं, उन्हें दिल्ली की रणजी टीम के 2015-16 सत्र का मेंटर बनाने की बात हो सकती है तो श्रीसंथ और बाकियों के साथ बीसीसीआई इतनी सख्ती क्यों बरत रही है?
यहां सवाल राजीव शुक्ला के आईपीएल प्रमुख बने रहने पर भी हैं. अगर पूर्व आईपीएल प्रमुख ललित मोदी को आईपीएल 2010 में हुई गड़बड़ियों की सजा मिली तो राजीव शुक्ला अब तक क्यों इस पद पर हैं जबकि 2013 आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामला तो उनकी नाक के नीचे ही हुआ है? उनका पद पर बने रहना साबित करता है कि बीसीसीआई और आईपीएल के मामले में दोनों राष्ट्रीय दल, भाजपा और कांग्रेस साथ हैं. एक तरफ तो संसद में दोनों दल भूमि अधिग्रहण बिल, विदेश नीतियों और बाकी मुद्दों पर लड़ते, बहस करते देखे जा सकते हैं पर क्रिकेट के इस खेल में भाजपा के अनुराग ठाकुर (सचिव, बीसीसीआई) और कांग्रेस के राजीव शुक्ला (आईपीएल प्रमुख) पूरी खेल भावना के साथ-साथ काम कर रहे हैं. ये बात ललित मोदी के उस ट्वीट का समर्थन करती हैं जहां उन्होंने कहा था कि भाजपा और कांग्रेस के नेता ‘यूनाइटेड बाय क्रिकेट’ हैं यानी क्रिकेट की वजह से साथ हैं.

अपने मुंहफट अंदाज के लिए मशहूर पूर्व क्रिकेटर और भाजपा सांसद कीर्ति आजाद ‘तहलका’ को बताते हैं, ‘बीसीसीआई के लिए डालमिया की जगह पर किसी और को लाना भूसे के ढेर में सुई ढूंढने जैसा है, साथ ही ये तो भगवान ही बता सकते हैं कि आने वाले दिनों में बीसीसीआई सही रास्ते पर चल भी पाएगा या नहीं.’ ये पूछने पर कि क्या राहुल द्रविड़ भारतीय क्रिकेट टीम के बैटिंग कोच के पद के लिए उपयुक्त होंगे, आजाद कहते हैं, ‘राहुल इस पद के लिए सर्वश्रेष्ठ हैं.’ राहुल वर्तमान में इंडिया- ए टीम के कोच हैं और समय-समय पर विराट कोहली, चेतेश्वर पुजारा, केएल राहुल, अजिंक्य रहाणे और सुरेश रैना जैसे नए युवा खिलाड़ियों को बैटिंग के गुर सिखाते रहते हैं. युवा खिलाड़ी उन पर भरोसा करते हैं और उनसे सीखना चाहते हैं, तो फिर क्यों बीसीसीआई उन्हें टीम इंडिया का बैटिंग कोच बनाने से पीछे हट रहा है? डालमिया के असमय निधन ने बीसीसीआई को एक नए अध्यक्ष को चुनने की पसोपेश में डाल दिया था, शरद पवार और राजीव शुक्ला के नाम इस पद के दावेदारों के रूप में उभरे थे पर बाजी मारी शशांक मनोहर ने. मनोहर पहले भी 2008 से 2011 तक ये पद संभाल चुके हैं और चार अक्टूबर से फिर ये जिम्मेदारी संभालेंगे. बीसीसीआई अध्यक्ष पद के लिए शरद पवार और राजीव शुक्ला को दावेदार माना जा रहा था लेकिन शशांक मनोहर ने बाजी मार ली