हालांकि गिरते स्वास्थ्य के चलते वाजपेयी के एक दशक पहले रिटायर हो जाने और अब आडवाणी के भी मार्गदर्शक की भूमिका में आ जाने के बाद यह जोड़ी राजनीतिक रूप से सक्रिय नहीं है लेकिन बावजूद इसके इस जोड़ी की प्रासंगिकता हमेशा बनी रहेगी. हालिया लोकसभा चुनाव जीत कर भाजपा ने दस साल के बाद सत्ता में वापसी की है. निस्संदेह भाजपा के इस शानदार प्रदर्शन का श्रेय मोदी, अमित शाह और वर्तमान भाजपा संगठन की रणनीति को दिया जा चुका है, लेकिन इस बात से भी शायद ही किसी को ऐतराज होगा कि अटल आडवाणी की जुगलबंदी का भी इस जीत में बहुत बड़ा योगदान है. इस योगदान को ठीक वैसे ही देखा जा सकता है जैसे ताजमहल का जिक्र आने पर शाहजहां का नाम तो जेहन में आता है लेकिन उन बेनाम कारीगरों का खयाल किसी को नहीं रहता जिन्होंने उस खूबसूरत इमारत की तामीर में अपनी पूरी ऊर्जा खपा दी थी.