शुभश्री पांडा: पुलिस ने सब्यसाची की बजाय किसी और को गिरफ्तार किया है

Subhashree-Panda
हाल ही में गिरफ्तार हुए सीनियर माओवादी नेता सब्यसाची पांडा की पत्नी शुभश्री पांडा. फोटो: विजय पांडेय

सीनियर माओवादी नेता सब्यसाची पांडा की गिरफ्तारी पर प्रश्न उठने लगे हैं. उड़ीसा पुलिस के डीआईजी अमिताभ ठाकुर ने शुक्रवार को ब्रह्मपुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सब्यसाची पांडा की गिरफ्तारी की घोषणा की थी. लेकिन अब इस गिरफ्तारी पर सब्यसाची की पत्नी शुभश्री पांडा ने कुछ सवाल खड़े कर दिए हैं. तहलका से बातचीत में उन्होंने बताया, ‘मैं, मेरी बेटी, सब्यसाची के बड़े भाई, सारे लोग भुवनेश्वर से ब्रह्मपुर उनसे मिलने गए थे, लेकिन पुलिस ने हमें वापस भेज दिया. आप ही बताइए परिवार के सदस्यों की शिनाख्त के बिना कैसे मान सकते हैं कि पुलिस ने किसे गिरफ्तार कर रखा है. पुलिस कह रही है कि हम लोग पुलिस रिमांड खत्म होने के बाद ही उनसे मिल सकते हैं.’तहलका ने उनसे जब यह पूछा कि उन्हें ऐसा क्यों लगता है कि पुलिस ने सब्यसाची को गिरफ्तार नहीं किया है तब उनका जवाब था, ‘कल से यहां मीडिया में और टीवी पर पुलिस के हवाले से जो खबरें और फोटो दिखाई जा रही है वे सब्यसाची की नहीं हैं. इसलिए हमें लगता है कि पुलिस गलत बोल रही है.’

शुभश्री के इस बयान के बाद पुलिस के दावे पर कुछ संदेह अवश्य खड़े हो जाते हैं साथ ही उड़ीसा पुलिस के ऊपर इस बात का दबाव भी बन गया है कि वह सब्यसाची पांडा की गिरफ्तारी की तथ्यात्मक तरीके से पुष्टि करे. तहलका से बातचीत में शुभश्री कहती हैं, ‘अगर वास्तव में पुलिस ने सब्यसाची को गिरफ्तार किया है तो वह उन्हें हमारे सामने लाए. हम जो भी इस देश की कानूनी प्रक्रिया है उसके मुताबिक काम करेंगे. मैं खुद लंबे समय से उन्हें मुख्यधारा में लाने की कोशिश कर रही थी लेकिन कुछ लोगों के राजनीतक स्वार्थ के कारण हम सफल नहीं हो सके.’

पचास वर्षीय सब्यसाची पांडा माओवादी नेताओं में काफी वरिष्ठ है. उसके पिता रमेश पांडा स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी थे. 1991 में नक्सली आंदोलन के साथ जुड़ने के बाद उसने कुइ लेवांग संघ बनाया जो आगे चलकर पीपुल्स वार ग्रुप का मुख्य चेहरा बना. 2001 में पीडब्ल्यूजी ने आंध्र-उड़ीसा बॉर्डर स्पेशल जोन कमेटी बनाकर सब्यसाची को उड़ीसा का प्रमुख बना दिया. इस पद पर रहते हुए सब्यसाची ने दक्षिण उड़ीसा के कंधमाल, गजपति और गंजाम जिलों में नक्सली आंदोलन को आगे बढ़ाया. उसके जीवन में अहम मोड़ आया 2008 में जब उसकी अगुवाई में माओवादियों ने कंधमाल में विश्व हिंदू परिषद के नेता लक्ष्मणानंद सरस्वती और उनके पांच समर्थकों की हत्या कर दी. इसके बाद सीपीआई (माओवादी) ने सब्यसाची को पदावनत कर दिया. उस वक्त वह सीपीआई माओवादी का सचिव था. 2012 में उसे पार्टी से ही निष्कषित कर दिया गया. तब से उसके आत्मसमर्पण की खबरें आ रही थी.

बीते शुक्रवार को उड़ीसा पुलिस द्वारा सब्यसाची पांडा की गिरफ्तारी की घोषणा को पुलिस बलों और खुफिया विभाग की बड़ी कामयाबी के रूप में देखा जा रहा था लेकिन सब्यसाची की पत्नी शुभश्री ने इस पर सवाल उठाकर पुलिस की विश्वसनीयता को कटघरे में खड़ा कर दिया है.