100 करोड़ टीकाकरण का परचम

The Prime Minister, Shri Narendra Modi visits the vaccination centre at Dr. Ram Manohar Lohia Hospital, in New Delhi on October 21, 2021.

भारत ने कोरोना-टीके (वैक्सीन) की 100 करोड़ ख़ुराकें लगाने का महत्त्वपूर्ण पड़ाव हासिल करके विश्व का दूसरा ऐसा देश बन गया है, जो इसमें बड़े पैमाने पर सफल हुआ है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस विशेष मौक़े पर कहा- ‘भारत ने इतिहास रच दिया। यह महत्त्वपूर्ण उपलब्धि भारतीय विज्ञान, उद्यमों और 130 करोड़ देशवासियों की सामूहिक भावना की जीत है। डॉक्टरों, नर्सों और यह उपलब्धि हासिल करने के लिए काम करने वाले सभी लोगों का आभार।’

ग़ौरतलब है कि इसी साल 16 जनवरी को शुरू हुए टीकाकरण के बाद यह पड़ाव पाने में देश को 279 दिन लगे। देश में वयस्कों में से 75 फ़ीसदी को पहला टीका और 31 फ़ीसदी को दोनों टीके लग चुके हैं। इस मौक़े पर भारत को बधाई विश्व भर से मिल रही है। यूनिसेफ भारत की प्रतिनिधि डॉ. यास्मीन अली हक़ ने कहा-‘यह उपलब्धि शानदार है। जब भारतीय परिवार कोरोना की हालिया विनाशकारी लहर से उबर रहे हैं। ऐसे में कई लोगों के लिए इस उपलब्धि का अर्थ उम्मीद है।’

दक्षिण-पूर्व एशिया में विश्व स्वास्थ्य संगठन की क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल ने कहा- ‘यह मज़बूत राजनीतिक नेतृत्व के बिना सम्भव नहीं था।’

100 करोड़ यानी एक अरब टीकाकरण में देश के किन-किन प्रदेशों ने अच्छा प्रदर्शन किया और कौन-से राज्य पिछड़ गये? इसका विश्लेषण करना भी ज़रूरी है। अब तक केरल, कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा है। नौ राज्य और केंद्रशासित क्षेत्र- अंडमान-निकोबार, चंडीगढ़, गोवा, हिमाचल प्रदेश, लक्षद्वीप, सिक्किम, उत्तराखण्ड और दादर-नागर हवेली अपनी पूरी वयस्क आबादी को टीके की पहली ख़ुराक दे चुके हैं। इन राज्यों में हिमाचल शीर्ष पर है। इस राज्य की पात्र पूरी वयस्क आबादी को पहला कोरोना टीका लग चुका है और उसमें से आधी को दोनों टीके लग चुके हैं। हिमाचल जैसे पहाड़ी इलाक़े में यह करके दिखाना आसान नहीं था। लेकिन राजनीतिक प्रतिबद्धता और स्वास्थ्य विभाग की कर्मठता ने हर बाधा का समाधान निकालकर इसे सम्भव करके दूसरों के सामने एक मिसाल क़ायम की है।

केरल में इस साल के मध्य में कोरोना वायरस के मामले काफ़ी बढ़े और पूरे देश का ध्यान वहाँ चला गया था, मगर वहाँ टीकाकरण की गति बढ़ाने पर ज़ोर दिया गया। आबादी के हिसाब से टीकों का वितरण नहीं होने के चलते भी कई राज्य पीछे रह गये हैं। जैसे- उत्तर प्रदेश की आबादी 23 करोड़ से अधिक है और देश की कुल आबादी में इसकी हिस्सेदारी 17.4 फ़ीसदी है, मगर टीकों में हिस्सेदारी 11.9 फ़ीसदी है। पश्चिम बंगाल की कुल आबादी में हिस्सेदारी 7.3 फ़ीसदी है, मगर टीकों में हिस्सेदारी 6.7 फ़ीसदी है। बिहार की कुल आबादी में हिस्सेदारी 9.1 फ़ीसदी है, मगर टीके 6.2 फ़ीसदी लगे हैं। तमिलनाडु का हिस्सा कुल आबादी में 5.7 फ़ीसदी है, मगर टीकों में हिस्सेदारी 5.3 फ़ीसदी है।

वहीं कुछ राज्य ऐसे भी हैं, जिन्होंने आबादी के अनुपात से अधिक टीके लगाये हैं। दिल्ली की कुल आबादी में हिस्सेदारी 1.4 फ़ीसदी है, मगर टीकों में हिस्सेदारी 2.0 फ़ीसदी और केरल की कुल आबादी में भागीदारी 2.6 फ़ीसदी, मगर टीकाकरण में हिस्सेदारी 3.7 फ़ीसदी है। हरियाणा का हिस्सा कुल आबादी में 2.1 फ़ीसदी है, मगर टीकों में हिस्सेदारी 2.2 फ़ीसदी है। पंजाब की कुल आबादी में 2.2 फ़ीसदी है, मगर टीकों में 2.1 फ़ीसदी हिस्सेदारी है। उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, तमिलनाडु टीकाकरण में पीछे चल रहे हैं। उत्तर प्रदेश की स्थिति इस सन्दर्भ में सबसे ख़राब है, यानी देश का सबसे अधिक आबादी वाला यह प्रदेश सबसे पीछे नज़र आ रहा है।

अब तक उपलब्ध आँकड़ों के अनुसार, सबसे कम टीकों वाले आठ ज़िलों में सात उत्तर प्रदेश के हैं। इस सूची में रायबरेली, संभल, बदायूँ, मुरादाबाद, सीतापुर, कासगंज और सुल्तानपुर शामिल हैं। पंजाब का फ़िरोज़पुर भी इसी सूची का आठवाँ ज़िला है।

सवाल यह है कि विश्व पटल पर भारत की क्या स्थिति है? इसके बारे में आँकड़े बहुत कुछ बोलते हैं। 20 अक्टूबर तक उपलब्ध आँकड़ों के मुताबिक, दक्षिण कोरिया दुनिया के 30 सबसे बड़े देशों में शीर्ष पर है, जिसने अपनी 79 फ़ीसदी आबादी को पहला टीका लगा दिया है। उसके बाद इटली, चीन, जापान, फ्रांस, ब्राजील, इंग्लेंड, जर्मनी, अमेरिका और टर्की की नंबर आता है। चीन जहाँ दुनिया की सबसे अधिक आबादी बसती है, वहाँ 76 फ़ीसदी आबादी को पहला टीका लग चुका है और 71 फ़ीसदी को दोनों टीके लग चुके हैं। अमेरिका में 56 फ़ीसदी को दोनों टीके लग चुके हैं। भारत में 75 फ़ीसदी को पहला और 30.6 फ़ीसदी को दोनों टीके लग चुके हैं।

इस सन्दर्भ में भारत चीन से काफ़ी पिछड़ता दिखायी दे रहा है। दरअसल भारत के समक्ष एक बहुत बड़ी चुनौती यह है कि लोग अभी भी टीकाकरण से कतरा रहे हैं। बेशक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 100 करोड़ टीकाकरण के मौक़े पर कहा है- ‘कोरोना वायरस के मुक़ाबले में यह यात्रा अद्भुत रही है; विशेषकर जब हम याद करते हैं कि 2020 की शुरुआती परिस्थितियाँ कैसी थीं? हमें याद है कि उस समय स्थिति कितनी अप्रत्याशित थी; क्योंकि हम एक अज्ञात और अदृश्य शत्रु का मुक़ाबला कर रहे थे। चिन्ता से आश्वासन तक की यात्रा पूरी हो चुकी है और दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान के फलस्वरूप हमारा देश और भी मज़बूत होकर उभरा है। इसे वास्तव में एक भागीरथ प्रयास मानना चाहिए, जिसमें समाज के कई वर्ग शामिल हुए।’

इसमें कोई दो-राय नहीं कि टीकाकरण अभियान के शुरुआती दौर में कई बाधाएँ सामने आयीं और टीकाकरण को रफ़्तार देने के लिए विशेष दिनों पर विशेष लक्ष्य हासिल करने के वास्ते कार्यक्रम भी बनाये गये। इस 100 करोड़ टीकाकरण वाली उपलब्धि के साथ-साथ जो चुनौतियाँ अभी भी हैं, उनसे निपटने के लिए सरकार को विशेष प्रयास करने होंगे। इसी साल सितंबर में 70 करोड़ से 80 करोड़ टीकाकरण करने का आँकड़ा छूने में 11 दिन लगे थे और 80 करोड़ से 100 करोड़ होने में 31 दिन लगे।

अब टीकाकरण का औसत रोज़ाना 36 लाख है; यानी रफ़्तार में कमी आयी है। दूसरी ख़ुराक लेने वाले भी टीकाकरण केंद्रों में अपेक्षित संख्या में नहीं पहुँच रहे हैं। और कई राज्य सरकारों के सामने यह बहुत बड़ी समस्या है। हरियाणा के फ़रीदाबाद ज़िले का स्वास्थ्य विभाग ऐसी ही समस्या से जूझ रहा है। इस ज़िले के क़रीब डेढ़ लाख लोग कोरोना-टीके की दूसरी ख़ुराक लगवाने के लिए नहीं आ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि दूसरी ख़ुराक अभी तक 48 फ़ीसदी लोगों की ही लग पायी है। स्वास्थ्य केंद्रों पर टीके उपलब्ध हैं; लेकिन लोग नहीं आ रहे। इसका हल स्वास्थ्य विभाग ने यह निकाला है कि अब इन लोगों की तलाश कर एएनएम और स्वास्थ्यकर्मियों को इनके घर भेजकर वहीं उनका टीकाकरण कराया जाएगा। मध्य प्रदेश में टीके की पहली ख़ुराक को लेकर अच्छा काम किया; लेकिन दूसरी ख़ुराक को लेकर नागरिकों की उदासीनता सरकार के लिए परेशानी का कारण बन गयी है। सरकार व प्रशासन की तमाम प्रयासों के बावजूद कम लोग ही दूसरी ख़ुराक के लिए आ रहे हैं। अभी तक केवल 32 फ़ीसदी लोगों को ही दूसरी ख़ुराक लग पायी है। भाजपा शासित इस राज्य में वर्तमान में क़रीब 30 लाख ऐसे लोग हैं, जिन्होंने अवधि निकलने के बाद भी दूसरी ख़ुराक नहीं लगवायी है। इस प्रदेश के मुख्य शिवराज सिंह चौहान ने इस साल दिसंबर तक सभी पात्र वयस्कों को टीके की दोनों ख़ुराकें लगाने का लक्ष्य रखा है। मगर सरकार के लिए यह लक्ष्य हासिल करना एक चुनौती बन गया है।

सभी वयस्कों के पूर्ण टीकाकरण के लिए क़रीब 90 करोड़ टीकों की ज़रूरत पड़ेगी और अगर सरकार दो साल से अधिक आयु के सभी बच्चों का टीकाकरण का फ़ैसला लेती है, तो उनके लिए 80 करोड़ टीकों की ज़रूरत होगी। बेशक टीकों की इस समय क़िल्लत नहीं है, मगर सरकारी तंत्र का ध्यान टीकाकरण की रफ़्तार में ढिलाई नहीं आने पर होना चाहिए। विभिन्न देशों के अध्ययन यही बताते हैं कि कोरोना-टीके की दोनों ख़ुराकें बेहतर तरीक़े से सुरक्षा कवच का काम करती हैं।

बीमार होने पर रोगी के अस्पताल जाने की सम्भावना कम होती है। अगर अस्पताल में भर्ती होता भी है, तो उसे ऑक्सीजन और आईसीयू बेड की ज़रूरत बहुत ही कम पड़ती है। अर्थात् वह अधिक गम्भीर श्रेणी में बहुत कम ही आता है। कोरोना वायरस का ख़तरा अभी बना हुआ है। 100 करोड़ टीकाकरण के अहम पड़ाव को हासिल करने के साथ सरकार, समाज और आम नागरिक को सजग चौकीदार की भूमिका में अभी बने रहना होगा। न्यूजीलैंड में कोरोना वायरस के मामले आ रहे हैं। रूस में कोरोना का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। हालात के मद्देनज़र मॉस्को के मेयर ने राजधानी में 28 अक्टूबर से 11 दिन तक लॉकडाउन लगाने का ऐलान किया है। भारत में बेशक इन दिनों कोरोना के मामले घट रहे हैं, मगर इस बधाई वाले माहौल में अधिक दूरदर्शिता दिखानी होगी।