हौसले की उड़ान

विलियम शेक्सपियर ने अपनी किताब ‘हेमलेट’ में लिखा है- ‘निर्बलता, तुम्हारा दूसरा नाम स्त्री है।’ लेकिन भारत में ऐसा नहीं है; क्योंकि यहाँ समय-समय पर महिलाओं ने अपने कौशल और पराक्रम से दुनिया भर को चकित किया है। अब लिंग समानता की दिशा में देश में एक बड़ा कदम उठाया गया है और महिलाएँ युद्धक्षेत्र में प्रवेश कर रही हैं। हालाँकि यह कोई नयी बात नहीं है, क्योंकि यहाँ पर रानी लक्ष्मीबाई जैसी वीरांगनाएँ भी हुई हैं, जो युद्ध भूमि पर अकेले ही दुश्मनों के हौसले पस्त कर चुकी हैं। लेकिन अब सीमाओं और सम्प्रभुता की रक्षा करने की ज़िम्मेदारी सशस्त्र बलों के पास रहती है और यदि इन बलों में सीमाओं की रक्षा में अपनी क्षमता दिखाने के लिए महिलाओं को एक स्तरीय अवसर मिलता है, तो इससे बेहतर और कोई घटना नहीं हो सकती। आज महिलाएँ अग्रिम मोर्चों पर सशस्त्र संघर्षों की एक सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। हाल में चीन के साथ सीमा पर तनाव के बीच लद्दाख के निम्मू की अचानक यात्रा करने के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि ‘मैं सीमा पर युद्ध के मैदान में मेरे सामने महिला सैनिकों को देख रहा हूँ और यह दृश्य प्रेरणादायक है।’

राफेल के 17 गोल्डन एरो स्क्वाड्रन का हिस्सा बनने के लिए अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर इन दिनों महिला पायलट को प्रशिक्षित किया जा रहा है। एक महिला पायलट, जो मिग-21 लड़ाकू विमान उड़ा रही हैं; मल्टी-रोल राफेल लड़ाकू विमानों का संचालन करने वाले गोल्डन एरो स्क्वाड्रन में शामिल होने के लिए तैयार हैं। चूँकि राफेल एक बहुत शक्तिशाली विमान है, लिहाज़ा इसके चुनिंदा चालक दल में एक महिला पायलट का होना बहुत महत्त्वपूर्ण है। करीब 23 साल पहले रूस से आयातित सुखोई जेट विमानों के बाद राफेल जेट विमान भारतीय वायुसेना के बेड़े में आये पहले बड़े जेट विमान हैं। अंबाला एयरबेस में 10 सितंबर को पाँच फ्रांस निर्मित बहुउद्देशीय राफेल लड़ाकू विमानों को भारतीय वायु सेना में शामिल किया था।

अब एक ऐतिहासिक पहल के रूप में दो महिला अधिकारी सब-लेफ्टिनेंट कुमुदिनी त्यागी और सब-लेफ्टिनेंट रीति सिंह को भारतीय नौसेना के युद्धपोतों पर तैनात किया जाएगा। वे युद्धपोतों के डेक से काम करने वाली भारत की पहली महिला विमान चालक होंगी। नौसेना आमतौर पर रसद और चिकित्सा क्षेत्र में महिला कर्मचारियों को तैनात करती है। वास्तव में पहले महिलाओं की प्रविष्टि (भर्ती) गोपनीयता की कमी सहित कई कारणों से एक निश्चित विंग एयरक्राफ्ट तक ही सीमित थी। अब महिला अधिकारी लड़ाकों के रूप में काम करने वाली अग्रिम पंक्तियों में होंगी। इस दौरान वायु सेना में महिला अधिकारियों की संख्या बढ़कर 1875 हो गयी है, जिनमें 10 महिला अधिकारी लड़ाकू पायलट और 18 नेविगेटर हैं।

सन् 2015 में एक शुरुआत की गयी थी, जब सरकार ने प्रयोग के रूप में महिलाओं के लिए लड़ाकू क्षेत्र खोलने का फैसला किया था। सन् 2016 में तीन महिला पायलट अवनि चतुर्वेदी, भावना कंठ और मोहना सिंह को फ्लाइंग अफसर के रूप में कमीशन किया गया था। दो साल बाद सन् 2018 में फ्लाइंग अफसर अवनी चतुर्वेदी ने लड़ाकू विमान उड़ाया था। उन्होंने अकेले लड़ाकू विमान उड़ाकर पहली भारतीय महिला होने का गौरव हासिल करके इतिहास रच दिया था। अब रक्षा मंत्रालय ने महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। निश्चित ही यह एक सकारात्मक खबर है और इससे देश की तमाम बेटियों को सकारात्मक ऊर्जा मिलेगी। इतना ही नहीं, उनमें आगे बढ़कर देश की रक्षा करने का एक नया ज•बा और साहस पैदा होगा।