हॉकी टीम की अग्निपरीक्षा है एफआईएच प्रो लीग

ओलंपिक खेलों में भारत की पहचान केवल हॉकी के कारण ही बनी है। आज तक ओलंपिक के 120 साल के इतिहास में भारत ने जो 28 पदक जीते हैं, उनमें से 11 अकेले हॉकी में आये हैं। इनमें से नौ स्वर्ण पदक हैं, जिनमें से आठ हॉकी में आये हैं। व्यक्तिगत मुकाबलों में एकमात्र स्वर्ण पदक अभिनव बिंद्रा ने निशानेबाज़ी में जीता है। यह भी महत्त्वपूर्ण है कि हॉकी को छोडक़र भारत ने किसी भी और टीम स्पर्धा में टोक्यो ओलंपिक 2020 के लिए क्वालीफाई नहीं किया है।

बाकी टीमों-फुटबॉल, वॉलीबॉल, बास्केटबॉल, हैंडबॉल वगैरा में तो भारत एशिया स्तर भी काफी कमज़ोर है। फुटबाल में 1956 के मेलबोर्न ओलंपिक में भारत सेमीफाइनल तक पहँुचा, या फिर 1962 के एशियायी खेलों में भारत का प्रदर्शन शानदार रहा; लेकिन 1970 के एशियाड मेें जापान को 1-0 से हराने के बाद कांस्य पदक जीतने वाली भारत की फुटबॉल टीम पिछले 50 साल से कुछ नहीं कर पायी। यहाँ तक कि नेपाल जैसा देश भी कुछ नहीं कर पाया। यहाँ तक कि नेपाल जैसा देश भी भारत के बराबर खड़ा हो गया है। इस साल होने वाले टोक्यो ओलंपिक में भी भारत की नज़रें पुरुष हॉकी पर रहेंगी। यहाँ भी पदकों का अकाल है। 1980 के मास्को ओलेंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के बाद पिछले 40 साल में देश की हॉकी टीम पदक के लिए तरस रही है। 1986 के लंदन विश्वकप में 12 टीमों में 120वें नम्बर पर रहने वाली यह टीम 2008 के ओलंपिक के लिए क्वालीफाई भी नहीं कर पायी थी। पर 2012 ओलंपिक और 2016 के रियो ओलंपिक में भारत का प्रदर्शन कुछ सुधरा। इस दौरान देश की हॉकी फैडरेशन में कुछ बदलाव आये। कई कोच बदले गये। विदेशी प्रशिक्षकों की सेवाएँ ली गयी। युवा खिलाडिय़ों को अवसर दिये गये और भारत फिर से आस्ट्रेलिया, जर्मनी, नीदरलैंड्स जैसी टीमों के लिए चुनौती बन गया। इस बीच यूरोप में बेल्जियम जैसी टीम और अमेरिकी महाद्वीप मे अर्जेंटीना जैसी नयी ताकतें भी उभरी। भारत के प्रशिक्षक ग्रहम रीड का दावा है कि इस बार भारत हॉकी पदक लेकर आयेगा। कुछ हॉकी पंडित इस बार भारत को टॉप की चार टीमों में आने का दावा कर रहे हैं।

ओलंपिक खेल तो अभी लगभग छ: महीने दूर हैं पर एफआईएच प्रो लीग में भारत अपने दोनों मैच पिछले कांस्य पदक विजेता नीदरलैंड्स के साथ इसी माह में खेलने वाला है। इस तरह विश्व की पाँच नम्बर की टीम भारत की ओलंपिक के लिए तैयारी का अंदाज़ा हो जाएगा। इस प्रो लीग में विश्व की सभी बड़ी टीमें हिस्सा ले रही हैं। नीदरलैंड के बाद भारत अगले दो मैच 8 और 9 फरवरी को बेल्जियम के साथ और फिर दो मैच 22 और 23 फरवरी को आस्ट्रेलिया के साथ खेलेगा। इसके बाद भारत की टीम जर्मनी जाएगी और वहाँ 25 और 26 अप्रैल को जर्मनी के साथ दो मैच खेलेगी। ग्रेट ब्रिटेन के साथ भारत 2 और 3 मई को खेलेगा। 1976 की स्वर्ण पदक विजेता, न्यूजीलैंड की टीम के साथ भारत के दो मैच भारत में 23 और 24 मई को खेले जाएँगे। इसके बाद यह टीम ओलंपिक चैंपियन अर्जेंटीना के साथ खेलने वहाँ जाएगी। भारत की टीम अपनी पूरी शक्ति से उतरेगी। चोट के कारण टीम से बाहर रहे चिंगलेनसाना और सुमित दोनों अब पूरी तरह फिट हैं और टीम में खेलने को अब तैयार हैं।

भारत ने नीदरलैंड को 5-2 से हराया एफआईएच प्रो हॉकी लीग के पहले मुकाबले में भारत ने विश्व में तीसरे नम्बर की टीम नीदरलैंड पर 5-2 से शानदार विजय हासिल की। दूसरे चरण में ये दोनों टीमें फिर भिड़ेंगी। इस मुकाबले में नीदरलैंड का पलड़ा भारी समझा जा रहा था, पर मंदीप सिंह और गुरजंट सिंह के तालमेल ने पहले 30 सेकेंड में भारत के लिए पहला गोल दाग दिया (1-0)। टीम के लिए दूसरा गोल तीसरे मिनट में रुपिंदर पाल सिंह ने तीसरे मिनट में पेनाल्टी कॉर्नर को गोल में बदलकर भारत को 2-0 की बढ़त दिला दी। जिप जेनसेन ने पेनाल्टी कॉर्नर पर गोल कर बढ़त को 2-1 कर दिया और जिरियन हर्टसबगर ने शानदार क्लिक से टीम को बराबरी पर ला दिया (2-2) यह गोल आधे समय की सीटी पर आया। पर तीसरे क्वार्टर में भारत ने अपने हमले जारी रखते हुए हरमनप्रीत और ललित उपाध्याय के गोलों से 4-2 की बढ़त हासिल कर ली। भारत का पाँचवा गोल 47वें मिनट में रुपिंदर पाल ने किया (5-2)।