हिमाचल का आईटी और फार्मा पर बड़ा दाँव

विकास को मिली गति, बड़े निवेश की सम्भावना से जगा उत्साह

हिमाचल प्रदेश की योजना राज्य को सूचना प्रौद्योगिकी और फार्मा उद्योग का केंद्र बनाने की है। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने ‘तहलका’ से बातचीत में कहा कि प्रस्तावित फार्मा पार्क से 40,000 करोड़ रुपये से 50,000 करोड़ रुपये के बीच निवेश आएगा। साथ ही पर्यावरण के अनुकूल निवेश को आकर्षित करने के लिए आईटी हब का ख़ाका विकास को गति देगा। इस पर विस्तार से बता रहे हैं अनिल मनोचा :-

हिमाचल प्रदेश दवा निर्माण में अग्रणी रहा है। भारत की एक-चौथाई से अधिक फॉर्मूलेशन दवाओं का उत्पादन और आपूर्ति  प्रदेश के औद्योगिक नगर बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ (बीबीएन) से की जाती है, जिसमें डॉ. रेड्डी, रैनबैक्सी, सिप्ला, मोरपैन, कैडिला अदि 700 से अधिक फार्मा इकाइयाँ हैं। सरकार ने 1,400 एकड़ ज़मीन इसके लिए चयनित की है। केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने राज्य सरकार द्वारा ऊना ज़िले में समर्पित बल्क ड्रग्स पार्क (जो दवा का एक प्रमुख घटक है) के लिए भेजे संशोधित प्रस्ताव पर अनुकूल प्रतिक्रिया दी है।

फार्मा पार्क के लिए बोली

इस संवाददाता से एक विशेष साक्षात्कार में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने बताया कि राज्य ने प्रस्तावित फार्मा पार्क के लिए बेहतर बोली लगायी है और इसके हासिल करने की सम्भावना है। उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा देश भर में ऐसे तीन पार्कों की स्थापना की जानी है और हिमाचल प्रदेश इसे प्राप्त करने के लिए सकारात्मक है। उन्होंने कहा- ‘वास्तव में प्रस्तावित पार्क के लिए प्रिंसिपल (मुख्य) मंज़ूरी दे दी गयी है। प्रस्तावित पार्क अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार के अवसर पैदा करने के अलावा क़रीब 20,000 प्रत्यक्ष रोज़गार पैदा करेगा। राज्य निवेशकों को विशेष रियायती बिजली और पानी की दरों की पेशकश करेगा।’

हिमाचल प्रदेश भारत में फार्मास्युटिकल उद्योग में सबसे तेज़ी से बढ़ते क्षेत्रों में से एक है। वर्ष 2020 में राज्य से दवा निर्माण और जैविक का निर्यात 822.0 मिलियन अमेरिकी डॉलर था और वर्ष 2021 में 814.39 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया है। शिमला और सोलन के बीच 106 एकड़ भूमि पर आईटी पार्क स्थापित करने का प्रस्ताव है। कांगड़ा के गग्गल में फार्मा पार्क के साथ मिलकर राज्य में युवाओं के लिए रोज़गार पैदा होगा और यह विकास के लिए वरदान होगा। मुख्यमंत्री ने यह बात स्वीकार की कि सरकार को आईटी क्षमता का जल्द-से-जल्द दोहन करना चाहिए था। हालाँकि उन्होंने कहा कि फार्मा पार्क के साथ आईटी पहल से राज्य को वापसी में मदद मिलेगी।

वर्तमान में 50 फ़ीसदी से अधिक सामग्री अकेले चीन से आयात की जाती है। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डी.वी. सदानंद गौड़ा से भी  सिलसिले मुलाक़ात की और कहा कि यह पहाड़ी राज्य के लिए एक परिवर्तन का बड़ा कारण होगा। उन्होंने कहा कि बायो-टेक और फार्मा क्षेत्र राज्य के लिए चमत्कार करेंगे। उन्होंने स्वीकार किया कि कुछ फार्मा इकाइयाँ उन्हें दी गयीं, जो विशेष रियायतों के समाप्त होने के बाद बन्द कर दी गयीं; लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि ये इकाइयाँ वो थीं, जो लगातार घाटे में चल रही थीं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल को निवेश का पसन्दीदा स्थान बनाने के साथ ही सरकार ने कई समाज कल्याण योजनाएँ शुरू की हैं। इनमें प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना शामिल है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग़रीबी रेखा से नीचे के परिवारों की महिलाओं को 50 मिलियन एलपीजी कनेक्शन वितरित करने के लिए शुरू किया था। राज्य ने योजना के प्रावधानों के अनुसार 1.36 लाख एलपीजी कनेक्शन प्रदान किये। चूँकि इसके तहत पूरे घरों को कवर नहीं किया गया था, इसलिए बाद में 3.25 लाख एलपीजी कनेक्शन प्रदान किये गये।

उन्होंने दावा किया कि जनमन की उनकी अवधारणा काफ़ी लोकप्रिय साबित हुई; क्योंकि इसका अर्थ है- ‘सरकार को जनता के दरवाज़े तक ले जाना।’ यदि समस्या के समाधान की आवश्यकता है, तो समस्याओं का उपायुक्त स्तर पर, मंत्रियों के स्तर पर और अन्त में मंत्रिमंडल के स्तर पर समाधान किया जाता है। आयुष्मान भारत योजना के बारे में उन्होंने दावा किया कि शुरुआत में लगभग 22 लाख लोगों को योजना के तहत कवर किया गया था; लेकिन अब पूरी आबादी को कवर किया गया है। दिव्यांगों में 70 साल से ऊपर आयु के पुरुष और 65 से ऊपर की महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा उपाय के रूप में पेंशन मिल रही है, जबकि लड़कियों की शादी में मदद करने के लिए मुख्यमंत्री की शगुन योजना लागू की गयी है।

ज़रूरी मुद्दों पर ध्यान

निवेश आकर्षित करने में आने वाली बाधाओं के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा कि परिवहन, कनेक्टिविटी और बुनियादी ढाँचे जैसे कुछ मुद्दे हैं। लेकिन सरकार निकट भविष्य में मंडी में हवाई अड्डे को शुरू करने, विभिन्न सडक़ों को चार लेन बनाने और विकास के लिए अधिक अनुकूल वातावरण प्रदान करने पर काम कर रही है। ट्रांसपोर्ट यूनियनों के सम्बन्ध में कुछ मुद्दा था; लेकिन उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर होने के बाद चीज़ें सामान्य हो रही हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार ने बदले की राजनीति पर काम न करके समाज के हर वर्ग को विकास की धारा में शामिल किया है। उन्होंने दावा किया कि उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि पिछली सरकार के पाँच साल के कार्यकाल की तुलना में चार साल से भी कम समय में राज्य में अधिक समावेशी विकास सुनिश्चित करना है।

हिमाचल प्रदेश में 27,000 मेगावाट पनबिजली पैदा करने की क्षमता है। लेकिन पूरी क्षमता का दोहन नहीं किया गया है। इसके लिए उन्होंने पाया कि अभी तक केवल 26 फ़ीसदी क्षमता का उपयोग किया गया है। उन्होंने माना कि बिजली नीति को और अधिक लचीला बनाने की ज़रूरत है। साथ ही हिमाचल में बिजली के बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करने के लिए 210 मेगावॉट की लुहरी प्रथम चरण जलविद्युत परियोजना को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नवंबर 2020 में 1,810 करोड़ (245.41 मिलियन डालर) की मंज़ूरी दी गयी थी।

मुख्यमंत्री का कहना है कि बाग़वानी और कृषि राज्य की अर्थ-व्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हिमाचल में एक मज़बूत खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र है। राज्य की प्राकृतिक सुन्दरता के कारण पर्यटन की अपार सम्भावनाएँ हैं। हालाँकि राज्य सरकार केवल शिमला या मनाली के अलावा अन्य स्थलों को विकसित करने की इच्छुक थी। पहले से ही दुनिया की सबसे लम्बी रोहतांग सुरंग इतनी ऊँचाई पर पर्यटकों की भीड़ को आकर्षित कर रही थी। साहसिक खेलों के अलावा निकट भविष्य में जल क्रीड़ाओं का संचालन किया जा रहा था। लाहौल भी एक लोकप्रिय गंतव्य के रूप में उभर रहा था। इसके अलावा मंडी में 200 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जा रहा शिव धाम एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण बनने की सम्भावना है।

कोरोना महामारी के बावजूद वैश्विक निवेशक सम्मेलन के बाद राज्य 96,000 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों को आकर्षित करने में सक्षम हुआ है, जिसमें से 13,500 करोड़ रुपये का निवेश पहले ही ज़मीन पर आ चुका है। इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए देश में शीर्ष राज्य के रूप में उभरने के लिए राज्य ने जून तक पूरी आबादी को 100 फ़ीसदी कोरोना टीकाकरण का गौरव हासिल किया था। राज्य का लक्ष्य नवंबर के अन्त तक ही पूर्ण टीकाकरण का गौरव हासिल करना है।

विभिन्न उद्योगों के विकास पैटर्न से पता चलता है कि इस अवधि में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में सबसे अधिक वृद्धि देखी गयी है। इसके बाद विविध इंजीनियरिंग, फार्मा उत्पाद, प्लास्टिक, पैकेजिंग, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स में सबसे कम वृद्धि दर्ज की गयी है, जबकि सबसे कम वृद्धि फुटवियर, एरोमैटिक / मेडिकल हब्र्स बेस्ड शॉप, केमिकल्स और ऑटोमोबाइल्स उद्योगों में दर्ज की गयी है। इसके अलावा औद्योगिक क्षेत्र के विकास में बहुत कम समय में कई ज़िलों में फैल गयी है। पिछड़े ज़िलों की तुलना में सोलन, सिरमौर और ऊना जैसे उन्नत ज़िले अपने स्थान और बेहतर बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता के कारण अधिक औद्योगीकृत हो गये हैं।