हिंडनबर्ग-अडानी विवाद में जेपीसी जांच की मांग को लेकर संसद के बाहर विपक्ष का विरोध प्रदर्शन

संसद में सोमवार को गांधी प्रतिमा के सामने विपक्षी दलों ने विरोध प्रदर्शन किया और हिंडनबर्ग-अडानी विवाद की संयुक्त संसदीय समिति जांच या उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच की मांग की है।

सूत्रों के अनुसार, विपक्षी दलों ने फैसला किया है कि वे इस मुद्दे पर चर्चा के लिए दोनों सदनों में स्थगन प्रस्ताव की मांग करेंगे। साथ ही विपक्ष ने अडानी के मुद्दे के अलावा किसी और मुद्दे पर बातचीत न करने का भी फैसला किया है।

विपक्षी दलों के नेताओं ने संसद में विपक्ष के नेता और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के कक्ष में मुलाकात की और अडानी-हिंडनबर्ग पंक्ति और अन्य मुद्दों पर रणनीति पर चर्चा की।

मल्लिकार्जुन खड़गे के कक्ष में हुई बैठक में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस), जनता दल (यूनाइटेड), समाजवादी पार्टी (एसपी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम), केरल कांग्रेस (जोस मनी), झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी), आम आदमी पार्टी (आप), इण्डियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल), राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), और शिवसेना ने भाग लिया।

बता दें, कांग्रेस पार्टी आज कथित अडानी घोटाले के विरोध में जीवन बीमा निगम (एलआईसी) कार्यालयों और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की शाखाओं के सामने देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करेगी।

जहां एक तरफ कांग्रेस को अडानी मुद्दे पर अन्य विपक्षी पार्टियों का समर्थन मिल रहा है वहीं दूसरी तरफ यह देखना होगा कि सभाओं में एक साथ नजर आने वाली भारत राष्ट्र समिति, आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस जैसी पार्टियां कांग्रेस के प्रदर्शन में शामिल होंगी या नहीं। हालांकि, बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) और जनता दल ने कांग्रेस पार्टी से इस मुद्दे पर दूरी बनायी हुई है।

विपक्षी दलों के सांसदों का कहना है कि, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों जैसे एसबीआई और एलआईसी में अडानी समूह के निवेश का मध्यम वर्ग की बचत पर बड़ा प्रभाव पड़ा है। और सरकार इस मुद्दे पर संसद में चर्चा नहीं होने दे रही है। संसद में हंगामे के बाद संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही छह फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी गई।

आपको बता दें, अमेरिका स्थित हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट 24 जनवरी को सामने आई थी। इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अडानी समूह के पास कमजोर व्यापारिक बुनियादी सिद्धांत थे, और वह स्टॉक हेरफेर और लेखांकन धोखाधड़ी में शामिल था।