सेहत पर पहरा ही पहरा

अजीब विडम्बना कहें की सरकार की उदासीनता जिसकी ड्यूटी सही मायने में बॉडर पर दुश्मनों से छक्के छुड़ाने की है वे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स में बड़े आराम से ड़्यूटी कर अपनी नौकरी कर रहे हंै। एम्स में कई माह से अर्ध सैनिक बल के लोग ड्यूटी दे रहे हैं जिससे एम्स के डाक्टरों, स्वास्थ्य कर्मचारियों सहित एम्स के ही स्थाई सुरक्षा कर्मचारी अपना विरोध एम्स प्रशासन और गृह मंत्रालय के समक्ष कर चुके हंै पर कार्रवाई के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ है।

सबसे गंभीर बात यह है एम्स में लगभग दो हजार के करीब प्राईवेट सुरक्षा गार्ड है और एक सौ के लगभग एम्स के ही सुरक्षा कर्मचारी है जो एम्स में प्रोटोकॉल विभाग से जुड़े कार्य को करने में लगे हंै। पर ऐसा क्या है कि एम्स में अर्ध सैनिक बल लगे है और तो ओर अर्ध सैनिक अधिकारी को अजो बंगला दिया गया है वो प्रोफेसर और सहायक प्रोफेसर के लिये अलॉट होता है। ऐसे में उन डाक्टरों में बड़ी नाराजग़ी है जिनको सही मायने में अलॉट होना चाहिए पर सारे नियमों को धत्ता बताकर एम्स में अर्धसैनिक बलों का बोलवाला है। अर्धसैनिक बल आईटीबीपी से है एम्स प्रशासन का कहना है डेपुटेशन में आईटीबीपी को तैनात किया गया है। जबकि एम्स की आरडीए का कहना है कि जब एम्स में प्राईवेट और एम्स के ही सुरक्षा कर्मचारियों की लम्बी फौज है तो ऐसे में अर्ध सैनिक बलों का एम्स में तैनात होना पूरी तरह से गलत है। एम्स के ही डॉ कुलदीप का कहना है अस्पताल में मरीज दुखी हालत अपना इलाज कराने आता है ऐसे में एम्स के ही सुरक्षा गार्ड ही काफी है क्योंकि सरकार अर्ध सैनिक बलों पर करोड़ो रूपए खर्च करती है विशेष टेऊनिंग दी जाती है ऐसे में स्वास्थ्य संस्थाओं में अर्धसैनिक बलों का तैनात रहना उचित नहीं है। एम्स के सुरक्षा कर्मचारी पवन का कहना है कि जो सैनिक बल तैनात रहते है वो शस्त्र लेकर पूरे एम्स परिसर में घूमते रहते है इससे एक भय का माहौल बनना है।

एम्स में इलाज कराने आए उत्तर -प्रदेश महोबा के रमन सिंह चंदेल ने बताया कि एम्स में अर्ध सैनिक कर्मचारी से उनका ओपीडी कार्ड बनवाने के दौरान काफी बहस हो गयी थी जिसके कारण उनका ओपीडी कार्ड तक नहीं बन पाया था। जिसकी शिकायत उन्होंने एम्स प्रशासन से की थी पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाने के कारण उनको बिना इलाज करायें ही वापिस जाना पड़ा ।

मौजूदा हालात में एम्स में इलाज कराना काफी दिक्कत भरा है। एक अतरक ऑन लाइन सिस्टम का दावा किया जाता है पर कई बार मरीज दूर दराज इलाके से ऑन लाइन अपॉइमेन्ट ले लेता है पर एम्स में जैसे मरीज अपना अपॉइमेंट का पर्चा व तारीख बताता है तो उसका एम्स के कम्प्यूटर में नाम ही दर्ज नहीं होता है और एम्स के सॉफटवेयर में गड़बड़ी होने के कारण मरीज का अपॉइमेंट कैंसिल हो जाता है ऐसे में मरीज इधर – उधर भटकता रहता है। ऐसे ऑन लाइन सिस्टम के दौरान अर्धसैनिक बल के लोग अपना ओपीडी कार्ड बनवाने में सफल रहते है और तो ओर उनके परिचित मरीजों को भर्ती होने तक में दिक्क्त नहीं आती है। ऐसें में ठगा असहाय सा गरीब मरीज इलाज की आस में एम्स में भटकता रहता है। दिल्ली के शाहदरा निवासी पीयूष ने बताया कि वह अपने चाचा के इलाज के लिये एम्स में गए थे तब भी उनको वहां पर प्राइवेट की तानाशाही से ऑथोपैडिक्स विभाग में दिक्कत हुई फिर एक्सरे विभाग में अर्ध सैनिक बलों से दो -चार होना पड़ा ।

एम्स के सीनियर डाकटरों ने बताया कि एम्स में वैसे ही मरीजों की भीड़ है और एम्स में सही मायने में गरीब मरीजों का उपचार बड़ी मुश्किल से हो पाता है यहां पर अप्रोच और सिफारिशी लोगों का इलाज आनन -फानन में हो जाता है ऐसे में अर्ध सैनिक बलों का बढ़ता दखल मरीजों और डाक्टरों के लिये काफी मुसीबत का सबब बना हुआ है उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय को इस मामलें में हस्तक्षेप करना चाहिये ताकि एम्स का सही मायने में मरीजों को लाभ मिल सकें।

एम्स के सुरक्षा अधिकारी ने नाम न छापने पर बताया कि एम्स परिसर में सांसदों और वीआईपी की गाडिय़ों का आना जाना स्वीकृत है पर अर्ध सैनिक के कर्मचारी जहां मर्जी वहीं गाड़ी खड़ी कर देते है ऐसे में परिसर में अक्सर जाम लगने की स्थिति बनी रहती है।

इस बारे में आईटीबीपी के ही वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आईटीबीपी के अर्ध सैनिक बलों का काम बार्डर में हैं पर ये तो सरकार का आदेश होता है कि किस से कहा काम लेना है इस बारे में सरकार जो भी आदेश करेगी उसका पालन होगा।

समाज सेवी राजेश कुमार का कहना है उन्होंने एम्स में अर्ध सैनिक बलों की तैनाती को लेकर केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से लिखित में शिकायत भी की है। बार्डर में इस समय सही मायने में अर्ध सैनिक बलों की जरूरत है पर एम्स में तैनाती के कारण सरकार के पैसा की बर्वादी के अलावा कुछ नहीं है। मनोज पुड़ींर ने केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चैबे को लिखित में शिकायत भेज कर प्राईवेट सुरक्षा गार्ड की संख्या में कटौती करने और अर्धसैनिक बलों की तैनाती को लेकर सरकार के पैसा की बर्बादी बताया और तुरन्त हस्तक्षेप करने की अपील की है।

शाहदरा निवासी पीयूष ने केंन्द्रीय मंत्री डॉ हर्ष वर्धन को भी अपनी शिकायत में कहा कि एम्स में सुरक्षा के नाम पर मरीजों को परेशान किया जा रहा उनके चाचा के साथ जो अभद्रता की गई है उन्होंने कहा कि सुरक्षा व्यवस्था से जुड़े कर्मचारियो व अधिकारियो का पहला ध्येय होता है कि वो मरीजों को साहूलियत दें पर यहां तो दिक्कत दी जा रही है ।

एम्स के रिटार्यड कर्मचारी का कहना है कि एम्स में 39 साल सर्विस की है पर उनकों यहां अब अपना काम करवाने में दिक्कत ही नहीं हो रही है बल्कि उनकों अर्धसैनिक बल के कर्मचारी धकियाने से भी नहीं चूकतें है।

एम्स के मेडिकल सुपरिडेंट डॉ डी के शर्मा ने बताया कि एम्स प्रशासन को जो भी शिकायते सुरक्षा में हो रही धांधलीबाजी और तानाशाही मिलेंगी उन पर कार्रवाई की जाएगी क्योंकि मरीजों और डाक्टरों को परेशानी नहीं होने दी जायेगी क्योंकि एम्स मरीजों की सेवाओं के लिये निरन्तर प्रगतिशील है और मरीजों को बेहत्तर स्वास्थ्य सेवाओं के लिये प्रत्यनशील है।