सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन को देखते हुए सरकार से कोरोना को लेकर गाइडलाइन बनाने को कहा

सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को किसान आंदोलन पर चिंता जाहिर करते हुए केंद्र से पूछा है कि क्या किसान आंदोलन में कोरोना को लेकर नियमों का पालन किया जा सकता है। सर्वोच्च अदालत ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि ‘हमें नहीं पता कि किसान कोविड से सुरक्षित हैं या नहीं। आप भीड़ को लेकर गाइडलाइन बनाइए।’ इस मामले में अब 11 जनवरी को सुनवाई होगी।

आज की सुनवाई में सर्वोच्च अदालत ने किसान आंदोलन में कोरोना को लेकर चिंता जताई। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि क्या किसान आंदोलन में कोरोना को लेकर नियमों का पालन किया जा सकता है ? प्रधान न्यायाधीश एसए बोबड़े ने कहा कि हमें नहीं पता कि किसान कोविड से सुरक्षित हैं या नहीं। अगर नियमों का पालन नहीं किया गया तो तबलीगी जमात की तरह ही दिक्कत हो सकती है।

बता दें कि निजामुद्दीन स्थित मरकज केस और कोविड लॉकडाउन के दौरान भीड़ इकट्ठा करने की परमिशन देने को लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकार ने निजामुद्दीन मरकज में विदेशी प्रतिनिधियों के साथ बड़ी संख्या में लोगों को इकट्ठा होने की अनुमति देकर लाखों नागरिकों के स्वास्थ्य को खतरे में डाला था। तबलीगी जमात में हजारों लोगों को इकट्ठा किए जाने की सीबीआई जांच की मांग किए जाने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।

इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप हमें बताएं कि क्या हो रहा है? मुझे नहीं पता कि किसान कोविड से सुरक्षित हैं या नहीं, किसानों के विरोध प्रदर्शन में भी यही समस्या उत्पन्न हो सकती है।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हम हालात के बारे में जानने की कोशिश करेंगे। याचिकाकर्ता के वकील परिहार ने कहा कि मौलाना साद का अभी तक पता नहीं चल पाया है। मौलाना साद के ठिकाने के बारे में कोई बयान नहीं दिया गया। इस पर सीजेआई एसए बोबड़े ने कहा कि हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि कोविड न फैले। जारी किए गए दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करें।

आज की सुनवाई में कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि सरकार को भीड़ इकट्ठा होने को लेकर गाइडलाइन बनानी चाहिए।

इस बीच किसानों का कहना है कि सरकार ने मांगी नहीं मानीं तो 26 जनवरी को भी ट्रैक्टर परेड होगी। किसानों का कहना है कि आज का मार्च उसी का ट्रेलर है। हरियाणा के किसान संगठनों ने हर गांव से 10 महिलाओं को 26 जनवरी के लिए दिल्ली बुलाया है।