सीबीआई भी बालिका गृह के रख-रखाव पर चकित

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की  मुजफ्फरपुर स्थित बालिका गृह में रह रही बालिकाओं के यौन शोषण के मामले की सीबीआई से जांच कराने की घोषणा करने से एक तरफ विपक्ष की ओर से हो रहा विरोध थमा लेकिन लोकसभा चुनाव के लिहाज से यह मुद्दा काफी लंबा खिंचने को है।

मुजफ्फरपुर में साहू रोड स्थित बालिका गृह में रह रही बालिकाओं के यौन शोषण के मामला का खुलासा मुंबई के टाटा इंस्टीच्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) की सामाजिक आडिट रिपोर्ट से हुआ। ऐसा इत्तफाक से ही हुआ। संस्थान ने राज्य के कई बालिका गृहों का सामाजिक आडिट किया था। मुजफ्फरपुर स्थित बालिका गृह में बालिकाओं के यौन शोषण की बात सामने आई।  राज्य सरकार को टीआईएसएस ने अपनी रिपोर्ट 27 अप्रैल को भेज दी थी। उस रिपोर्ट में आए तथ्यों की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने 26 मई को उच्चस्तरीय बैठक की और 31 मई को प्राथमिकी दर्ज कराई। उसके बाद तीन जून को बालिका गृह से जुड़े 10 अभियुक्तों  की गिरफ्तारी हुई। एक अभियुक्त फरार है। गिरफ्तार अभियुक्तों में बालिका गृह की देखरेख करने वाली सेवा संस्थान एवं विकास समिति के संचालक और मुजफ्फरपुर से प्रकाशित होने वाले एक दैनिक के संपादक व मालिक ब्रजेश ठाकुर, बालिका गृह के सीपीओ रवि रौशन प्रमुख हैं। पुलिस प्रशासन ने बालिका गृह की तालाबंदी कर दी है। लेकिन कहीं भी ब्रजेश ठाकुर की इस मामले में संलिप्तता लिखित तौर पर मिल नहीं रही है।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) हरप्रीत कौर और जिले के दूसरे अधिकारियों की ओर से दिए गए तमाम जानकारियों के मुताबिक बालिका गृह में रह रही सात से लेकर 17 साल की उम्र की 44 बालिकाओं में 42 बालिकाओं का डाक्टरी जांच (मेडिकल जांच) कराई गई। इनमें दो बालिकाएं बीमार हैं। डाक्टरी जांच के बाद बता चला कि 29 बालिकाओं के साथ बलात्कार हुआ है। इन बालिकाओं के शरीर पर जलाने और सूई घोपने के निशान मिले। एक बालिका के बयान के मुताबिक एक बालिका की हत्या कर उसके शव को वहीं परिसर में दफना भी दिया गया। पुलिस ने जिले के जज के सामने वहां खुदाई की लेकिन शव नहीं मिला पर हड्डिया जरूर मिली। पर कंकाल मिले। जांच-पड़ताल में जुटे अधिकारियों को दूसरे जरूरी प्रमाण मिले हैें।

बालिका गृह की तालाबंदी करने के बाद वहां की बालिकाओं को पटना, मोकामा, मधुबनी स्थित बालिका गृहों में भेज दिया गया। गौरतलब है कि राज्य में 110 ऐसे गृह हैं जिनमें बेसहारा बालिकाओं, बालकों और महिलाओं को अलग-अलग रखा जाता है।

मुजफ्फरपुर के बालिका गृह में कमरे छोटे-छोटे और बिना खिड़की के हैं। बाहर से प्रकाश नहीं आता। दिन में भी बहुत कम प्रकाश रहता है। रात मेें प्रकाश कम, अंधेरा ज्यादा रहता है। बालिका गृह किसी जेल की कोठरी से कम नहीं दिखता। बालिकाओं को कुछ भी खाने को पर्याप्त तौर पर नहीं दिया जाता और कपड़े भी फटे-पुराने ही मिलते थे जिनसे किसी तरह से तन ढका जा  सकता था। आधा तन फिर भी दिखता ही रहता। इन्हें ऐसी हालत में इसलिए रखा जाता कि वे मजबूरी में वह सब कुछ करें, जो उनसे कहा जाता। किसी ने हिम्मत कर इनकार किया तो उनके साथ मारपीट की जाती।

बालिका गृह के बगल में ही सेवा संकल्प एवं विकास समिति के संचालक व स्थानीय दैनिक के संपादक ब्रजेश कुमार का बड़ा मकान और दैनिक का कार्यालय और छापाखाना है। इस अखबार की 300 प्रतियों छपती हैं लेकिन दावा किया जाता है कि राज्य में यह 60 हजार से भी ज्यादा बिकता है। ब्रजेश कुमार अपने इलाके में प्रभावशाली माने जाते रहे हैें। वे चुनाव भी लड़ चुके हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का चुनाव प्रचार भी किया। नीतीश कुमार उनके घर कई बार आ-जा चुके हैें। उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी से भी उनका मधुर संबंध है। प्रभावशाली नेताओं और सरकारी अधिकारियों से अच्छा संबंध है। कहते हैें किसी नेता और अधिकारियों की आवभगत करने में ब्रिजेशकोई कोताही नहीं होने देते थे। नीतीश कुमार के शासनकाल में वे काफी प्रभावशाली भी बने।

ब्रजेश कुमार के परिवार के लोगों का कहना है कि उन्हें फंसाया जा रहा है। समाज कल्याण विभाग की ओर से दर्ज मामले में भीे उनका या किसी का नाम नहीं है। बालिका गृह में पुलिस जिन बालिकाओं को लाती है, उनका मेडिकल जांच पुलिस पहले से नहीं कराती रही है। ऐसे में  क्या गारंटी की बालिकाओं का पहले यौन शोषण नहीं हुआ। बालिका गृह के सीपीओ रवि कुमार रोशन की पत्नी ने सवाल उठाया कि समाज कल्याण विभाग की मंत्री मंजू वर्मा के पति चंद्रेश्वर किस अधिकार से बाल गृह जाते थे। इस पर मंजू वर्मा ने तुरंत कहा कि जांच में उनके पति दोषी पाए गए तो वे अपने पद से इस्तीफा दे देंगी।

मुजफ्फरपुर बालिका गृह के बालिकाओं के यौन शोषण का मामला सामने आ जाने पर राजद समेत सभी विरोधी पार्टियों ने विधानसभा में और सरकार को बाहर घेरना शुरू किया। उसने मामले की पटना हाई कोर्ट की निगरानी में सीबीआई से कराने की जोरदार ढंग से मांग उठाई। संसद में भी विरोधी पार्टियों ने इस मामले को उठाने में देर नहीं की। शुरू मेें सरकार ने विरोधियों को भरोसा दिया कि मामले पर सरकार सख्ती से कार्रवाई कर रही है। राज्य के सभी बाल गृहों की देखरेख करने की ऐसी व्यवस्था की जाएगी, ताकि ऐसी घटना कभी न हो। मामले में किसी भी दोषी व्यक्ति को नहीं बख्शा जाएगा। पुलिस महानिदेशक केएस द्विवेदी ने तो साफ कह दिया कि राज्य पुलिस की जांच और कार्रवाई से वे संतुष्ट हैं। सीबीआई की जांच की कोई जरूरत नहीं है। राजद की ओर से मामले की जांच कराने के लिए पटना हाईकोर्ट में भी अपील की गई।

राजद और कांग्रेस की ओर से नीतीश सरकार पर लगातार दबाव बढ़ाया गया। केंद्रीय गृह राजनाथ सिंह ने कह दिया कि राज्य सरकार चाहेगी, तो मामले की जांच सीबीआई करेगी। फिर जब समाज कल्याण मंत्री मंजू सिंह के पति पर ऊंगली उठ गई तो सरकार पहले से ज्यादा सांसत में पड़ गई। एकाएक मुख्यमंत्री ने 26 जुलाई को मामले की जांच सीबीआई से कराने का ऐलान कर दिया।

 

बच्चियों की सुरक्षा के बहाने करोड़ों की कमाई

सुजाता चौधरी

मानवता को शर्मसार करने वाली मुजफ्फरपुर बालिका गृह की घटना कोई आकस्मिक दुर्घटना नहीं है। जब भी कभी इस तरह के बालिका गृह में जाने का मौका मिला है, वहां अजीब सा दमघोंटू वातावरण देखने को मिला है। हमेशा लड़कियों को डरी, सहमी, हिरणी सी भयभीत, परकटे पक्षी की तरह फडफ़ड़ाते देखा है इन बालिका गृहों के अधिकतर संचालकों और कर्मचारियों के हाव-भाव भी फिल्मों में तीन नंबर के गुंडों जैसे होते है

संचालकों के इर्द-गिर्द रहने वाले लफंगे बालिका गृह की लड़कियों के साथ जिस तरह की अश्लील हरकतें करते हैं, उसे कोई व्यक्ति कुछ देर रहने के बाद ही अनुभव कर सकता है। इन बालिका गृहों में इन गुंडों के साथ कुछ पदों पर देवियंा भी काम करती हैं जो इन दुष्कर्मों में चंद पैसों और अपनी जीविका के लिए सहायक बन कर स्त्री और मां के महान गौरव को शर्मसार करती है।

एक पुरानी घटना है। एक बालिका गृह की गंूगी बच्ची इशारों में मूंछों पर संकेत देकर मुझे कुछ कहना चाहती थी। जब मैने समझने की कोशिश की तो वहां काम करने वाली देवियों ने हमें समझा दिया कि यह शादी करना चाहती है। मैंने उसकी शादी कराने में अपनी भूमिका का निर्वाह कर कर्तव्य की इतिश्री मान ली, लेकिन आज लग रहा है, हो सकता है, उसके साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा हो।

42 बच्चियों में 29 बच्चियों के साथ इतने दिनों से बलात्कार, वेश्यावृति कराया जाना इससे इंकार करने वाली बच्चियों की पिटाई और उनके शरीर को जगह-जगह से जलाया जाता रहा है। किस समाज में हैं हम? यह पता किया जाना चाहिए कि ये लड़कियां कहां सप्लाई होती थीं। विधायक, मंत्री, अधिकारी और रसूख वाले लोगों के सहयोग के बिना यह जघन्य अपराध चलता नहीं रह सकता।

सरकारें बालिका गृह के नाम पर हर साल कई सौ करोड़ रुपए खर्च करती हैं। क्या सरकार कई सौ करोड़ खर्च कर छोटी-छोटी लउ़कियों से वेश्यालय चलवा रही हैं। मैं थूकती हंू उन सभी बड़े लोगों पर जो इन मासूम बच्चियों को अपनी हवस का शिकार बनाने में पशु से भी बदतर हो गए हंै। लानत है उन स्त्रियों पर जो इसमें सहायक हैं। ये राक्षस मासूम बच्चियों को सुरक्षा देने के नाम पर सिर्फ करोड़ों रुपए डकार नहीं रहे बल्कि उनके नाम पर पैसे खा रहे हैं और बच्चियों को वेश्या बना रहे हैं।

‘पद्मावती’ फिल्म के नाम पर पूरे देश में अपनी सेना के जरिए आग लगवाने वाले आज कहां मुंह छिपाए बैठे हैं।