सियासी मुद्दा बना शैल्टर होम से लड़कियों का गायब होना

राजधानी दिल्ली में जितने भी शेल्टर होम और आश्रम होम चल रहे हंै वहां पर शासन और प्रशासन की लापरवाही अक्सर कई मुसीबतों को जन्म देती है। पर मामला तब सामने आता है जब कोई बड़ी घटना घट जाती है। ऐसे में सरकार जो कुछ करती है वह तो ठीक है पर सियायत के चलते सारे मामले ,सरकार और विपक्ष के आरोप -प्रत्यारोप में उलझ कर रह जाते है।

सही मायने में दिल्ली सरकार के जिन आला अधिकारियों पर शेल्टर होमज़ की देख रेख का जिम्मा है वे फोरी तौर पर ही अपनी ड्यूटी कर शेल्टर होमज़ को जाने अनजाने में अराजक तत्वों के हवाले किए हुए हैं। ऐसे हालात में दलाली प्रथा जमकर अपना काम करने में लगी है। मौजूदा हालात में शेल्टर होमज़ के आस पास जो माहौल है वह बिल्कुल सरकार की नीति और सुविधाओं को चैलेंज करता है।

इन शेल्टर होमज़ में उन लोगों का आना जाना है जिनका कारोबार सिर्फ दलाली है इसकी जानकारी दिल्ली पुलिस को है पर यहां पर वह हीे सिस्टम का काम कर रहा है जिसको किसी भी मायने में सही नहीं ठहराया जा सकता है। चांैकाने वाली बात तब सामने आयी जब सरकार से जुड़े और जनप्रतिनिधियों का दखल बेवजह इन शेल्टर होमज़ में अपना वर्चस्व बनाये हुये है। अब बात करते है दिल्ली के दिलशाद गार्डन स्थित संस्कार आश्रम से एक नाबालिग सहित नौ बालिग लड़कियों के गायब होने की जिनमें से किसी एक का सुराग नहीं लग सका।

पुलिस दावा कर रही है कि आश्रम से लड़कियां छत्त के रास्ते पीछे की दीवार फांदकर फरार हो गई। पुलिस का कहना है कि आश्रम की पहली मंजिल के दरवाजे का ताला तोड़ा गया और आश्रम की दीवार पर जो कंटीले तार लगे हंै उनको भी हटाया गया है। ऐसे में किसी भी दलाल के साथ या लड़कियों के स्वयं से भाग जाने वाली बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। आश्रम के ठीक पीछे डीडीए का मैदान है वहां पर पहली दिसम्बर को शादी थी। उसी दिन रात लगभग पौने बारह बजे शादी के दौरान ‘डीजेÓ के शोर का फायदा उठाकर लड़कियां भागने में कामयाब हो गई।

हालांकि पुलिस सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को बड़ी बारीकी से देख रही है और आश्रम के गार्डो और कर्मचारियों से पूछताछ कर रही है। आखिर यह सवाल सबको विचलित कर रहा है कि जब इन्हीं लड़कियों को जीबी रोड के कोठों से आज़ाद किया गया तब ऐसे में फरार होने और भागने वाली बात हैरान और परेशान कर रही है। कहीं ऐसा तो नहीं कि फिर से किसी दलाल के सम्पर्क में आकर देह व्यापार में लिप्त हो गई हों या फिर मानव तस्करी की शिकार न हो जाए।

फिलहाल पुलिस ने इन लड़कियों की खोज के लिये नेपाल दूतावास से संपर्क किया है। बताया जाता है कि इन लड़कियों में कुछ लड़कियां नेपाल की हैं। संस्कार आश्रम से 9 लड़कियों के लापता की बात सामने आने पर दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाती मालीवाल ने दिलशाद गार्डन स्थित संस्कार आश्रम का निरीक्षण किया वहां मौजूूद कर्मचारियों से पूछताछ की और ज़रूरी कागजात देखे। स्वाति मालीवाल ने बताया कि आश्रम की हालत काफी दयनीय और चितांजनक है।

लडकियों को सही तरीके से खाना और पहने को कपड़े तक नहीं दिये जा रहे हंै। स्वाति मालीवाल ने दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल से मांग की है कि जीबी रोड़ पर स्थित कोठों को बंद करवाएं क्योंकि यही जगह मानव तस्करी का गढ़ है। जहां पर एक लड़की के साथ 30 लोग हर रोज दुष्कर्म करते हंै। सबसे गंभीर बात ये है कि यहीं पर 200 मीटर की दूरी पर पुलिस थाना है पर पुलिस कुछ नहीं करती है। ऐसे में देह व्यापार और मानव तस्करी का कारोबार फल फूल रहा है। स्वाति मालीवाल ने सात दिसम्बर को दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक से मुलाकात कर इस मामले की तह तक जाने की बात की और कहा कि मानव तस्करों और आश्रम होम के अधिकारियों के साथ -साथ पुलिस का गठजोड़ है।

कमला मार्किट पुलिस थाने के उन पुलिस कर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें जिनके कोठों के मालिकों से सम्बंध है जो मानव तस्करी को अंजाम दे रहे हंै। दिल्ली पुलिस आयुक्त ने स्वाति मालीवाल को आश्वासन दिया कि पुलिस इस मामले की गहन जांच पडताल कर रही है जो भी दोषी होगा और इस मामले में लिप्त पाया जायेगा उसके खिलाफ कड़ी कानून कार्रवाई की जायेगी।

दिल्ली विधान सभा में नेता विपक्ष विजेन्द्र गुप्ता का कहना है कि दिल्ली महिला आयोग के गृह होमज़ में रह रही महिलाओं को सुरक्षा और सुविधा देने में सरकार विफल है ऐसे में उन्होंने केन्द्रीय मंत्री मेनिका गांधी को पत्र लिखकर मांग की इस मामले विशेष टास्क फोर्स का गठन किया जाये। दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की सरकार हर मोर्चे पर असफल साबित हो रही है। जिस प्रकार दिलशाद गार्डन के आश्रम होम से लड़कियां गायब हो रही हैं और दिल्ली सरकार सिर्फ बयान बाजी कर रही है इससे पता चलता है कि दिल्ली सरकार सुरक्षा देने में नाकाम रही है।

बताते चलें कि जिस प्रकार दिल्ली में जो शेल्टर चल रहे उसके आस पास देखा जाए तो रात के समय खाना खिलानेे के बहाने वे आराजक तत्व आसानी से इन शेल्टरों में रात गुजारते हंै जो गार्ड शेल्टरों की सुरक्षा के लिये तैनात हंै वे सबके सब मिले हुए हंै। और तो और इन शेल्टर होमज़ में जो ज़्यादा समय से रहे है वो अपने परिजनों को गेस्ट की तरह रखते है कई बार तो किराया भी वसूलते हंै। समाज सेवी गिरीश कुमार का कहना है कि सरकार की नीयत पर कोई शक नहीं है पर जो आला अधिकारी हैं अगर वे समय समय पर आने जाने वाले पर नज़र रखे और रजिस्ट्र को देखे तो सारा का सारा मामला सामने आ जायेगा पर वे ही अधिकारी शेल्टर के नाम पर उगाही करने मेे लगे है तो ऐसी घटनाएं होती रहेंगी।