सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड बेक़ाबू गैंगस्टर्स पर शिकंजा ज़रूरी

पंजाब के मानसा ज़िले के छोटे से गाँव मूसा के शुभदीप सिंह सिद्धू अपनी मेहनत के दम पर सिद्धू मूसेवाला के नाम से मशहूर हुए। लेकिन शायद कुछ लोगों को उनकी प्रसिद्धि हज़म नहीं हो रही थी। काफ़ी दिन से घात लगाये बैठे गैंगस्टर्स की मंशा आख़िर 29 मई को पूरी हो ही गयी। उस दिन अचानक मूसेवाला का अपने पैतृक गाँव मूसा से बाहर जाने का कार्यक्रम बनना, बुलेटप्रूफ गाड़ी और सरकारी सुरक्षाकर्मियों को छोडऩा, चूक से ज़्यादा दुस्साहस ही कहा जाएगा, जिसमें उनकी जान चली गयी।

मूसेवाला को हथियारों का बड़ा शौक़ था। उनके पास 15 गोलियों वाला लाइसेंसी विदेशी रिवॉल्वर भी था, जिसे वह हर समय अपने पास रखते थे। घटना के दिन भी वह उनके पास था। लेकिन उसमें महज़ तीन ही गोलियाँ थीं। हमले के दौरान उन्होंने दो गोलियाँ चलायीं भी थीं। लेकिन एक से दो मिनट के अन्दर तीन तरफ़ से हमलावरों ने उन पर 30 से ज़्यादा गोलियाँ चलायीं, जिनमें से 19 गोलियाँ उन्हें सीधे लगीं। जीप में सवार दो अन्य लोगों को भी गोलियाँ लगीं; लेकिन भाग्य से वे बच गये।

हमलावरों का इतनी बड़ी घटना को अंजाम देकर गाडिय़ों की पहचान के बावजूद सुरक्षित निकल जाना पुलिस की नाकामी ही माना जाएगा। घटना के बाद राज्य में पुलिस अलर्ट नहीं किया गया। कहीं कोई नाकेबंदी भी नहीं हुई। मूसेवाला के अन्तिम अरदास (भोग) तक पुलिस ने आठ से ज़्यादा आरोपियों को गिरफ़्तार किया। ये लोग भेदिये से लेकर हमलावरों को गाडिय़ाँ और अन्य चीज़ें पहुँचाने वाले हैं। हमलावरों की पहचान भी कर ली गयी है। पुलिस का कहना है कि जल्द ही वे गिरफ़्त में होंगे। इस घटना में 15 से ज़्यादा लोगों की गिरफ़्तारी होगी। यह घटना अपने में अनोखी है। किस तरह से हज़ारों किलोमीटर दूर बैठकर कोई शख़्स अलग-अलग राज्यों के हमलावरों को वारदात के लिए तैयार करता है। ऐसी फुलप्रूफ साज़िश रचता है, जिसमें वह सफल हो जाता है। कोई जेल में बैठकर पूरी घटना पर नज़र रखता है और बाद में वहीं से सोशल मीडिया पर बाक़ायदा बयान जारी करता है। मूसेवाला की हत्या के बाद गैंगवार छिडऩे की आंशका मज़बूत होती जा रही है। दिल्ली के कुख्यात गैंगस्टर नीरज बवाना की ओर से बदला लेने की धमकी दी गयी है। यह गैंगवार आपस में होगी; लेकिन इसकी चपेट में दूसरे लोग भी आ सकते हैं।

मूसेवाला की हत्या के बाद उनकी सरकारी सुरक्षा में कटौती को बड़ी वजह माना गया; लेकिन कटौती के बाद भी उनके पास दो हथियारबंद कमांडो थे। अगर उस दिन बुलेटप्रूफ गाड़ी और कमांडो साथ होते, तो शायद हमला होता नहीं। अगर हो भी जाता, तो जवाबी कार्रवाई निश्चित तौर पर होती। मूसेवाला तो गायक थे, अपने गीतों के माध्यम से वे लाखों-करोड़ों लोगों की पसन्द बने हुए थे। बहुत कम समय में उन्होंने लोकप्रियता हासिल की। उनकी किसी से कोई निजी दुश्मनी भी नहीं थी, फिर उनकी निर्मम हत्या क्यों की गयी? क्यों वह एक कुख्यात गैंग के निशाने पर थे? कुछ तो वजह ज़रूर रही होंगी, वरना इतनी बड़ी घटना नहीं होती। मौत की धमकी के बाद ही उन्हें सरकारी सुरक्षा मुहैया करायी गयी थी।

पंजाब में वीपीआई लोगों के लिए भारी-भरकम सुरक्षा व्यवस्था है। यह बरसों से चली आ रही है। इनमें पूर्व विधायक से लेकर पूर्व मंत्री तक हैं। एक पूर्व उप मुख्यमंत्री के पास तो कटौती से पहले 37 से ज़्यादा सुरक्षाकर्मियों की व्यवस्था थी। सरकार में रहते अपने हिसाब से सुरक्षाकर्मी लेने का चलन-सा रहा है। पंजाब में नवगठित आम आदमी पार्टी की सरकार ने इस चलन पर रोक लगाने का प्रयास किया। सरकार के मुताबिक, सुरक्षाकर्मियों की कटौती समीक्षा हुई। क़रीब 100 वीआईपी लोगों के कमोबेश आधे सुरक्षाकर्मियों को हटा लिया गया। किन लोगों के पास कितने सुरक्षाकर्मी और गाडिय़ाँ हैं? इसका ब्योरा बाक़ायदा मीडिया को दिया गया। सुविधा में कटौती के बाद सरकार की ओर से सूची भी जारी गयी, जिसमें कटौती की पूरी जानकारी मुहैया करायी गयी। यह सब गोपनीय होना था, जिसे सरकार ने सार्वजनिक कर दिया। 27 मई से पहले सुरक्षाकर्मियों में कटौती हो गयी थी और 29 मई को मूसेवाला की हत्या हो गयी। उँगलियाँ सीधे सरकार के ग़ैर-ज़िम्मेदाराना रवैये को लेकर उठीं।

बिना समीक्षा इस तरह कटौती करना तर्कसंगत नहीं था। आनन-फ़ानन में जिस तरह से काम किया गया वह ठीक नहीं था। भविष्य में इसकी आड़ में सरकार की आलोचना न हो इसके लिए फिर से पुरानी व्यवस्था बहाल करने की घोषणा भी हो गयी है। लोगों ने भी मुख्यमंत्री भगवंत मान के इस फ़ैसले को सराहा लेकिन मूसेवाला की हत्या के बाद यह वाहवाही उनके लिए मुसीबत बन गयी। मामला पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय पहुँचा जहाँ सरकार से सुरक्षाकर्मियों की कटौती पर स्पष्टीकरण माँगा गया। सरकारी आदेश के मुताबिक, 6 जून के बाद फिर से सुरक्षा की पुरानी व्यवस्था बहाल करने की बात कही गयी है।

मूसेवाला की हत्या की ज़िम्मेदारी कनाडा में बैठे गैंगस्टर सतविदर सिंह उर्फ़ गोल्डी बराड़ ने ली और इसे विक्की मिड्डूखेड़ा की हत्या का बदला लेने की कार्रवाई बताया। गोल्डी पंजाब के कुख्यात गैंगस्टर लारेंस बिश्नोई का साथी है और फ़िलहाल कनाडा में बैठकर इस तरह की घटनाओं की साज़िश रचता है। पंजाब में फ़िलहाल प्रमुख तौर पर लारेंस बिश्नोई और लक्की पटियाल नाम से दो गैंग सक्रिय हैं। लारेंस का अपना गैंग है; जबकि लक्की पटियाल देविंद्र बंबीहा गैंग का संचालन करता है।

बंबीहा मारा जा चुका है; लेकिन अब भी गैंग उसके नाम से ही चल रहा है। दोनों गैंग अपने वर्चस्व के लिए एक दूसरे के लोगों को निशाना बनाते रहते हैं। जून, 2021 से मई, 2022 तक राज्य में छ: लोगों की हत्या हुई, जिनमें से पाँच लोग लारेंस बिश्नोई गैंग के क़रीबी माने जाते हैं। लारेंस गैंग के लोग किसी बड़े टारगेट की तलाश में था और सिद्धू मूसेवाला उनके राडार पर आ गये।

पिछले वर्ष अगस्त में चंडीगढ़ के क़रीब मोहाली में पंजाब विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष और शिरोमणि अकाली दल नेता विक्रमजीत सिंह उर्फ़ विक्की मिड्डूखेड़ा की सरेआम हत्या हो गयी थी। विक्की को लारेंस बिश्नोई का क़रीबी माना जाता है। अगस्त में विक्की की मोहाली में दौड़ा-दौड़ाकर हत्या के मामले के बाद पहली बार मूसेवाला के मैनेजर रहे शगनप्रीत सिंह का नाम अपरोक्ष तौर पर हमलावरों को संरक्षण देने का आरोप लगा। शगनप्रीत पुलिस से बचने के लिए आस्ट्रेलिया भाग गया।

लारेंस गैंग का आरोप है विक्की की हत्या के पीछे मूसेवाला का कहीं-न-कहीं हाथ रहा है। पंजाब और हरियाणा में गैंगस्टर्स ख़ूब फल-फूल रहे हैं, उन पर तेज़ी से शिकंजा कसा जाना चाहिए। पुलिस ने विक्की हत्याकांड में मूसेवाला से कभी पूछताछ नहीं की। फौरी तौर पर मूसेवाला की हत्या की वजह मिड्डूखेड़ा की हत्या का बदला लेना बताया गया है। बदले की यह कार्रवाई आगे भी चलती रहेगी। गैंगवार के चलते पंजाब में स्थिति ख़राब हो सकती है। मूसेवाला की हत्या के सभी आरोपी पकड़े जाएँगे। इकलौते बेटे को खो चुके उनके पिता बलकौर सिंह और माँ चरण कौर कभी इस हादसे को भुला नहीं सकेंगे। इस घटना को लेकर लोगों में भी रोष है और वे न्याय की माँग कर रहे हैं, और उन्हें इसकी आशा भी है।

गैंगवार में सात हत्याएँ

जून, 2021 से मई, 2022 तक पंजाब में सात लोगों की हत्याएँ हो चुकी हैं। जून, 2021 में सुखमीत डिप्टी की जेल से बाहर आने के बाद हत्या कर दी गयी। जुलाई में गैगस्टर कुलबीर नरवाना को विरोधी गैंग ने मौत की नींद सुला दिया। अगस्त में विक्की मिड्डूखेड़ा को मार डाला गया। जनवरी, 2022 में मनप्रीत छल्ला और मनप्रीत विक्की मारे गये। इसी वर्ष मार्च में खेल के दौरान कबड्डी के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी संदीव नंग्गल अंबिया को सरेआम गोलियों से भून दिया गया। इनमें अंबिया और मिड्डूखेड़ा के अलावा बाक़ी का आपराधिक रिकॉर्ड था।

विवादों से रहा नाता

मूसेवाला ने गायकी के क्षेत्र में थोड़े समय में बहुत नाम कमाया; लेकिन उनका विवादों से नाता रहा है। गानों में हथियार संस्कृति को बढ़ावा देने के आरोप हैं। जालंधर की पुलिस रेंज में एके-47 से अभ्यास करने के मामले में उन पर प्राथमिकी भी दर्ज हुई थी। गीतों में हथियारों का महिमा मंडन पर वे खुलकर कहते रहे हैं कि हाँ, उन्हें इनका शौक़ है; लेकिन वह इसका दुरुपयोग करने के पक्ष में नहीं हैं। उनके गीतों में अश्लीलता नहीं। वह वही लिखते हैं, जो सच है और इसके नतीजे वह भुगतते रहेंगे। संजय दत्त पर आधारित उनके संजू नामक एल्बम पर मूसेवाला की ख़ूब आलोचना हुई थी, जिसमें वह एके-47 रखने को कोई ग़लत नहीं बताते हैं, जबकि ख़ुद संजय दत्त इसे बड़ी भूल स्वीकार कर चुके हैं।

मुफ़्त पैरवी

मानसा बार संघ ने सिद्धू मूसेवाला का केस मुफ़्त में लडऩे और आरोपियों की पैरवी न करने का प्रस्ताव पास किया है। इस प्रस्ताव से साबित होता है कि मूसेवाला आसपास के क्षेत्रों में कितने लोकप्रिय थे। पंजाब में वर्ष 2022 के मई अन्त तक 158 हत्याएँ हो चुकी हैं। वर्ष 2020 में यह संख्या 757 और वर्ष 2021 में 724 रही है।