सिंधिया को लेकर कांग्रेस में कयास, कमलनाथ सरकार पर फिर ख़तरा

मध्य प्रदेश में जब लग रहा था कि कमलनाथ की कांग्रेस सरकार पर ख़तरा टल गया है, सोमवार को अचानक सरकार के भविष्य को लेकर ख़तरा सामने दिखने लगा है। इस बार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर कयास शुरू हो गए हैं कि क्या वे भाजपा में जाने की तैयारी कर रहे हैं। दिल्ली में राज्य सभा के उम्मीदवारों के सिलसिले में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने गए मुख्यमंत्री कमलनाथ बदलते घटनाक्रम के कारण भोपाल लौट गए हैं और अपने आवास पर आपात बैठक बुलाई है जिसमें दिग्विजय सिंह भी उपस्थित हैं। कांग्रेस के १६ विधायकों के बेंगलुरु पहुँच जाने की भी खबर है। उधर मध्य प्रदेश भाजपा ने मंगलवार (कल) अपने सभी विधायकों की बैठक बुलाई है।

हो सकता है मध्य प्रदेश का सियासी संकट राज्य सभा चुनाव में उम्मीदवारों को लेकर दबाव बनाने की कोशिश भर हो। वैसे अभी तक की रिपोर्ट्स यह हैं कि कांग्रेस सिंधिया को एमपी की एक सीट से राज्य सभा में  कर चुकी है जबकि  दूसरी सीट से दिग्विजय सिंह के नाम पर सहमति की खबर है।

लेकिन सिंधिया के पिछली रात कथित रूप से भाजपा के बड़े नेताओं से मिलने की रिपोर्ट्स के बाद कई कयास शुरू हो गए हैं। जो चर्चा छनकर बाहर आ रही है उसके मुताबिक सिंधिया को राज्य सभा में भेजने और  मोदी सरकार में मंत्री पद देने के लिए भाजपा ”तैयार” है।

सिंधिया ने अभी तक किसी तरह की प्रतिक्रिया इन रिपोर्ट्स पर नहीं जताई है। भाजपा मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार ”गिराने” की कोशिश कर रही है, इसका आरोप कांग्रेस कुछ दिन से लगा रही है। इस बीच खबर है कि एक मंत्री सहित कांग्रेस के १६  विधायक बेंगलुरु पहुंच गए हैं। उनके साथ भाजपा के छह विधायकों के होने की भी खबर है।

पिछले हफ्ते  सियासी ड्रामा चला था, लेकिन ज्यादातर विधायक वापस लौट आये थे।

कमलनाथ ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि भाजपा से अब रहा नहीं जा रहा है। कमलनाथ ने कहा – ”भाजपा के १५ साल  के कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार का मामला उजागर होने वाला है, इसलिए वे परेशान  हैं”।

सिंधिया कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बहुत करीबी माने जाते हैं। ऐसे में यदि उनके भाजपा में जाने की अफवाह सच साबित होती है तो यह कांग्रेस के लिए बहुत फजीहत वाली बात बन जाएगी। पिछले कुछ समय से सीएम कमलनाथ को लेकर सिंधिया मुखर होकर विरोध जताने लगे हैं।

यदि मध्य प्रदेश विधानसभा का गणित देखा जाये तो वहां कुल २३० सीटें हैं। कांग्रेस के ११४ विधायक हैं जबकि उसे ४ निर्दलीय विधायकों और १-१ बसपा-सपा विधायक का भी समर्थन है जिससे उसकी संख्या १२० हो जाती है। भाजपा के पास १०७ विधायक हैं। दो सीटें चूंकि खाली हैं, कुल २२८ की संख्या में बहुमत के लिए ११५ विधायकों की जरूरत रहती है।

ऐसे में बहुमत को बचाये रखना कमलनाथ के लिए हमेशा बड़ी चुनौती रहा है। हालांकि, अभी तक वे इसमें सफल रहे हैं। इस समय सीएम कमलनाथ कांग्रेस विधायकों के साथ अपने आवास पर बैठक कर रहे हैं, जिसमें वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह भी मौजूद हैं। कांग्रेस की सरकार जाने का खतरा बना तो दिग्विजय का राज्य  सभा में जाना भी मुश्किल हो जाएगा।