‘सावधान! केबल और सेटेलाइट टीवी की दरें नए साल में और बढ़ेगी

नए साल की सौगात के रूप में आपकों केबल और सेटेलाइट टीवी कार्यक्रम दिखाने वाले काफी बेचैन कर सकते हैं। इसकी अहम वजह ट्राई नियामक का सजग न रहना ही है। हालांकि यह दावा किया जा रहा है कि नए नियम उपभोक्ता के लिए दोस्ताना हैं और आपका मासिक बिल खासा कम होगा यदि नए नियम पूरी तौर पर अमल में आते हैं। जानकारी दे रही हैं- सुमन

जी,एसपीएन, वियॉकॉम 18 और टीवी 18 ने अपने तमाम फ्री टू एअर चैनेल को अब पे चैनेल बना दिया है। केबल और सेटेलाइट टीवी सेवा देने वाले नए साल की खुशी के बहाने उपभोक्ताओं से ज़्यादा ऊँची दरों पर वसूली की तैयारी में लग गए हंै। इस महीने के आखिरी दिनों से ही इस कार्यक्रम पर असली जामा पहना भी दिया जाएगा। सरकारी आंकड़ों के अनुसार एक दशक में केबल-सेटेलाइट सेवाओं की दरें लगभग दुगनी उसी तरह हुई हैं जैसे सुरसा का मुंह फाड़े महंगाई। आंकड़ा देने वाली एसएंडपी ग्लोबल मार्केट के सूत्रों के अनुसार उपभोक्ताओं के केबल और सेटेलाइट टीवी बिल 2007 से करीब 53 फीसद बढ़े हैं।

टेलीविजन ब्राडकॉस्ट नेटवक्र्स में स्टार, जी, और सोनी फिचर्स आदि ने यह तय किया है कि वे केबल और डीटीएच ऑपरेटर के बेसिक पैक में अपने चैनेल देंगे ही नहीं। इससे उन दर्शकों को झटका लगेगा जो यह उम्मीद लगाए बैठे थे कि उनके केबल या डीटीएच बिल में शायद कुछ कमी इस साल आए। इसकी वजह यह है कि ज़्यादातर लोकप्रिय चैनेल अब 130 रुपए और टैक्स मात्र में उपलब्ध ही नहीं होंगे जिसे टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॅारिटी ऑफ इंडिया (टीआरएआई) ने अपने टैरिफ आदेश में बताया है।

 एयरटेल डिजिटल के टैरिफ कार्ड के अनुसार सारे एचडी चैनेल रुपए 50 मात्र और रुपए 60 मात्र की दर पर उपलब्ध हैं। टाटा स्काई ने अपनी दरें कुछ कम बताई हैं जिसमें रुपए 25 मात्र से विभिन्न खेल चैनेल की दरें रुपए 75 मात्र तक हैं। वीडियोकॉन डीटीएच भी रुपए 23 से रुपए 60 मात्र के बीच वसूली करता है। दूसरे शब्दों में कहें तो यदि आप एक से पचास एचडी चैनेल का चयन करें तो आपका टीवी खर्च कम से कम ढाई हजार रुपए मासिक पड़ेगा।

इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं कि पे टीवी पैकेज साल 2017 की तुलना में 2018 में कही ज़्यादा महंगे थे। अब वर्ष 2019 में गणतंत्र दिवस परेड, खेल, आम चुनाव नतीजे -मंत्रिमंडल आदि कार्यक्रमों के चलते सेटेलाइट टीवी कंपनिया ंसाल 2019 में और भी महंगी होती जाएंगी। हालांकि सेवा उपलब्ध कराने वालों की घोषणा यह रही है कि 2018 में सिर्फ तीन से चार फीसद ही दर बढ़ोतरी हुई। उन्होंने तो बस एड-ऑन दरें मसलन ‘ब्राड कॉस्ट टीवी फीसÓ और क्षेत्रीय खेल फीस पर ही अपनी दरें कुछ बढ़ाई हैं। जिसके कारण टीवी का मासिक खर्च खासा बढ़ा जान पड़ता है। उनके तर्क के हिसाब से देखेें तो जी एंटरटेनमेंट इंटर प्राइजेज (जी), सोनी पिक्चर्स नेटवक्र्स इंडिया (एसपीएन) वियाकॉम 18 और टीवी 18 ऐसे नेटवक्र्स हैं जिन्होंने अपने सभी फ्री-टू एयर चैनेल को पे-चैनेल में बदल दिया है।

यह अतिरिक्त शुल्क लग सकता है यदि आप टीवी सेवा के प्रमोशनल दर में हैं। कोई भी उपभोक्ता कीमतों में बेवजह बढ़ोतरी हर साल या छह माह में नहीं चाहती जबकि अब कोशिश है कि प्रोग्रेमिंग का सारा खर्च उपभोक्ता के ही सिर मड़ा जाए। इसमें ट्राई नाम का रेगुलेटर भी बेबस है।

आकर्षक पैक के बहाने भी कमाई

केबल और सेटेलाइट टीवी कंपनियां अब इस तरह का पैक तैयार कर रही हैं जिससे टीवी प्रोग्रैमिंग, इंटरनेट एक्सेस और फोन सेवा भी उपलब्ध हो। पारंपरिक तौर पर केबल और सेटेलाइट सेवाएं बड़ा पेकैज घरों में, होटलों में देती थीं और प्रोग्रैमिंग में भी चुनाव की छूट देती थी। अब ज़्यादातर सेवाएं ऊँची मासिक दरों पर ही उपलब्ध होंगी। सर्विस प्रोवाइडर उन उपभोक्ताओं पर अपना ध्यान जमा रहे हैं जो कुछ सेवाओं का पैक लेते हैं मसलन इंटरनेट सेवा, बनिस्बित उनके जो सिर्फ उनसे टीवी सेवाएं लेते हैं। स्टार इंडिया ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। और एपेक्स कोर्ट उसकी सुनवाई कर रही है। स्टार इंडिया की बजाए ज़्यादातर ब्रांडकॉस्टर ने टैरिफ सूची पर सहमति बना ली है कि वे अपने रेफरेंस इंटरकनेक्ट वॉफर (आरआईओ) दस्तावेज तैयार करेंगे। जिसमें चैनेल और बुफे रेट अधिकतम दरों के साथ दिए जाएंगे।

यदि सुप्रीम कोर्ट का आदेश ट्राई के पक्ष में होता है तो ब्राडकॉस्टर अपने इंटरकनेक्ट समझौते केबल और डीटीएच कंपनियों के साथ 27 दिसंबर तक कर लेंगे और नया टैरेफ रेट ऑफर उपभोक्ताओं को देंगे जिसमें 100 चैनेल की कीमत रुपए 130 मात्र से ज़्यादा नहीं होगी। इन 100 चैनेलों में 26 तो प्रसार भारती के चैनेल होंगे और बाकी 74 चैनेल वे होंगे जिनमें अच्छी उगाही हो सके।

अच्छी खबर

उपभोक्ताओं के लिए एक अच्छी खबर की संभावना यह है कि टेलीविजन चैनल की कीमत तय करने भारत में शायद एचडी और खेल चैनल देख पाना सस्ता हो और ऐसी अवैध वसूली मसलन ‘एचडी एक्स फीÓ की वसूली न हो। नियमों की घोषणा हो चुकी है और उनका प्रकाशन भी गजट में जारी हो चुका है। नए नियमों के तहत सभी चैनेल एचडी या कोई भी दूसरे उनकी वसूली रुपए 19 मात्र ही होगी। यदि कोई ब्राडकॉस्टर किसी चैनेल पर रुपए 19 मात्र से ज़्यादा वसूल रखनी चाहता है तो वह एक अकेला चैनेल नजऱ आएगा इस बाजार में।

यानी कुल मिला कर कोई भी केबल या डीटीएच ऑपरेटर एक चैनेल पर मात्र रुपए 19 मात्र ही ले सकता है। हाल-फिलहाल जो केेबल और डीटीएच ऑपरेटरी वसूल रहे हैं उसकी तुलना में यह कम है।

नई व्यवस्था जो ट्राई और केबल व डीटीएच सेवा प्रदाताओं के बीच बनी है उसके तहत किसी उपभोक्ता से रुपए 950 मात्र से ज़्यादा नहीं वसूले जा सकते। लेकिन वास्तविक संख्या शायद और भी कम है। फिलहाल अलम-अलग चैनेल की दरें काफी ज़्यादा हंै। जिसके कारण उपभोक्ता खुद चैनेल का चयन नहीं कर पाता। वह ऑपरेटर द्वारा सुझाए गए ‘पैकÓ में से ही चुनाव करता है जैसे गोल्ड, डायमंड या प्लैटिनम।

जब कोई ऐसे ‘पैकÓ को चुन लेता है तो डीटीएच या केबल ऑपरेटर अलग से भी कुछ चैनेल इस ‘पैकÓ में जोड़ देता है। जिसके लिए उपभोक्ता की सहमति या असहमति मायने नहीं रखती। यानी इन ‘अनचाहे चैनेलÓके जरिए डीटीएच या केबल ऑपरेटर उन चैनेल से धन कमाते हैं। इन चैनेल को ‘पैकÓ में डाल दिया जाता है उनके बारे में अलग से सूचित नहीं किया जाता।

कीमत पर लगाम

कहा जा रहा है कि नए नियम इसलिए हैं जिससे अनचाहे चैनेल उपभोक्ता के सिर न मढ़े जाए। दूसरी व्यवस्था यह की गई है कि किसी भी पैक की कीमत चैनेल की कीमत का 85 फीसद से कम नही होगी।

हाल-फिलहाल 40-50 एचडीचैनेल की कीमत रुपए 225-300 प्रति महीने बताई जाती है यानी प्रति चैनेल छह रुपए। इसकी वजह यह नहीं कि यदि इससे ज़्यादा यह बढ़ी तो उपभोक्ता दूसरे विकल्प अपना सकता है। ऐसे में एचडी पैक की एक कीमत बना कर रखनी पड़ेगी। इन चैनेल की बिक्री की कमी रुपए 7.05 मात्र से प्रति माह से ज़्यादा नहीं हो सकती। यह बात नए 85 फीसद के नियम से जाहिर है।

उदाहरण के लिए यदि इन चैनेल में एक-एक की कीमत दस-दस रुपए प्रति महीने है तो एचडी पैक की कीमत रुपए 340 से रुपए 425 मात्रा तक ही बढ़़ सकती है। यदि कीमत बढ़ती है तो ज़्यादातर उपभोक्ता पैक से बाहर आकर बीस चैनेल ही लेना पसंद करेंगे जो उन्हें मासिक तौर पर रुपए दौ सौ मात्र पड़ेगा। ऐसा इसलिए भी क्योंकि ज़्यादातर लोगों 40-50 एचडी चैनेल ही मिलते हैं जिनमें आधे का ही इस्तेमाल होता है।

बेसिक मासिक दर रुपए 130 मात्र ही होना अब संभव है। इसके तहत सौ स्टैंडर्ड या 50 एचडी चैनेल लिए जा सकते है। यदि आप 25 स्टैंडर्ड चैनेल चुनते हैं तो हर बारह एचडी चैनेल पर रुपए बीस मात्र मासिक तौर पर देने होंगे। यदि आप एचडी चैनेल और रुपए 26 मात्र स्टैंडर्ड चैनेल बतौर देने के पक्ष में हैं तो आपको रुपए 104 मात्र देने होंगे। इसके अलावा आपको पे चैनेल की लागत देनी होगी जो चैनेल पर निर्भर है। बाजार की दरों के लिहाज से संभावना है कि ये दरें एचडी चैनेल के लिए रुपए 280 मात्र और एचडी चैनल के लिए रुपए 15 मात्र होगी। यानी कुल रकम बनी रुपए 425 मात्र।

फिलहाल आप जो पैक चाहते हैं उसमें उपभोक्ता को हर महीने रुपए 500-रुपए 700 मात्र देने होते है। पैक को तैयार करना ज़्यादा कठिन टाटा स्काई में है जहां एचडी एक्सेस की फीस रुपए 175 मात्र हर पैक पर अलग से वसूली जाती है।

सर्विस प्रोवाइडर कम वसूली कर सकते हैं बशर्ते वे नए नियम का पालन करें। उदाहरण के लिए स्टार स्पोट्र्स एक एचडी की कीमत रुपए 19 मात्र हर महीने की है। डीटीएच ऑपरेटर को यह छूट होती है कि वह चाहे तो इसे रुपए दस मात्र की दर से बेचे बशर्ते वह थोडा नुकसान बर्दाशत करने की स्थिति में है। इसी तरह वह बेसिक चार्ज के रूप में रुपए 130 मात्र से कम भी ले सकता है। यह सब संभव है क्योंकि बशर्ते विभिन्न चैनेल अपने चार्ज शून्य कर दें जिससे उन्हें दर्शक मिलें।