सरकार ने ज़्यादातर वादे पूरे किए अमरिंदर का दावा

तीस महीने का समय किसी भी सरकार के कार्यकाल को परखने के लिए प्र्याप्त होता है। क्या पंजाब में शिरोमणि अकाली दल-भाजपा गठबंधन की सरकार को बदलने वाली कांग्रेस सरकार अपने चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादों को पूरा करने में पूरी तरह सफल हुई। क्या सरकार ने अपने 161 वादों में से 140 को पूरा किया। इसका विश्लेषण कर रहे हैं- भारत हितैषी।

अपनी सरकार का आधा कार्यकाल पूरा होने के साथ ही मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने अपने मंत्रियों को अपने क्षेत्रों में विकास कार्यों को और गति देने के लिए सभी संबधित विभागों को व्यापक कार्य योजना बनाने और विकास कार्योंं को गतिशील बनाने के लिए क्षेत्र के विधायकों के साथ निकट जुड़ाव बढाने के निर्देश दिए। अपनी सरकार के ढाई साल का कार्यकाल पूरा करने पर मुख्यमंत्री ने और उनकी मंत्रिपरिषद ने पिछले 30 महीनों में सरकार द्वारा किए गए कार्यो की चर्चा की और राज्य की विकास योजनाओं को पूरा करने के लिए आगे बढऩे का मार्ग प्रशस्त किया।

कैप्टन अमरिंदर ने अब तक किए गए कार्यों पर संतोष व्यक्त किया कि सभी विभागों ने अकाली-भाजपा गढबंधन सरकार के 10 साल के शासन में कुप्रबंध के परिणामस्वरूप पैदा हुए वित्तीय संकट के बावजूद सभी विभागों ने अच्छा कार्य किया।

अपनी सरकार के आधे कार्यकाल को रूकने का अवसर और अतीत के काम की समीक्षा करके और दूसरे आधे कार्यकाल के लिए एक विस्तृत रणनीति तैयार करने का अवसर करार देते हुए मुख्यमंत्री ने केंद्रिय कार्य योजनाओं के साथ आगे बढऩे की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होने अपने मंत्रियों से कहा कि वे अपने क्षेत्रों में विधायकों के साथ मिलकर काम करें और नियमित रूप से उनके इनपुट और फीडबैक लें। उन्होंने विधायकों को अपने निर्वाचन क्षेत्र में कार्य पहचाने और शुरू किए गए विकास कार्यो पर विशेेष ध्यान देने का निर्देश दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजनीतिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से भविष्य की रणनीति के लिए यह महत्वपूर्ण था। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ज़ोर दे कर कहा कि राजनीतिक रूप से यह पहचानने की ज़रूरत है कि लोगों के साथ बेहतर तरीके से कैसे जुडऩा है, हमारी उपलब्धियां उनके पास पहुंचनी चाहिए और उनके ज़रूरी मुद्दों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

नीतियों और परियोजनाओं और सुचारू रूप से लागू करने लिए विभागों का पुनर्गठन और महत्वपूर्ण जनशक्ति की भर्ती के महत्व को मुख्यमंत्री ने पहचाना जैसे कि सरकार राज्य के विकास के लिए और अधिक आक्रामक रूप से आगे बढऩे के लिए तैयार है।

मुख्यमंत्री का विचार था कि हर विभाग समग्र रूप से अपनी उपलब्धियों की जांच और समीक्षा करे और उन मु्द्दों पर ध्यान केंद्रित करे जिन्हें अभी तक प्रभावी ढंग से संबोधित नहीं किया गया था या सरकार द्वारा अभी तक पूरा नहीं किया गया था। उन्होंने यह सुनिश्चित करने करने पर ज़ोर दिया कि लोगों की आकाक्षाएं जो वे सरकार से रखते हैं उन्हें पूरा किया जाए।

जबकि सरकार के प्रत्येक सदस्य ने इन 30 महीनों मे अनुकरणीय प्रदर्शन किया। अब और अधिक अच्छा करने का समय है। कैप्टन अमरिंदर ने सभी मत्रियों से और अधिक मेहनत करने और अपने सबंधित विभाग को और अधिक उंचाई पर ले जाने का आह्वान किया।

मुख्यमंत्री ने उनकी सरकार द्वारा किए गए हर वादे काू पूरा करने के लिए अपनी व्यक्तिगत प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि सरकार की 161 घोषणाओं में से 141 पहले ही लागू कि जा चुकी हैं शेष भी क्रियान्वयन की प्रक्रिया में हैं।

कैप्टन अमरिंदर ने स्वस्थ्य, औद्योगिकीकरण, कृषि, कानून और व्यवस्था के मामले में भारत के अग्रणी राज्य के रूप में पंजाब को वापस पटरी पर लाने के लिए ठोस कदम उठाने का आह्वान किया। हर क्षेत्र में जबकि प्रगति हुई है तब भी उनकी सरकार राज्य के सर्वागीण विकास के उच्चतम स्तर को सुनिश्चित करने और हर वर्ग के विकास के लिए वचनबद्ध है।

कांग्रेस पार्टी एंटी इंकाबेंसी की सवारी करके सत्ता में वापस लौटी थी, अकाली-भाजपा गठबंधन के खिलाफ नशीली दवाओं के व्यापार और विकास से चूकने के आरोपों के चलते आम आदमी पार्टी ने सत्ता में आने के लिए एक बडी गंभीर बोली लगाई थी पर वह केवल दूसरे स्थान पर ही बरकरार रह सकी। लोगों ने कैप्टन अमरिंदर द्वारा किए गए वादों पर विश्वास करते हुए प्रचंड बहुमत के साथ कांग्रेस को सत्त में वापिस

लौटा दी। अभी तक सब ठीक चल रहा था। हालांकि जब सरकार अपने आधे कार्यकाल की समाप्ति के निकट थी तो इसने अपनी चमक को कुछ खोना शुरू कर दिया। इसका पहला संकेत था गुरदासपुर में कांग्रेस प्रमुख सुनील जाखड़ की लोकप्रिय अभिनेता सन्नी देओल से हार। इसके बाद जाखड़ ने अपना इस्तीफा दे दिया जो अपेक्षित नहीं था। इसके बाद मुख्यमंत्री के सलाहकार के रूप में में छह विधायकों की नियुक्ति का मामला। यह स्पष्ट था कि पार्टी के अंदर कुछ खलल था। उन्हें सलाहकार नियुक्त करने के कदम पर भी मतभेद था।

अगर हम पंजाब में कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र को याद करें और पढ़े तो ‘‘इन बेअदबी की इन घटनाओं में अब तक न तो कोई अपराधी पहचाने गए हैं और न ही उन्हें न्याय के लिए लाया गया। यह घटनाएं पंजाब की शांति को स्पष्ट रूप से मिल रही धमकियां थी।’’ कांग्रेस पार्टी ने गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटनाओं पर आक्रोश व्यक्त किया था। अब दो ढाई साल की जांच के बाद मुख्यमंत्री ने एक साक्षात्कार में स्पष्ट कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल इन घटनाओं के पीछे नहीं थे और उन्हें क्लीन चिट दे दी। हंगामें के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक स्पष्टीकरण जारी किया लेकिन साक्षात्कार करने वाला पत्रकार कहानी पर अड़ा रहा। विडंबना यह है कि कैप्टन सरकार की आलोचना केवल राजनीतिक विरोधियों से ही नहीं , बल्कि उनके अपने मंत्रियों और विधायकों से भी होती है।

जून 2015 में गुरू ग्रंथ साहिब कीे बेअदबी का मामला हुआ जब फरीदकोट के गांव बुर्ज जवाहर के गुरूद्वारे से ‘पवित्र गुरू ग्रंथ साहिब ’ की बीड़ चोरी हो गई थी। 12 अक्तूबर को चुराए गई बीड़ के कुछ पन्ने नजदीक के गांव बरगारी में बिखरे पाए गए। दो दिन बाद 14 अक्तूबर को बेहबलकलां में दो प्रदर्शनकारियों को मार दिया गया और कोटकपुरा में प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की गई।

चार महीने बाद चोरी हुए गुरू ग्रंथ साहिब के कुछ पन्ने समीप के गांव बरगारी की सडक़ों पर बिखरे पाए गए। शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी की सरकार को तब बड़ा झटका लगा जब जनता ने बड़ी संख्या में सडक़ों पर उतरकर अपने ‘‘गुरू’’ के लिए न्याय की मांग की। स्थिति इतनी खराब हो गई थी कि अकाली दल के नेता अपने निर्वाचन क्षेत्रों में जाने से डरते थे। फिर 14 अक्तूबर 2015 को एक पुलिस कार्रवाई से बेहबलकलां गांव में में दो प्रदर्शनकारियों की हत्या हो गई।

 तत्कालीन मुख्यमंत्री के राष्ट्रीय सलाहकार हरचरण सिंह बैंस ने स्थिति का विश्लेषण करते हुए लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचने के लिए और उन्हें शांत करने के लिए सीनियर बादल से मुआयना करने को कहा। हालांकि अकाली दल जो की पंथिक कारणों का चैपियन होने का दावा करता था उसे बहुत नुकसान हुआ था। दस साल से सत्त से बाहर कांग्रेस ऐसे ही मौके की तलाश में थी और दिसंबर 2015 में कांग्रेस अध्यक्ष और पार्टी के स्टार प्रचारक अमरिंदर ने बठिंडा में रैली ‘पवित्र गुटखा’ साहिब में लेकर इस बेअदबी की घटना के लिए बादल को जिम्मेदार ठहराया था और अपराधियों को पकडऩे की शपथ खाई।

सत्ता में आने के एक महीने के बाद ही सरकार ने पुलिस गोलीबारी की घटना की जांच करने के लिए न्यायमूर्ति रंजीत सिंह आयोग का गठन किया। जब विधानसभा में आयोग की रिपोर्ट पर बहस हुई। बादल और तत्कालीन डीजीपी सुमेध सिंह सैनी के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग उठाई गई और सरकार ने ठोस कार्रवाई करने का वादा किया। हालांकि यह हर किसी के लिए एक सदमे के रूप में सामने आया जब सीबीआई ने एक क्लोजऱ रिपोर्ट दायर की। सिर्फ विपक्ष ने ही नही बल्कि कांग्रेस के विधायकों ने भी आरोपी बादल को बचाने के लिए मुख्यमंत्री को कटघरे में खड़ा कर दिया।

सत्ता में आने के बाद 14 अप्रैल 2017 को कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने न्यायाधीश रंजीत सिंह आयोग का गठन किया था। 24अप्रैल 2018 को एसआईटी ने बहबलकलां की घटना में 792 पन्नों कीे चार्जशीट दायर की। सात जून को, डेरा सच्चा सौदा के नेता और एक मुख्य आरोपी मोहम्मद पाल बिट्टू को पालमपुर से पकड़ा गया। बाद में नाभा जेल में उसकी हत्या कर दी गई। 29 अगस्त 2017 को विधानसभा में सात घंटे की बहस के बाद बेअदबी का मामला सीबीआई से वापिस लेने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया था। 19 फरवरी 2019 को आईजी परमराज सिंह उमरानंगल को बेहबलकलां गोलीबारी मामले में गिरतार किया गया था। इससे पहले एसएसपी चरणजीत शर्मा को गिरतार किया गया था। 31 जुलाई जो सीबीआई ने बेअदबी के मामले पर क्लोजऱ रिपोर्ट मोहली की अदालत में दायर की। 26 अगस्त को सबीआई ने दायर याचिका में अदालत से कहा कि आगे की जांच की जा रही है इसलिए क्लोजऱ रिपोर्ट स्वीकार नहीं की जानी चाहिए। दरअसल इससे एक अनावश्यक विवाद पैदा हो गया था और कुछ कांग्रेस के नेताओं ने बादल और कुछ अन्य लोगों को क्लीन चिट देने के मामले में अपनी पीड़ा जनता के बीच जाकर व्यक्त की थी ।

नशीली दवाओं का खतरा

यदि बेअदबी की घटनाओं ने तत्कालीन बादल सरकार के भाग्य में कील लगा दी थी तो नशीली दवाओं के खतरे को गलत साबित करना उसमें अंतिम कील साबित हुआ। स्वाभाविक रूप से कांग्रेस पार्टी ने युवाओं से पंजाब में ड्रग्स का सफाया करने का वादा किया।

कैप्टन अमरिंदर सिंह के पांच साल के कार्यकाल की पहली छमाही में सरकार ने मादक पदार्थों के सेवन और तस्करी और बड़ी गिरतारियों का एक बढ़ा अभियान छेड़ा। पुलिस इसके नेटवर्क की कई परतों को उजागर करने में सफल रही है। हालांकि, नए मामले भी सामने आते रहे। पुलिस ने दावा किया कि ‘उसने लगभग 175 हाई-प्रोफाइल आरोपियों को गिरतार किया है। एसटीएफ नई चुनौतियों के आधार पर अपनी रणनीति में सुधार कर रहा है। हमने हाल ही में नशीली दवाओं के दुरूपयोग के खिलाफ एक 360 डिग्री हमला शुरू किया है। इसमें प्रवर्तन, नशामुक्ति और रोकथाम शामिल हैं। नशेडी का इलाज और नशे की लत में उनके पतन को रोकने के लिए शुरू की गई मित्र प्रणाली में लगभग 5.27 लाख स्वंयसेवक मदद कर रहे हैं। नशेडी को आधुनिक उपचार प्रदान करने के लिए 181 आएट-पेशेंट ओपियाइड ट्रीटमेंट केंद्र हैं। नशे के खिलाफ लड़ाई में केंद्र सरकार भी अब सक्रिय रूप से भाग लेने लगी है। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने पंजाब में अपने कर्मचारियों की संख्या 40 से बढ़ा कर 120 कर दी है। इसने अमृतसर में एक नए यूनिट के साथ उप महानिदेशक स्तर के अधिकारी की नियुक्ति भी की है। इससे पहले उत्तरी राज्यों के लिए चंडीगढ़ में एक इकाई थी।

हम कह सकते हैं कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस बहुमत के साथ सत्ता में आने में कामयाब रही इसने अपने कई वादे पूरे किए। नशीली दवाओं की लड़ाई, कृषि कर्ज माफी, उद्योग को पांच रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली, अन्य वर्गों के लिए बिजली शुल्क पर फ्रीज, 2500 रुपए बेरोजग़ारी भत्ता, मुत स्मार्ट फोन, प्रति परिवार एक नौकरी, आत्महत्या करने वाले किसान परिवारों के सदस्य को नौकरी, 1500 रुपए मासिक कल्याण पेंशन, किसानों को प्रत्यक्ष आय सहायता और स्वास्थ्य बीमा योजना कांग्रेस द्वारा किए गए वादों की सूची में से कुछ हैं। थोड़ा संदेह है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह सत्ता पर नियंत्रण रखने में सक्षम रह पाते हैं जबकि उनकी सरकार ने अपने कार्यकाल को आधा सफर पूरा कर लिया है।