सरकार ने अब मान लिया, देश में ५ साल में बेरोजगारी ४५ साल में सबसे खराब हुई

चुनाव से पहले जो मोदी सरकार बेरोजगारी की हालत पर पर्दा डालने की कोशिश कर रही थी, उसी सरकार ने अब मान लिया है कि देश में पिछले पांच साल में बेरोजगारी की हालत पिछले ४५ साल में सबसे खराब स्थिति में पहुँच गयी है।
दरअसल मोदी सरकार ने पहली बार बेरोजगारी का आधिकारिक आंकड़ा जारी कर दिया है। वित्त वर्ष २०१७-१८ में बेरोजगारी ६.१ फीसदी रही थी, जो कि पिछले ४५  साल, अर्थात १९७२-७३ के बाद, सबसे ज्यादा है। इससे पहले मीडिया रिपोर्ट्स में यह  डाटा छापा था तब सरकार ने इसे  कर दिया था।
रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर ५.३ फीसदी और शहरी क्षेत्रों में ७.८  फीसदी रही थी। इसी तरह, देशभर में ६.२ फीसदी पुरुषों के पास कोई रोजगार नहीं, जबकि ५.७ फीसदी महिलाएं बेरोजगार हैं। गैर कर राजस्व में बढ़ोतरी और खर्च में कटौती करने से सरकार को राजकोषीय घाटे का लक्ष्य पाने में सफलता मिली है।
रिपोर्ट्स  मुताबिक इससे २०१८-१९ का राजकोषीय घाटा जीडीपी के मुकाबले ३.३९  फीसदी रहा, जो सरकार के संशोधित लक्ष्य ३.४० फीसदी से कम है। हालांकि, विनिर्माण क्षेत्र में नरमी से जीडीपी की रफ्तार सुस्त हो गई है।
अब लेखा महानियंत्रक की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, ३१ मार्च, २०१९ को समाप्त वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी के मुकाबले ६.४५ लाख करोड़ रुपये रहा। यह जीडीपी के अनुपात में ३.३९ फीसदी है। सरकार ने बजट में अपना संशोधित लक्ष्य ६.३४ लाख करोड़ रुपये रखा था। सीजीए का कहना है कि वास्तविक रूप में राजकोषीय घाटा बढ़ा है, लेकिन जीडीपी के अनुपात में यह नीचे आया है।
इसी दौरान केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने आंकड़े जारी कर बताया कि २०१८-१९ में देश की जीडीपी की वृद्धि दर घटकर ६.८ फीसदी हो गई जो इससे पहले के वित्त वर्ष में ७.२ फीसदी थी। सुस्त विकास दर का सबसे ज्यादा असर कृषि क्षेत्र के खराब प्रदर्शन और उत्पादन क्षेत्र में नरमी का पड़ा है।