सरकारी अस्पतालों में  स्वास्थ्य कर्मचारियों की कमी, कोरोना रोगियों के लिये मुसीबत बनी

जैसे –जैसे दिल्ली में कोरोना से मरने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है। वैसे –वैसे दिल्ली में रहने वालों में एक अजीब सा डर बढ़ने लगा है। गत 5 दिनों से दिल्ली में 4 सौ से अधिक मौतें होने पर, तहलका संवाददाता को दिल्लीवासियों ने बताया कि कहने को तो दिल्ली में विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सेवायें है।  जो कोरोना काल में सब हिल कर बिखर गयी है। सरकारी अस्पतालों को तो छोड़ो,  निजी अस्पतालों में भी मरीजों को सही इलाज तक नहीं मिल पा रहा है। जिसके कारण मरीजों की जानें जा रही है। मिथलेश पुनिया ने बताया कि सरकारी अस्पताल और क्या निजी अस्पताल दोनों में मरीजों को आँक्सीजन के अभाव में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। आलम ये है कि आज लोगों को पैसों के अभाव में नहीं बल्कि अस्पतालों में सुविधाओं के अभाव में भटकना पड़ रहा है।

मौजूदा वक्त में जहां देखों दिल्ली में कोरोना मरीज ही मरीज है। लोगों की एक ही पुकार, नहीं मिल रहा बेहत्तर उपचार। वजह? सरकार है लाचार। लोकनायक अस्पताल में काम करने वाले कर्मचारियों ने बताया कि सरकार के पास बड़े –बड़े बहुमंजिला अस्पताल है। जहां पर बैडो की कमी नहीं है। लेकिन ना जाने क्यों मरीजों को बैड तक नहीं मिल पा रहे है। उनका कहना है कि माना कि आँक्सीजन की कमी है। लेकिन बैड़ों की कमी तक नहीं है।कर्मचारियों का कहना है कि अगर सरकार पैरामेडिकल कर्मचारियों की नियुक्तियों कर दें। तो काफी हद तक मरीजों की समस्या को दूर किया जा सकता है। क्योंकि सरकारी अस्पतालों में कई सालों से कर्मचारियों की नियुक्तियां तक नहीं हुई है। जो कोरोना काल में मरीजों के उपचार के लिये विकट समस्या बनी हुई है।