समान अवसर की कोशिश में यूजीसी

विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा आयोजित करने के लिए लाया गया प्रस्ताव

भिन्न प्रारूपों में एकरूपता प्रदान करने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) वास्तव में उल्लेखनीय शिक्षा सुधार के रूप में स्नातक कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए एक सामान्य विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) आयोजित करने का एक नया प्रस्ताव लेकर आया है। सभी 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में स्नातक कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए पहली अनिवार्य आम प्रवेश परीक्षा जुलाई, 2022 के पहले सप्ताह में आयोजित की जाएगी।

सीयूईटी का उद्देश्य समान अवसर प्रदान करना है। उदाहरण के लिए देश के शीर्ष विश्वविद्यालयों में स्नातक कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए 100 फ़ीसदी तक का कट-ऑफ देखा गया है। कॉलेज में प्रवेश के लिए उच्च कट-ऑफ न केवल अनुचित है, बल्कि कई लोगों के लिए देश छोडक़र विदेश में अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त करने का एक कारण भी है। इसमें कोई सन्देह नहीं है कि देश पहले से ही इतनी प्रतिभाओं को खो रहा है; क्योंकि छात्र उच्च अध्ययन के लिए विदेश जाते हैं और इसका कारण उच्च कट-ऑफ भी शामिल है। इसका अर्थ है कि एक विद्यार्थी, जिसने 90 फ़ीसदी भी हासिल किया है; वह अच्छे कॉलेज में प्रवेश नहीं ले पाएगा। इसका मतलब यह भी है कि अगर कोई पूरी एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों को पढ़ सकता है, तो उसे 90 फ़ीसदी से अधिक अंक मिल सकते हैं और इस तरह बोर्ड परीक्षा वास्तव में बुद्धिमत्ता का पैमाना नहीं थी।

कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट एक कम्प्यूटरीकृत, बहुविकल्पीय परीक्षा होगी और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित की जाएगी। परीक्षा के लिए आवेदन विंडो अप्रैल के पहले सप्ताह में खुलेगी। परीक्षा 13 भाषाओं हिन्दी, मराठी, गुजराती, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, उर्दू, असमिया, बंगाली, पंजाबी, ओडिया और अंग्रेजी में होगी। यूजीसी का कहना है कि सीयूईटी को राज्य या निजी विश्वविद्यालय द्वारा भी अपनाया जा सकता है, जबकि चर्चा पूरी तरह से स्नातक छात्रों पर है, इन परीक्षाओं का उपयोग स्नातकोत्तर प्रवेश के लिए भी किया जाएगा। लेकिन कम से कम 2022-23 में पीजी स्तर के लिए सीयूईटी अनिवार्य नहीं है।

यूजीसी के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार का कहना है कि सीयूईटी की शुरुआत का उद्देश्य देश भर के छात्रों के लिए एक समान अवसर प्रदान करना है और साथ ही स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के दौरान एकरूपता की कमी के कारण उनके द्वारा झेले गये तनाव को कम करना है। उनके मुताबिक, कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट की शुरुआत विद्यार्थी-हित में एक प्रमुख सुधार है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भी इस तरह की एक राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षा शुरू करने की वकालत करती है। विभिन्न विश्वविद्यालयों की पात्रता मानदंड के अलावा कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा के अंकों का छात्रों के प्रवेश पर कोई असर नहीं पड़ेगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा वित्त पोषित 45 केंद्रीय विश्वविद्यालय हैं।

यह बताते हुए कि इस क़दम से एकरूपता कैसे आएगी, इसलिए भ्रम को कम करते हुए, यूजीसी के अध्यक्ष ने कहा कि यदि आप देश भर में यूजी प्रवेशों को देखते हैं, ज़रूरी नहीं कि दिल्ली में; तो आप देखते हैं कि वे कई तरीक़ों का उपयोग करते हैं। कुछ विश्वविद्यालय जमा दो (+2) अंकों का उपयोग करते हैं और कुछ विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा आयोजित करते हैं और इससे छात्रों के मन में बहुत तनाव और भ्रम पैदा हो रहा है।

उनके मुताबिक, सीयूईटी शुरू करने के पीछे का विचार छात्रों को एक समान अवसर प्रदान करना है और उन्हें यूजी प्रवेश प्रक्रिया के दौरान होने वाले तनाव से छुटकारा पाने में भी मदद करना है; क्योंकि उन्हें कई प्रवेश परीक्षाएँ करनी होती हैं। उन्होंने कहा कि जब आप बोर्ड परीक्षाओं के अंकों पर विचार करते हैं, तो आप देखते हैं कि बोर्ड की एक बड़ी संख्या है। वे 12वीं कक्षा में अंक कैसे प्रदान करते हैं, इसमें बहुत विविधता है। इसलिए, यह एक समान अवसर प्रदान नहीं कर रहा है। अपनी मातृभाषा या स्थानीय भाषा में पढऩे वालों के लिए एक बड़ा फ़ायदा यह कम्प्यूटर आधारित परीक्षा 13 भाषाओं में आयोजित की जाएगी। प्रवेश परीक्षा का पाठ्यक्रम एनसीईआरटी द्वारा परिभाषित 12वीं कक्षा के पाठ्यक्रम पर आधारित होगा।

 

प्रमुख बिन्दु

1. नया कॉमन यूनिवर्सिटी एजुकेशन टेस्ट (सीयूईटी) जुलाई के पहले सप्ताह में होगा, जब कक्षा 12 की अधिकांश बोर्ड परीक्षाएँ पूरी हो चुकी होंगी। आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन होगी और अप्रैल के पहले सप्ताह में शुरू होगी।

2. परीक्षा कम्प्यूटर आधारित, बहुविकल्पीय परीक्षा होगी, जो प्रौद्योगिकी के मामले में आसान होगी।

3. छात्र अब केवल कक्षा 12 की परीक्षा में उच्चतम अंक प्राप्त करने की कोशिश करने के बजाय सीखने पर अधिक ध्यान केंद्रित करने में सक्षम होंगे।

4. राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित की जाने वाली प्रवेश परीक्षा सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए अनिवार्य है और शीर्ष शिक्षा निकाय भी सभी राज्य, डीम्ड-टू-बी और निजी विश्वविद्यालयों से टेस्ट स्कोर का उपयोग करने के लिए कह रहा है। देश भर में स्नातक कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए।

5. इसका मसद एक राष्ट्र, एक प्रवेश परीक्षा करके विभिन्न प्रकार की प्रवेश परीक्षाओं को समाप्त करना है।

6. 12वीं कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाला कोई भी व्यक्ति सामान्य प्रवेश परीक्षा देने के योग्य है।

7. भले ही विश्वविद्यालयों को सामान्य परीक्षा के आधार पर स्नातक छात्रों को प्रवेश देना होगा, वे पात्रता तय करने में कक्षा 12 के अंकों के लिए न्यूनतम बेंचमार्क निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र हैं।

8. इस प्रवेश परीक्षा का पाठ्यक्रम एनसीईआरटी की कक्षा 12 के मॉडल पाठ्यक्रम के अनुरूप होगा।

9. सामान्य परीक्षा के कारण विश्वविद्यालयों की आरक्षण नीति प्रभावित नहीं होगी।

 

प्रतिक्रियाएँ

सामान्य प्रवेश परीक्षा की शुरुआत का विरोध करने वालों ने बताया है कि सीयूईटी राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् (एनसीईआरटी) के पाठ्यक्रम पर आधारित होगा, जिसका पालन केवल सीबीएसई करता है; और इसलिए यह अन्य बोर्ड के छात्रों को समान अवसर नहीं देगा। कई लोगों ने कहा कि इस तरह के नीतिगत निर्णय से पहले हितधारकों से परामर्श किया जाना चाहिए था। वे बताते हैं कि छात्र केंद्रीय विश्वविद्यालयों को छोड़ देंगे और इसके बजाय निजी विश्वविद्यालयों को चुनेंगे।

हालाँकि छात्रों के एक बड़े वर्ग का विचार है कि नीति छात्रों के हित में है। क्योंकि सामान्य परीक्षा सभी को बराबर अवसर देगी और सभी छात्रों को मौ$का देगी। निस्संदेह, यूजीसी अध्यक्ष इस बात पर ज़ोर देते हैं कि सीयूईटी अन्तिम बोर्ड परीक्षा से सम्बन्धित मानसिक तनाव को कम करेगा। छात्र पाठ्यपुस्तक सामग्री के पुनरुत्पादन के बजाय अवधारणाओं की स्पष्टता पर ध्यान केंद्रित करेंगे। प्रवेश मानदंड विशुद्ध रूप से विषय की समझ और प्राप्त ज्ञान पर आधारित होगा।