संकट में फ़रिश्ते बने सिख

 कोरोना पीडि़तों की सेवा के लिए खोले गुरुद्वारों के द्वार, मरी ज़ों को पहुँचा रहे ऑक्सीजन और लंगर
 अपनी जान जोखिम में डालकर सिख कर रहे मरी ज़ों की सेवा और शवों का अन्तिम संस्कार

देश भर में कोरोना संकट और किसान आन्दोलन के गम्भीर संकट के बीच सिख समुदाय का सेवा भाव पूरी दुनिया के लिए मिसाल बना हुआ है। सम्भवत: किसी ने सच ही कहा है कि आज जिस तरह से लोग कोरोना संक्रमण के संकट के चलते ऑक्सीजन और इंजेक्शन ढूँढ रहे हैं, अगर व$क्त रहते नये कृषि काले क़ानूनों के ख़िला फ़ नहीं हुए और किसानों का साथ नहीं दिया, तो आने वाले समय में इसी तरह अनाज के संकट से भी लोगों को दो-चार होना पड़ सकता है। मौ ज़ूदा हालात पर चिकित्सा बिरादरी आम लोगों से बस यह आग्रह कर रही है कि वे घर के अन्दर रहें और बाहर निकलते समय मास्क पहनें।

ऐसे में जब सरकारें नाकाम-सी दिख रही हैं दिल्ली-एनसीआर और देश में मरीज़ों के लिए बेड, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए बिना ढिंढोरा पीटे हमेशा की तरह सिख समुदाय आगे बढक़र आया है। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी समेत तमाम सिख संगठनों ने वैश्विक महामारी के इस संकट में मदद के लिए अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा दिये हैं। देश के कई हिस्सों में लॉकडाउन और तमाम पाबंदियों के बीच ज़रूरतमंदों के लिए भोजन और लोगों को उनके गंतव्य तक पहुँचाने की व्यवस्था तो पहले ही से कही जा रही थी। अब सिख संगठनों की ओर कोविड मरी ज़ों की जान बचाने के लिए बेड और ऑक्सीजन की भी व्यवस्था की जा रही है। बता दें कि यहवही सिख समुदाय है, कृषि के तीन काले क़ानूनों का विरोध करने पर जिसे केंद्र सरकार का पूरा तंत्र $खालिस्तानी और आतंकवादी कह रहा था और किसान आन्दोलन में लगाये जा रहे लंगर के फंड की जाँच कर रहा था।
राजधानी दिल्ली की तीन सीमाओं पर कृषि क़ानूनों के ख़िला फ़ डटे किसान भी इसमें समर्थन दे रहे हैं। लगातार बिगड़ते हालात को देखते हुए सिख कमेटी ने चार प्रमुख सेवाएँ शुरू की हैं। पहली कोविड प्रभावित लोगों के लिए लंगर सेवा शुरू की है। दिल्ली गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी के प्रमुख मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि दिल्ली में क़रीब 20-25 ह ज़ार लोगों को रो ज़ाना खाना पहुँचाया जा रहा है, जिसमें 4,000 डिब्बाबन्द भोजन के पुलिंदे (पैकेट) कोरोना के मरी ज़ों को भेजे जा रहे हैं। दूसरी सेवा गुरु अर्जुन देव जी सराय में 20 कमरे तैयार किये गये हैं, जहाँ पर कोरोना मरी ज़ों के लिए ज़रूरी बेड और ऑक्सीजन की सुविधा है। तीसरी सेवा गुरुद्वारा बाला साहिब में बने फ्री किडनी डायलिसिस अस्पताल में 20 बेड सिर्फ़ कोविड मरी ज़ों के लिए अतिरिक्त तैयार किये गये हैं। चौथी सेवा गुरुद्वारा कमेटी की ओर से सरकारों से अपील की गयी है कि वे गुरुद्वारों के लंगर हॉल में कोविड सुविधाएँ लगाकर इन्हें कोविड मरी ज़ों के लिए तैयार कर सकती हैं।


घर पर मँगा सकते हैं ऑक्सीजन
सिख कमेटी के पास 50 ऑक्सीजन सिलेंडर्स की व्यवस्था है, जिनको और बढ़ाया जा सकता है। जिन मरी ज़ों को ऑक्सीजन की ज़रूरत है, वे अपने घरों में भी इन्हें मँगवा सकते हैं। सिलेंडर्स की व्यवस्था हो जाने के बाद सिख समुदाय और ज़्यादा लोगों तक मदद पहुँचाने में आगे बढऩे को तत्पर है। इसके लिए सिलेंडर की ख़रीद प्रक्रिया की जा रही है। विदित हो कि सिख धर्म की लंगर सेवा सदियों पुरानी है, जो कि सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु ‘गुरु नानक देव जी’ ने शुरू की थी; जिसका उद्देश्य मानव सेवा और भूखों को भोजन कराना था, जिसे इस धर्म के अनुयायियों ने आज भी जारी रखा हुआ है। वर्ष 2020 में जब कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में दस्तक दी, तब दिल्ली स्थित बंगला साहिब गुरुद्वारा के साथ-साथ दिल्ली के अन्य गुरुद्वारों, नोएडा के गुरुद्वारा, देश और दुनिया भर की कई गुरुद्वारा प्रबन्ध समितियों ने सितंबर, 2020 में एक अलग तरीके़ की लंगर सेवा और अन्य सेवाएँ भी शुरू कीं, जिसमें कोरंटटीन मरी ज़ों को भोजन पहुँचाने की व्यवस्था से लेकर उन्हें अन्य राहतें पहुँचाने की पहल की गयी। यह व्यवस्था आज भी निरंतर जारी है। गुरुद्वारों की इस व्यवस्था और सेवा को देखकर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ट ट्रम्प ने कहा था कि दुनिया भर में गुरुद्वारे होने चाहिए। आज केवल नोएडा के गुरुद्वारा में रो ज़ाना भोजन के 5,000 पैकेट तैयार करके कोरोना मरी ज़ों तक पहुँचाये जा रहे हैं। गुरुद्वारे से जुड़े गुरप्रीत सिंह ने बताया कि हम उन परिवारों की मदद करने की कोशिश कर रहे हैं, जो कोविड पॉजिटिव हैं और खाना बनाने में असमर्थ हैं। हम उनके लिए खाने के पैकेट बना रहे हैं और उन्हें सोसायटी गेट के सामने छोड़ देते हैं, जिसे सुरक्षाकर्मी (सिक्योरिटी गार्ड) ज़रूरतमंद परिवारों तक पहुँचा देते हैं।

दिव्यांग जगजीत सिंह की सेवा कर रही प्रेरित
पाकिस्तान और चीन सीमा से सटे जम्मू-कश्मीर में सिख स्वयंसेवक (वालंटियर्स) ग्रुप कश्मीर के साथ मिलकर कई संस्थाओं के युवा कोरोना मरी ज़ों की मदद के लिए हाथ बढ़ा रहे हैं। मरी ज़ों को मु फ़्त ऑनलाइन डॉक्टर परामर्श सेवा, लंगर, दवाइयाँ, ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर आदि सेवाएँ मुहैया करायी जा रही हैं। अपनों को खो चुके लोगों का अन्तिम संस्कार भी रीति-रिवा ज़ से कराया जा रहा है। $करीब एक वर्ष से अधिक समय से युवाओं का समूह लोगों की मदद कर रहा है। ग्रुप के सदस्य सरदार जगजीत सिंह दिव्यांग हैं। लेकिन उनका जज़्बा ग्रुप के बाक़ी सदस्यों को मरी ज़ों की सेवा करने के लिए प्रेरित करता है। इस ग्रुप की कोविड हेल्पलाइन नंबर- 9055509055 का संचालन जगजीत सिंह करते हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी के शुरू होने के साथ ही एक जैसी सोच रखने वाले लोग एक साथ बैठे और उन्होंने अपने सिख समुदाय के लिए कुछ करने की ठानी। शुरुआत में दिक़्क़ते आयीं, लेकिन आहिस्ता-आहिस्ता सब ठीक होने लगा। इस सेवा में डॉक्टर भी जुड़े हैं।
ग्रुप के वालंटियर्स रो ज़ाना 15 से 20 मरीज़ों का दोपहर और रात का खाना अस्पतालों में पहुँचाते हैं। कई बार रात के समय भी फोन कॉल्स आती हैं और वालंटियर्स घर जाकर डॉक्टर के निर्देश पर मरीज़ के लिए मददगार साबित होते हैं। ग्रुप ने पिछले एक साल में 50 से अधिक लोगों का अन्तिम संस्कार कराया। ग्रुप के सदस्य मनमीत सिंह ने बताया कि जब पद्मश्री अवार्डी भाई निर्मल सिंह का कोरोना के चलते देहांत हो गया और उनके अन्तिम संस्कार के लिए उन्हें जगह नहीं मुहैया करवायी गयी। इस घटना के बाद उन्होंने कुछ करने की ठानी और ग्रुप तैयार किया। जब परिवार वाले भी कोरोना मरी ज़ों के शवों को हाथ लगाने से डरते हैं, उस समय में जांबा ज़ लोग मर्यादा के साथ उनके आत्मसम्मान का ध्यान रखते हुए ज़रूरी दिशा-निर्देशों के तहत अन्तिम संस्कार कर रहे हैं।