‘शंघाई से हम पैसे भी कमा रहे हैं और बहुत सारी इज्जत भी’

image_of_bollywood_movie_shanghai_847256517दिबाकर बनर्जी लीक से हटकर फिल्में बनाने के लिए जाने जाते हैं. उनकी फिल्में न सिर्फ समीक्षकों की सराहना पाती हैं, बल्कि बॉलीवुड की मुख्यधारा से बिल्कुल अलग तेवरों के बावजूद बॉक्स ऑफिस पर भी मुनाफा कमाती हैं. अलग-अलग किस्म की 3 फिल्मों के बाद 8 जून को रिलीज हुई राजनीतिक थ्रिलर फ़िल्म ‘शंघाई’ उनकी चौथी फिल्म है. उनकी पिछली फ़िल्मों की ही तरह अधिकतर समीक्षकों ने तो इसे सर आँखों पर बिठाया ही है, लेकिन ऐसी फिल्मों से बाकी सार्थक और गंभीर फिल्मों के लिए भविष्य में कितने रास्ते खुलते हैं, यह प्रशंसा से ज़्यादा, उनके कमाए लाभ से ही तय होता है. एक ‘पान सिंह तोमर’, ‘कहानी’ या ‘विकी डोनर’ हिट होती है तो दस और ऐसी ही फिल्मों का बनना आसान हो जाता है. हमारे आसपास की गंभीर सामाजिक-राजनैतिक समस्याओं पर चोट करती ‘शंघाई’ जैसी फिल्म भी हिन्दी सिनेमा के लिए एक नया प्रयोग है. इसीलिए हम यह जानने के लिए उत्सुक थे कि यह प्रयोग फायदे की लाइन के इधर है या उधर? यह ऐसे विषयों पर फिल्म बनाने वाले बाकी फिल्मकारों का हौसला बढ़ाएगी या हतोत्साहित करेगी? हमने फिल्म की सह-निर्माता पीवीआर पिक्चर्स के वितरण प्रमुख दीपक शर्मा से यही सब पूछा.

शंघाई के फायदे-नुकसान का गणित हमें समझाइए. बॉक्स ऑफिस पर कैसी प्रतिक्रिया है?  

पहला वीकेंड 12 करोड़ रुपए का है, जिसमें करीब 40-45 सिंगल स्क्रीन सिनेमाज की इतवार की कलेक्शंस नहीं हैं. आठ-दस लाख रुपए उनका होगा. ओवरसीज की कलेक्शंस इसमें नहीं हैं. गल्फ में 28 प्रिंट रिलीज हुए थे. उसमें नेट कलेक्शंस करीब 70 लाख के हुए हैं. 40 लाख के करीब यूएस का होगा. ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, फिजी का इसमें शामिल नहीं है. पाकिस्तान में जो मैंने बेचा, उसके 35 लाख, एयरलाइंस राइट्स के 14 लाख, वो सब नहीं हैं. इन सबका मिलाकर सोमवार तक 1.75 करोड़ आ चुके हैं. भारत में भी काफी सारी टेरिटरीज हम पहले ही बेच चुके थे. सैटेलाइट राइट्स और बाकी राइट्स से वगैरा से फिल्म के रिलीज होने से पहले ही हम 12 करोड़ कमा चुके थे. अभी होम वीडियो राइट्स, इंटरनेट राइट्स और दूरदर्शन तय होने बाकी हैं. उनके 1 करोड़ भी मानें तो हम बॉक्स ऑफिस के बिना ही 13 करोड़ रुपए कमा चुके थे. बॉक्स ऑफिस से 12 करोड़ की कलेक्शंस हैं पहले 3 दिन में, उसका आधा मैं अपना हिस्सा लूं, तो हमारे पास 6 करोड़ रुपए बॉक्स ऑफिस से आ चुका. ओवरसीज का बिजनेस अलग है. यानी पहले 3 दिन के बाद हम 20 करोड़ से ऊपर कमा चुके हैं. शंघाई का कुल बजट 19 करोड़ था. 10.5 करोड़ में फिल्म बनी थी और 8-8.5 करोड़ हमने पब्लिसिटी में लगाए. सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर इतना अच्छा लिखा जा रहा है, लोग बात कर रहे हैं. माउथ पब्लिसिटी से हर दिन दर्शक बढ़ रहे हैं. हमारी लागत वसूल हो गई है, और सोमवार से हम फायदा ही कमाएंगे.  

लेकिन कुछ ट्रेड विश्लेषकों द्वारा तो यह कहा जा रहा है कि शंघाई चली नहीं. हम किसकी मानें?

अरे, हम तो बहुत अच्छे जा रहे हैं. और जिस आदमी का नुकसान हो रहा होता है, वो तो चीख-चीख कर कहता है कि मैं मर गया. यहां तो मैंने अपने आंकड़े बताए ही आपको. इनसे कोई भी आदमी खुद तय कर सकता है कि असलियत क्या है.   

किसी ने कहा कि शंघाईराउडी राठौड़ को धकेल नहीं पाई..

हमें धकेलना ही नहीं था. शंघाई का अलग रास्ता है. उसे देखने वाला वर्ग अलग है. यह एंटरटेनिंग फिल्म है, लेकिन एंटरटेनमेंट फिल्म नहीं है. और देखिए, अगर कोई 100 करोड़ की फिल्म बनाता है तो उसे 100 करोड़ की जादुई संख्या तक पहुंचना ही होगा. उसके बाद लाभ शुरू होगा. लेकिन आपको 70 करोड़ के कलेक्शंस सामने दिखाई देने लगते हैं तो आपको वह बहुत बड़ी संख्या लगती है. जबकि वह फिल्म अभी तक तो अपनी लागत ही रिकवर नहीं कर पाई है. आज आप अगर राउडी राठौड़ की बात करें, तो इतने बड़े स्टार के साथ आप फिल्म बनाएंगे कि 30 करोड़ का हीरो है, 30 करोड़ की मेकिंग है, 10 करोड़ रुपए का बाकी क्रू है. उसके बाद 15-20 करोड़ की पब्लिसिटी होगी. बड़ी रिलीज करेंगे. 2800 स्क्रीन्स की वह रिलीज थी. हम 800 स्क्रीन की रिलीज थे. 3 गुना ऊपर तो आपने पिक्चर रिलीज की है तो यह तो स्पष्ट ही होना चाहिए कि करीब 3 गुना कलेक्शंस तो होने ही चाहिए. नहीं तो आप उस जादुई संख्या पर पहुंचेंगे नहीं. आज अगर मेरी फिल्म अक्षय कुमार की फीस जितना कुल बिजनेस कर ले, तो मैं 10 करोड़ के प्रोफिट में होऊंगा. इसलिए अक्षय कुमार की फिल्म से शंघाई की किसी तरह तुलना ही नहीं की जा सकती. यह फिल्मकार के साथ भी गलत है. आप तुलना करना चाहते हैं तो आप लागत और प्रतिशत लाभ का अनुपात देखिए. कि भई, 20 करोड़ की फिल्म है, अगर वह 30 करोड़ कमाती है, तो यह 100 करोड़ की फिल्म के 150 करोड़ कमाने के बराबर है. हम अक्षय कुमार की भी फिल्म करेंगे, लेकिन दोनों फिल्मों के लिए हमारा मकसद अलग होगा. शंघाई जैसी फिल्में दोहरी कमाई देती हैं. हम पैसे भी कमा रहे हैं और प्रतिष्ठा भी. आज हम सोचेंगे कि हमें नैशनल अवॉर्ड भी मिल सकता है. हम हर तरह की फिल्में करेंगे. हम शुद्ध कमर्शियल फिल्में भी करते हैं. मैक्सिमम भी रिलीज करने वाले हैं. अंग्रेजी फिल्मों के हम भारत के सबसे बड़े इम्पॉर्टर हैं. लेकिन सबके साथ लक्ष्य अलग होता है.

यानी शंघाई आपकी उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन कर रही है. तो क्या यह मानें कि भविष्य में भी पीवीआर ऐसी फिल्मों में पैसा लगाएगा?   

हां, बिल्कुल लगाएंगे. और उम्मीद जितना क्या, शंघाई तो हमारी उम्मीद से कहीं ज्यादा कर रही है. हमें शंघाई के लिए बहुत गर्व हो रहा है. और क्या चाहिए किसी को? यह दोतरफा मुनाफा है. हम पैसे भी कमा रहे हैं और साथ में बहुत सारी इज्जत भी. 10 करोड़ रुपए बॉक्स ऑफिस पर कमाएंगे तो 10 करोड़ की गुडविल साथ में कमाएंगे.

  तहलका ब्यूरो