वैचारिक मतभेदों से ऊपर है संविधान : राष्ट्रपति

हमारा संविधान ही हमारा सबसे बड़ा और पवित्र ग्रंथ : पीएम

आज संविधान दिवस है। संविधान दिवस के मौके पर मंगलवार को संसद की सयुंक्त बैठक आयोजित की गयी जिसमें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि जब संविधान   लिखा गया तो उसमें वैचारिक मतभेदों से ऊपर उठकर इसे सर्वोच्च स्थान देने की बात कही गयी है।

राष्ट्रपति ने कहा कि कर्तव्यों और अधिकारों की बात भी इसमें कही गयी है। लेकिन यह भी कहा गया है कि यदि हम अपने कर्तव्यों को भी समझें तो देश इससे मजबूत होगा। कर्तव्यों से ही अधिकारों की को पूर्णता मिलती है।

उनसे पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने सर्वप्रथम मुंबई आतंकी हमले के  शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। पीएम ने इस मौके पर कहा कि हमारा संविधान हमारे लिए सबसे बड़ा और पवित्र ग्रंथ है। पीएम ने कहा – ” कुछ दिन और अवसर ऐसे होते हैं जो हमारे अतीत के साथ हमारे संबंधों को मजबूती देते हैं। हमें बेहतर काम करने के लिए प्रेरित करते हैं। आज २६ नवंबर का दिन ऐतिहासिक दिन है। सत्तर साल पहले हमने विधिवत रूप से, एक नए रंग रूप के साथ संविधान को अंगीकार किया था।”

उन्होंने इस मौके पर २६/११ आतंकी हमले में शहीद हुए लोगों को भी याद किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि २६ नवंबर हमें दर्द भी पहुंचाता है, जब भारत की महान परंपराओं, हजारों साल की सांस्कृतिक विरासत को आज के ही दिन मुंबई में आतंकवादी मंसूबों ने छलनी करने का प्रयास किया था। मैं वहां शहीद हुईं सभी महान आत्माओं को नमन करता हूं।

मोदी ने कहा कि बीते सालों में हमने अपने अधिकारों पर बल दिया, यह जरूरी भी था क्योंकि एक बड़े वर्ग को संविधान ने अधिकार संपन्न किया, लेकिन आज समय की मांग है कि हमें नागरिक के नाते अपने दायित्वों पर मंथन करना ही होगा। उन्होंने कहा कि सेवाभाव से कर्तव्य अलग है, कर्तव्यों में ही अधिकारों की सुरक्षा है, यह बात महात्मा गांधी ने भी कही थी।

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु ने इस मौके पर कहा कि जो अंतिम पंक्ति में बैठे हैं उनका उत्थान पहले होना चाहिए। उन्होंने कहा – ”समय आ गया है कि हमें राष्ट्र निर्माण के लिए कर्तव्यों पर केंद्रित करना चाहिए। देश की संप्रुभता, एकता और अखंडता का सम्मान कीजिए। हम एक हैं, एक देश हैं यही अप्रोच होना चाहिए।”

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला  पर कहा कि आज ही के दिन इतिहास रचा गया था।  उन्होंने आगे कहा – ”संविधान ने अगर हमें मौलिक अधिकार दिए हैं तो मौलिक कर्तव्य देकर हमें अनुशासित करने की भी कोशिश की है।”

कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों ने संसद की सयुंक्त बैठक में नहीं जाने का फैसला किया और इसका कारण यह बताया कि महाराष्ट्र में जो कुछ हुआ वह संविधान का सरासर उल्लंघन है।