विलासिता बनाम पर्यावरण : ज़रूरी क्या?

निरंतरता भविष्य की कुंजी है- यह मातृत्व वक्तव्य अक्सर सुनने को मिल जाता है। मानव उदासीनता और नासमझ बर्बादी की वजह से पर्यावरण को बेहद नुकसान पहुँचाया गया है। इसे दुनिया के सबसे बड़े जंगल अमेजॅन की भयावह आग वाली छवियों या ऑस्ट्रेलियाई बुशफायर के हालिया दिल तोडऩे वाले दृश्यों को भुला दिया गया है। कुछेक वर्षों में भारतीय समुद्र तट पर भी समुद्र के किनारे कई टन कचरा फेंकने के लिए काॢमक अधिनियम भी बनाया जा सकता है।

जैसा कि जलवायु परिवर्तन और प्लास्टिक से तबाही एक भयावह वास्तविकता बन चुकी है। सिद्धांत और व्यावहारिक रूप से विलासिता यानी लग्जरी जैसा नया शब्द उछाला जा रहा है। महामारी से प्रेरित लॉकडाउन के चलते प्रकृति नये जीवन की साँस ले रही है या कहें फर से साँस लेने दे रही है। ऐसा ही लग्जरी होटल के लिए सामान्य रूप से व्यापार करने के लिए पर्यावरण के प्रति सावधान रहना ज़रूरी है। अस्पतालों से जुड़ा उद्योग विलंबित वेकअप कॉल की तरह है, जिसके संरक्षण के लिए तत्काल कदम उठाये जाने की आवश्यकता है। अपारदॢशता और भव्यता का पर्याय, जिसे अक्सर संसाधनों के भ्रामक दुरुपयोग के रूप में माना जाता है; लग्जरी होटल अब पर्यावरण के अनुकूल के रूप में अपने मूल्यों का विज्ञापन करते हुए महज़ प्रचार के साधन साबित हो रहे हैं। ये लोकाचार नये युग के यात्री के साथ प्रतिध्वनित हो रहा है, जिन्हें इस बदलाव में एक प्रमुख योगदान देने वाले के तौर पर देखा जाता है। अपशिष्ट और नागरिक उदासीनता के तहत एक ग्रह के टूटने के बारे में संवेदनशील रूप से विघटन के कारण, उपभोक्ता विलासिता का चयन कर रहा है, जिसके लिए पर्यावरण को भारी कीमत चुकानी पड़ रही है।

नई दिल्ली के एक पाँच सितारा होटल जेडब्ल्यू मैरियट के परिसर से ही सालाना 17,00,000 प्लास्टिक की बोतलों की खपत होती है। ऐसी परिस्थिति का सामना करने के बारे में सोचना बेहद कठिन कार्य है। बदलाव की शुरुआत की कभी भी की जा सकती है और यहाँ पर इसी महीने से प्लास्टिक मुक्त अभियान का आगाज़ किया गया है। जेडब्ल्यूएम ने अपने फ्लैग-शिप वॉटर ट्रीटमेंट और प्यूरिफिकेशन प्लांट को भी शुरू कर दिया, जो आर्टिफिशियल-इंटेलिजेंस प्रोग्राम पर आधारित है। यह विचार इस तरह से सामने आया कि होटल में इस्तेमाल होने वाली सभी पानी की प्लास्टिक की बोतलों का फिर से प्रयोग किया जाए। इसके अलावा पानी की बोतल के लिए काँच की बोतलों में पानी दिया जाए और उसमें ऐसा पानी हो, जिसमें ज़रूरी खनिज भी हों। इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि आतिथ्य उद्योग अपव्यय का ध्वजवाहक है, और इसके लिए इसका श्रेय कुछ अमीर घरानों के लोगों के ग्राहकों को दिया जाए, तो कहना गलत नहीं होगा। यात्री के रूप में बार-बार प्लास्टिक की बोतल में पानी की दिये जाने और एक उपयोग टॉयलेटरीज से नाराज़ होना लाज़िमी था। मैडियस हेल्थ की सीओओ सैमी भाटिया कहती हैं, मैं होटल के संसाधनों का बोझ कचरे को जोड़कर कम करने की कोशिश कर सकती हूँ। वह कहती हैं कि स्वयं अपने टॉयलेटरीज और पानी की बोतल ले जाती है और हर दिन अपने बिस्तर की चादर और तौलिये को रोज़ाना नहीं बदलती हैं। वेस्टिन गुडग़ाँव में फॉरवर्ड-थिंकिंग के तहत लग्जरी में कुछ ऐसे बदलाव किये हैं, जिनका स्वागत किया जाना चाहिए। यहाँ पर पानी काँच की बोतलों में परोसा जाता है, साथ ही सभी तरह के प्लास्टिक के प्रयोग से बचा जाता है। उनके सॉप फॉर होप कार्यक्रम ने रीसाइकिल किये गये साबुन से फिर उपयोग करने योग्य नये साबुनों में किया, जिनको अनाथालयों और वृद्धाश्रमों में वितरित किया जाता है। अपने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के माध्यम से सम्पत्ति ऊर्जा के संरक्षण के लिए परिसर में एलईडी लाइट का उपयोग करने के अलावा फ्लशिंग, बागवानी और सफाई फर्श के लिए पुनर्नवीनीकरण पानी का फिर से उपयोग किया जाता है।

वेस्टिन गुडग़ाँव नई दिल्ली में इंजीनियङ्क्षरग के निदेशक हलीम अहमद सिद्दकी कहते हैं, डिजाइन से लेकर अतिथि अनुभव तक निरंतरता हमारी व्यावसायिक रणनीति में अंतर्निहित है। उदाहरण के लिए हमारे सभी खाद्य और पेय पदार्थ काँच के बर्तनों या बोतलों में ही परोसा जाता है और जो पानी खरीदा जाता है, उसमें भरपूर खनिज होते हैं; फिर काँच की पैकेजिंग की जाती है। होटल मिनी बार को प्लास्टिक मुक्त बनाने के भी उपाय किये जा रहे हैं। इसे लिये स्थायी पैकेजिंग को लाने के लिए नये मॉडल पर काम किया जा रहा है।

रोजियट होटल्स एंड और रिजॉट्र्स ने प्लास्टिक कटलरी के उपयोग पर प्रतिबन्ध लगा दिया है और इसकी जगह इसे इको-फ्रेंडली विकल्प चुन लिया है। इसके साथ ही एक और कदम उठाया है, जिसमें भोजन को प्लास्टिक की पैकेजिंग की जगह कागज़ के बॉक्स में दिया जाता है। रोजियट हाउस में उपयुक्त सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट भी स्थापित किया गया है। यह ऐसी तकनीक है, जिसमें सीवेज का पानी इको-एडजस्ट होने की विविध प्रक्रिया के ज़रिये फिर से प्रयोग में लाया जाता है।

जब होटल अपने रिकॉर्ड और प्रतिष्ठा को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे हैं और ऐसी पहल में वे कामयाब भी हो रहे, तो इनके संरक्षक भी छोटी-मोटी असुविधाओं को शिकायत की बजाय बड़े परिदृष्य में देखें। जब तक हम उनके प्रयासों में होटल के साथ सहयोग नहीं करते हैं, तब तक वे प्रकृति का दोहन जारी रखेंगे। कमरे के अन्दर पंखे को चलाना ज़रूरी है या नहीं, इसे बन्द रखने के बारे में शख्स कहाँ और कितना ध्यान देता है? दिल्ली के सलाहाकर प्रमोद दास महसूस करते हैं कि यह मानसिकता कि हम होटलों में राजा हैं और जब हम वहाँ जाते हैं, तो सब कुछ वहन करने में सक्षम हैं।

भविष्य में सतत बदलाव के लिए समय की माँग है कि इसमें ठोस कार्रवाई की जाए। जेडब्ल्यू मैरियट के महाप्रबन्धक नितेश गाँधी कहते हैं कि जब हमने पहला कदम उठाया है, तो हमें यह सुनिश्चित करने के लिए कि अपनी पीढिय़ों के लिए बेहतर रास्ता और विकल्प छोड़कर जाएं, इसके लिए ज़रूरी है कि यह सुनिश्चित करें कि हमें अपने भागीदारों और सभी बिरादरी से समर्थन चाहिए। एक और सचेत निर्णय जो कि सतत विलासिता की सूची में बड़ा स्कोर है- वह है जल संरक्षण और इसके लिए होटल टैप एरेटर का उपयोग कर रहे हैं। आमतौर पर फ्लो रेगुलेटर, ताज पैलेस, नई दिल्ली और ताज सिटी सेंटर, गुरुग्राम ने अपने लॉबी वॉशरूम में स्थापित किया है। समूह के अनुसार, इन टैप एरेटर की स्थापना से नल से पानी के प्रवाह को 80 से 85 फीसदी तक कम करने में मदद मिली है।

वाशरूम में पानी के एयरेटर या विशेष टैप ऐसी चीज़ें हैं, जो किसी की भी नज़र से बच नहीं सकते। डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकर शौर्य प्रथी कहते हैं कि बदलाव छोटे दिखते हैं; लेकिन उनमें एक बड़ा प्रभाव डालने की क्षमता होती है और यही वह चीज़ है, जो मैं अपने होटल बुक करने से पहले देखता हूँ। महीने में 20 दिनों के लिए अपने सूटकेस से बाहर रहने का मतलब है कि नियमित रूप से देखता हूँ कि ‘फाइव-स्टार अनुभव’ पर्यावरण को कैसे प्रभावित कर रहा है। मैं अपनी बुङ्क्षकग करने से पहले एक सम्पत्ति के पर्यावरण के अनुकूल नैतिकता के बारे में बहुत शोध करता हूँ। एक जगह जो हर उपयोग के बाद बिस्तर लिनन या तौलिये को बदलने को तवज्जो नहीं देता हूँ। आगे प्रथी कहते हैं कि मेरी सूची में उच्च स्कोर उस होटल का होता है, जो पर्यावरण को बिना नुकसान पहुँचाये सबसे अच्छा विकल्प देने को लेकर जुनूनी कदम उठाते हैं।

ताज पैलेस में अपशिष्ट जल प्रबन्धन प्रणाली प्रतिदिन 80 किलोलीटर पानी उपचारित करती है, जिसका उपयोग बागवानी और भूनिर्माण गतिविधियों, कारों की धुलाई, फर्श और होटल के कूङ्क्षलग टॉवरों के लिए किया जाता है। ताज सिटी सेंटर ने हाल ही में बायो स्केल रिमूवर स्थापित किया है, जो रसायनों के उपयोग के बिना कूङ्क्षलग टॉवर का उपचार करता है, जिससे पानी और बिजली दोनों में लगभग 50 फीसदी की बचत होती है। होटल प्रति रात की ऊर्जा खपत, कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन और पानी की खपत को कम करने की दिशा में अथक प्रयास कर रहा है। ताजमहल क्रेंद्र के इंजीनियरिंग विभाग के निदेशक सुमित शर्मा का कहना है कि हम धीरे-धीरे स्थानीय रूप से टिकाऊ उत्पादों और सेवाओं का भी

उपयोग करेंगे।  एक ओर होटल लग्जरी और पारिस्थितिक रूप से सचेत कदमों को परस्पर प्रभावित करके प्रकृति के प्रति संवेदनशील होने का दावा कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर, पर्यावरणविद् इसे एक निष्क्रिय तिरस्कार के रूप में देखते हैं और उत्साह में ऐस गतिविधियों में शामिल होने से इन्कार करते हैं। वे देखते हैं कि यह एक छोटा कदम है, होटल के दिग्गजों द्वारा ज़्यादतियों के विशाल सागर में एकमात्र आई वॉश। ये सराहनीय उपाय हैं; लेकिन बहुत मामूली हैं। नेचुरल हैरिटेज फस्र्ट के संयोजक दीवान सिंह कहते हैं, होटल विशाल बर्बादी और संसाधनों के दुरुपयोग के लिए कुख्यात हैं। इन स्थानों पर दूर-दूर तक फैले विशाल पदचिह्नों को छोड़ दिया जाता है, जो कि उनकी भव्यता का स्वभाव है। अगर वे वास्तव में बदलाव करना चाहते हैं तो उन्हें ज़मीनी तौर पर काम करने की ज़रूरत है। क्या वे जानते हैं कि वे इतालवी संगमरमर के साथ पैरों के निशान छोड़ते हैं, जिसे वे लॉबी से सजाते हैं या लग्जरी कारें, जिनमें उनके मेहमान सफर करते हैं? उनका पर्यावरणवाद प्लास्टिक की बोतलों और फूस से आगे बढऩा है।

इस बीच अंदाज़ दिल्ली ने अपने स्टूडियो और बॉलरूम में परोसी जाने वाली पानी की बोतल के आकार को 250 मिली से घटाकर 200 मिली कर दिया है। जो बोतलें हमारे कार्यक्रमों में उपयोग की जाती हैं, वे जैव-अपघट्य हैं। यहाँ तक कि हम काँच की बोतल को आधे हिस्से में काटकर पानी के गिलास के रूप में उपयोग करते हैं। घटनाओं में टैग के लिए कागज़ की बर्बादी से बचने के लिए हम ब्लैक बोर्ड का उपयोग करते हैं; क्योंकि यह दिलचस्प लगता है और कई मेहमानों द्वारा इसकी सराहना की जाती है। अंदाज़ दिल्ली के इंजीनियङ्क्षरग के निदेशक राकेश कुमार बताते हैं कि यह रेस्तरां अन्नामाया हर रविवार को एक पॉप-अप होस्ट करता है, जहाँ मेहमानों को बेकार की चीज़ों से कुछ बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

निरंतर प्रयास का दूसरा पहलू है- कीटनाशक रहित भोजन खाना। खाद्य उत्पादों के माध्यम से उर्वरकों और रसायनों की खपत को कम करने के लिए होटल अपनी उपज भी बढ़ा रहे हैं। पुलमैन नई दिल्ली एरोसिटी ऐसे स्थानीय ताज़े उत्पाद परोसते हैं, जिनकी ऑर्गेनिक तरीके से 5,000 वर्ग फुट के इन-हाउस फार्म में पैदावार की जाती है।

दिल्ली की पर्यावरण कार्यकर्ता छाया मेथी को लगता है कि निरंतरता शब्द लग्जरी गुणों के लिए मौज़ूद नहीं है और वह इसके लिए संरक्षक को भी ज़िम्मेदार ठहराती हैं। कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे कितने भी संरक्षणवादी बनने की कोशिश करें, भले ही वह पैमाने पर भी हों। पर वे असफल हो जाएँगे, क्योंकि उनके उपभोक्ता होटल में सभी सुविधाएँ चाहते हैं। इसलिए उन्हें टूथब्रश और टॉयलेटरीज जैसी चीज़ें उपलब्ध करानी होंगी, सभी एक ही प्लास्टिक में पैक किये जाएँगे; जिन्हें वे कम करने की कोशिश कर रहे हैं। वह कहती हैं कि इन सभी को एकल उपयोग के बाद फेंक दिया जाता है। इसलिए वे अधिक अनावश्यक अपशिष्ट पैदा

करते हैं। इसी तरह के सवाल उपभोक्ता की तरफ से भी अक्सर पूछे जा रहे हैं, जो अपनी आदतों का आत्मनिरीक्षण कर रहा है और होटल प्रथाओं का हिस्सा बनने वाली बहुत-सी प्रथाओं के लिए भी बेहद अहम है। भोजन की बर्बादी सभी होटलों में एक बड़े धब्बे की तरह है, खासकर जब बफे (खड़े होकर खाना) परोसा जाता है। इस भारी मात्रा में अपव्यय के प्रति उदासीनता आपराधिक है। होटलों को इस पर ध्यान देने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। यह पर्यावरण का भी हिस्सा है, सुदीप्त बनर्जी, जो एक पब्लिशिंग हाउस के साथ काम करते हैं; कहते हैं- यह कपड़े के रुमाल से हाथ पोंछने और फिर टोकरी में फेंकने में बहुत शाही लगता है। अब मैं खुद से पूछती हूँ कि क्या मैं घर पर वॉशरूम इस्तेमाल करने के बाद भी ऐसा ही करूँगी? डेटा विश्लेषक और यात्री एकांत मेहता, स्थायी विलासिता केवल तब तक कायम रह सकती है; जब तक कि मेहमान यह भी समझ जाते हैं कि उन्हें अपनी इच्छा और नखरे पर पर्दा डालने की ज़रूरत है।