लचर परिवहन व्यवस्था भी कोरोना को बढा रही है

दिल्ली में कोरोना के मामलों में इजाफा के मुख्य कारणों में से एक दिल्ली की लचर परिवहन व्यवस्था। बताते चले इस समय दिल्ली सरकार की बसों में सिर्फ 20 ही सवारियों को बैठने की इजाजत है । जिसका बस चालक और कंडेक्टर भी भली- भाँति पालन कर रहे है।वहीं  सरकार के परिवहन अधिकारियों और यातायात पुलिस की मिली भगत से आँटो वाले और फटाफट सेवा के नाम पर कारों में ठूंस-ठूस कर सवारियों को ले जा रहे है। जो कोरोना के बढने का एक कारण है।

तहलका संवाददाता को दिल्ली के नागरिकों ने और बस स्टैण्डों में खडी  सवारियों ने बताया कि दिल्ली सरकार जनता के साथ मजाक कर रही है। क्योंकि दिल्ली में आँटों वालों को एक आँटों में ड्राईवर सहित पीछे सीट में 3 ही सवारियों की अनुमति मिली हुई है। लेकिन आँटों वालों की यातायात पुलिस से सेटिंग होने के कारण अपनी आँटों में 6 और 7 सवारियों को बैठा रही है। ड्राईवर अपनी ही सीट पर 2 और 3 सवारियों को बैठाने कर यातायात नियमों की धज्जियों को तार –तार कर रहे है और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे है ।

आँटों में सवारी एक- दूसरे से चिपक कर बैठती है। यही हाल फटाफट सवारियों के नाम पर जो कार चल रही है वो, तो सारे नियम कायदों को ताक पर रख कर सवारियों को ठूंस कर चलती है । अगर कोई यात्री विरोध करता है ,तो उसको कार से उतार देते है। सवारियों का कहना है कि बस में जब सवारियों को बैठने नहीं दिया जाता है क्योंकि 20 सवारी पहले से ही बैठी तो, जो सवारी बस के इंतजार में बस स्टेण्ड में खडी रहती है । वे भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करती है। जिससे कोरोना का संक्रमण फैलने का खतरा बढ रहा है।दिल्ली परिवहन विभाग से रिटायर्ड कर्मचारी ने बताया कि इस समय दिल्ली में बसों की कमी है और सरकार बचाव सोशल डिस्टेंसिंग के नाम पर 20 ही सवारियों को बैठने की इजाजत दे रही है । जबकि सरकार को ये मालूम है कि बसों के ना आने से बस स्टेँण्ड में यात्रियों का जमावडा होता है जो काफी घातक होता है। ऐसे में सरकार का दायित्व बनता है कि बसों की संख्या बढाये अन्यथा कोरोना का कहर बढता ही जायेगा। दिल्ली के पिछडे इलाकों में जहां के लोग बसों पर ही आश्रित है वहां पर बसों की संख्या बढायी जाये ।सबसे चौकाने वाली बात ये है कि सरकार को भली-भाँति मालूम है ,कि  बाहरी लोगों के आने –जाने वालों के संपर्क में आने से ही संक्रमित बीमारी फैलती है फिर भी सरकार इस मामलें में कोई कदम ना उठा रही है।