लखीमपुर खीरी मामले में लटका फ़ैसला

अपराधी चाहे रसूख़दार हो चाहे ग़रीब हो, उसे अपराधी ही माना जाए, तो न्याय पर लोगों को भरोसा क़ायम रहे। लखीमपुर खीरी में चार किसानों समेत पाँच लोगों की हत्या का आरोपी केंद्रीय मंत्री के बेटे पर सर्वोच्च न्यायालय के फ़ैसले का नज़रिया कुछ-कुछ यही संकेत देता है। विदित हो कि 3 अक्टूबर, 2021 को केंद्रीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा मोनू ने दिन में किसान आन्दोलन के दौरान विरोध करके लौट रहे किसानों पर तिकुनिया में गाड़ी चढ़ा दी थी, जिसमें चार किसान, एक पत्रकार और तीन अन्य लोगों की मौत हो गयी थी। इस हत्याकांड में आशीष मिश्रा ने गोली भी चलायी और कार से निकलकर भाग गया।

इस मामले को लेकर मंत्री अजय मिश्रा ने अपने बेटे का पूरा बचाव किया, मगर वीडियो और अन्य सुबूतों की बिना पर उसे एसआईटी ने दोषी करार दिया और क़रीब दो महीने बाद गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन जब उत्तर प्रदेश के चुनाव चल रहे थे, तब उसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय से 10 फरवरी, 2022 को जमानत मिल गयी। मगर आशीष मिश्रा की गिर$फ्तारी इतनी आसानी से नहीं हुई, उस समय भी सर्वोच्च न्यायालय को उत्तर प्रदेश सरकार की फटकार लगानी पड़ी और मामले की निष्पक्ष जाँच के लिए दबाव बनाना पड़ा। फ़िलहाल आशीष मिश्रा जमानत पर बाहर है, मगर उसे पूरी तरह राहत नहीं मिली है। मगर किसान इस मुख्य दोषी को जेल होते देखना चाहते हैं, जिसे लेकर किसानों ने उसकी जमानत को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दे रखी है। किसानों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे और वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण पैरवी कर रहे हैं। अब सर्वोच्च न्यायालय ने आशीष को जमानत देने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फ़ैसले पर सवाल उठाये हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में कहा कि जब सुनवाई होने से पहले पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, घावों की प्रकृति जैसे अनावश्यक विवरण पर विचार क्यों नहीं किया गया? फ़िलहाल आशीष की जमानत के ख़िलाफ़ किसानों की याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय की विशेष पीठ ने फ़ैसला सुरक्षित रख लिया है।

विशेष पीठ ने प्रदेश सरकार द्वारा उच्च न्यायालय के आदेश के ख़िलाफ़ अपील दायर न करने को लेकर आपत्ति जतायी। इस पर प्रदेश सरकार ने कहा कि आरोपी कहीं नहीं भागेगा। इस पर पीठ ने कहा कि हम इस प्रकार की बकवास को स्वीकार नहीं करते। इधर, पीडि़त परिवारों की ओर से वकीलों ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सुबूतों को नज़रअंदाज़ करके दोषी को जमानत दी।

इस बारे में किसान बृजेश ने कहा कि सरकार किसानों के समर्थन में कभी नहीं थी, बल्कि अपराधी को स्पष्ट रूप से बचा रही है। उन्होंने कहा कि सही और $गलत सब कुछ सरकार की नज़र में है। फिर भी अपराधी को बचाने का काम चल रहा है। एक अन्य किसान मंगल सेन ने कहा कि जब बुरे लोग कुर्सियों पर होते हैं, तो बुराई ही पनपती है। किसानों की हत्या का मामला खुली तस्वीर है, मगर सियासत अपराधी को बचा रही है और न्यायालय को गुमराह कर रही है। प्रदेश में अपराधी बढ़ गये हैं और खुले घूम रहे हैं। इस बारे में भाजपा कार्यकर्ता अनिरुद्ध गंगवार का कहना है कि भाजपा न्यायप्रिय पार्टी है। योगी सरकार में अपने-पराये का भेद नहीं किया जाता। अगर आशीष मिश्रा दोषी होते, तो उन्हें न्यायालय से जमानत नहीं मिली होती।

लोगों की राय अपनी-अपनी हो सकती हैं, मगर जो प्रमाण वीडियो आदि के माध्यम से लोगों तक पहुँचे, वो सच बताये जा रहे हैं। फिर भी जमानत पर बाहर घूम रहे आशीष मिश्रा को पक्ष के लोग निर्दोष बता रहे हैं, इस घटना के चश्मदीद गवाह और मामले की सच्चाई को जानने वाले आशीष की जमानत को साज़िश बता रहे हैं। ख़ुद प्रदेश सरकार के अधिवक्ता राम जेठमलानी ने ख़ुद कहा कि यह एक गम्भीर अपराध है। अधिवक्ता ने सर्वोच्च न्यायालय में कहा कि एसआईटी ने हमसे अपील करने के लिए कहा, क्योंकि वह (अजय मिश्रा) एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और सुबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं।

घटनाक्रम

3 अक्टूबर, 2021 : लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा ने अपराह्न 3:00 बजे प्रदर्शन करके लौट रहे लखीमपुर खीरी के किसानों पर कार चढ़ा दी। उस समय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और खीरी से सांसद व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी लखीमपुर खीरी में शिलान्यास के लिए उपस्थित थे। किसान इन नेताओं को काले झण्डे दिखाने तिकुनिया में जमा हुए थे। इस हादसे में चार किसानों, एक पत्रकार और तीन आशीष मिश्रा के तीन साथियों की मौत हुई। वहीं 10 से अधिक किसान घायल हुए। $गुस्साये किसानों और घटनास्थल पर मौज़ूद लोगों ने गाड़ी में आग लगा दी। घटना के वीडियो वायरल हुए, जिसमें आशीष मिश्रा गाड़ी से निकलकर भागता नज़र आया। घटना से पहले ही केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ने किसानों को धमकी दी थी। प्रियंका गाँधी ने पीडि़तों से मिलने की कोशिश की, तो उन्हें सीतापुर के हरगाँव में ही हिरासत में ले लिया गया। जेल में उन्होंने झाड़ू लगायी। इससे मामला और गरमाया।

4 अक्टूबर, 2021 : लखीमपुर खीरी ज़िले में धारा-144 लागू कर दी गयी और इंटरनेट सेवाएँ भी बन्द कर दी गयीं। आशीष मिश्रा ने सफ़ाई दी कि वो तो बाबा की स्मृति में दंगल आयोजित करवा रहा था। उसके पिता अजय मिश्रा ने भी कहा कि उनका बेटा घटनास्थल पर मौज़ूद नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों ने भाजपा के क़ाफ़िले पर हमला किया, जिससे गाड़ी का बैलेंस बिगड़ गया और दुर्घटना हो गयी। उन्होंने और कुछ भाजपा नेताओं ने तो भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या का आरोप भी किसानों पर लगाया। किसानों ने न्याय, मुआवज़े और आरोपी को सज़ा दिलाने की माँग की। बाद में पाँच मृतकों के परिजनों को 45-45 लाख रुपये, एक-एक आश्रित को सरकारी नौकरी और आरोपियों की गिरफ़्तारी पर समझौता हो गया।

5 अक्टूबर, 2021 : एक और वीडियो से मामला गरमा गया। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राहुल गाँधी घटना स्थल पर जाने के लिए आगे बढ़े, तो उन्हें भी रोका गया। प्रियंका गाँधी को पीडि़तों से मिलने दिया गया। इस बीच एक शव पोस्टमार्टम फिर से हुआ।

6 अक्टूबर, 2021 : सर्वोच्च न्यायालय ने मामले में संज्ञान लेते हुए 7 अक्टूबर को सुनवाई की और सभी दलों के नेताओं को लखीमपुर खीरी जाने की अनुमति दी। इसके बाद कई विपक्षी दलों के नेता पीडि़तों से मिलने पहुँचे। सभी ने मंत्री के इस्तीफ़े और आरोपी को सज़ा देने की माँग की।

7 अक्टूबर, 2021 : सर्वोच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार को लताड़ लगाते हुए जाँच की जानकारी माँगी। आशीष के ख़िलाफ़ नोटिस जारी हुआ। सर्वोच्च न्यायालय की फटकार के बाद उसी दिन दो लोग गिरफ्तार किये गये।

8 अक्टूबर, 2021 : मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा अपराध शाखा (क्राइम ब्रांच) के सामने नहीं पेश हुआ। सर्वोच्च न्यायालय ने फिर से प्रदेश सरकार की फटकार लगायी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसे आरोपी को धारा-302 के तहत हिरासत में लिया जाता है। आशीष को अगले दिन हाज़िर होने का फिर नोटिस जारी हुआ।

9 अक्टूबर, 2021 : आशीष मिश्रा सुबह 11 बजे हाज़िर हुआ, जहाँ 12 घंटे की पूछताछ के बाद उसे गिरफ्तार किया गया। बताया जाता है कि आशीष ने पूछताछ में काफ़ी हेंकड़ी की थी। लेकिन उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

11 अक्टूबर, 2021 : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आशीष मिश्रा को तीन दिन की पुलिस कस्टडी में भेजा, जिसमें पूछताछ के वक़्त आरोपी के वकील के मौज़ूद रहने की शर्त लागू थी।

13 अक्टूबर, 2021 : उच्च न्यायालय ने आरोपी की जमानत याचिका ख़ारिज कर दी। सर्वोच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार को फटकारा और पूछा कि 44 गवाहों में से फ़क़त चार के बयान ही क्यों दर्ज हुए?

8 नवंबर, 2021 : सर्वोच्च न्यायालय ने जाँच पर सवाल उठाये और इसके लिए दूसरे राज्य के उच्च न्यायालय के रिटायर जज की नियुक्ति का प्रस्ताव रखा। 15 नवंबर, 2021 प्रदेश की एक ज़िला न्यायालय ने आरोपी आशीष मिश्रा, आशीष पांडे और लवकुश राणा की जमानत याचिका ख़ारिज कर दी।

17 नवंबर, 2021 : जाँच की निगरानी के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय से सेवानिवृत्त न्यायाधीश राकेश कुमार जैन को नियुक्त किया और एसआईटी का पुनर्गठन किया, जिसमें पुलिस और एसआईटी में तीन आईपीएस अधिकारियों को शामिल किया गया।

14 दिसंबर, 2021 : एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि तिकुनिया कांड एक सोची-समझी साज़िश थी। यह घटना किसानों की हत्या की कोशिश थी। इसमें हत्या, हत्या के प्रयास और अंग-भंग करने की धाराएँ लगायी जानी चाहिए। आशीष मिश्रा को जेल भेजा।

15 दिसंबर, 2021 : 1केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने एक पत्रकार के सवाल करने पर उसे धक्का दिया, माइक छीना और धमकी दी। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के बीच 10 फरवरी, 2022 को आशीष को इलाहाबाद उच्च न्यायालय से जमानत मिल गयी। सर्वोच्च न्यायालय में इसी मामले को चुनौती दी गयी है।