राहुल का राफेल पर फिर हमला

''अफसरशाही, वायुसेना, रक्षा मंत्रालय में फीलिंग - राफेल में चोरी हुई''

कैग की रिपोर्ट संसद में पेश होने के बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर राफेल लड़ाकू विमान खरीद को लेकर पीएम मोदी पर जबरदस्त हमला बोला है। राहुल ने प्रेस कांफ्रेंस करके राफेल डील पर सीएजी रिपोर्ट को ”चौकीदार ऑडिटर जनरल रिपोर्ट” करार दिया।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि ”अफसरशाही, वायुसेना और रक्षा मंत्रालय में ये फीलिंग है कि राफेल मामले में शत प्रतिशत चोरी हुई है।” राहुल ने कहा – ”यदि आप रिपोर्ट पर नजर डालें तो रिपोर्ट में ये माना गया है कि २००७ के सौदे में संप्रभु गारंटी, बैंक गारंटी और प्रदर्शन गारंटी शामिल थी, जबकि नये सौदे में यह शामिल नहीं है।”
राहुल ने कहा कि यदि सीएजी रिपोर्ट को ही देखा जाय तो निर्मला सीतारमण ने संसद में झूठ बोला है। उन्होंने कहा था कि राफेल डील ९.२० फीसदी सस्ती हुई थी, लेकिन सीएजी २.८ फीसदी बता रहा है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि अगर राफेल डील में कोई घोटाला नहीं हुआ है तो संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के लिए सहमति दें। ”भाजपा जेपीसी से क्यों डर रही है?”
राहुल ने कहा कि ३६ राफेल विमानों के लिये भारत की जरूरतों के हिसाब से बदलाव १२६ विमानों के जैसे ही हैं। नये सौदे में प्रति विमान २५ मिलियन यूरो ज्यादा भुगतान किया गया है और इसी जगह पर भ्रष्टाचार हुआ है।
 गांधी ने कहा कि राफेल पर समझौता टीम ने कहा है कि नई डील पहले से ५५ फीसदी महंगी है। राहुल ने कहा – ”मोदीजी, आप पर पूरा देश आरोप लगा रहा है कि आपने एयरफोर्स से ३०,००० करोड़ रुपये छीनकर अनिल अंबानी को दे दिया।”
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि सीएजी रिपोर्ट ने कीमत पर समझौता टीम की असहमति को नहीं जोड़ा है। राहुल गांधी ने कहा – ”नरेंद्र मोदी घबराए हुए हैं, राफेल का मामला निष्कर्ष तक पहुंचेगा। तीन बिंदुओं  प्रक्रिया, भ्रष्टाचार, राष्ट्रीय सुरक्षा कानून इसमें अहम् हैं।”
राहुल ने कहा कि राफेल डील में न ही रक्षा मंत्री को मालूम था, न ही विदेश सचिव को मालूम था, न एचएएल को मालूम था। ”लेकिन अनिल अंबानी को डील होने से १० दिन पहले मालूम था। मतलब यही है कि नरेंद्र मोदी अनिल अंबानी के बिचौलिए के रूप में काम कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि इस नए डील का सिर्फ एक कारण है, नरेन्द्र मोदी जी अनिल अंबानी को ३०,००० करोड़ रुपये देना चाहते हैं। गांधी ने कहा कि नई डील इसलिए की गई क्योंकि एयरफोर्स को जल्दी हवाई जहाज देना चाहते हैं।  जबकि डील के डॉक्यूमेंट में लिखा है कि दस साल के बाद हवाई जहाज मिलेगा।