राज्य के गौरव को बनाए रखने की अपील का असर दिखा विजय में

देश के नवीन राज्य तेलंगाना का दूसरा विधानसभा चुनाव भी मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने जीत लिया। राज्य में फिर सरकार बनाएगी तेलुगु राष्ट्र समिति। केसी राव ने इस साल के शुरू में ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ मिल कर ‘फेडरल फ्रंट’ की मुहिम छेड़ी थी।  उनके इस मंच से उनका स्वागत था जो कांग्रेस और भाजपा से कोई गठबंधन न करके संघीय ढांचे को समर्थन देते हैं। केसीआर इसके जरिए अब राज्य छोड़ कर देश की राजनीति में आना चाहते हैं। उनकी पुत्री कविता भी इसी ओर इशारा करते हुए कहती है कि जब तक वे राज्य में सक्रिय रहना चाहते है, वे रहें फिर केंद्र में जाएं।

तेलंगाना बन तो गया लेकिन यहां आंध्र के लोगों की काफी भरमार है। वे शासन -प्रशासन में भी सक्रिय हैं। वे तेलंगाना बनने पर भी आंध्र नहीं लौटे। आंध्र के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की पार्टी तेलुगु देशम ने यहां चुनाव लड़ा। पिछली विधानसभा (2014) में उन्हें जहां ग्रेटर हैदराबाद म्युनिसिपल कारपोरेशंस में नौ सीटें मिली थी वहीं इस बार उनका खाता नहीं खुला। टीआरएस ने तेलुगु देशम के अपने अड्डे समझे जाने वाले इलाकों में भी सेंध लगा ली और भाजपा को जहां पांच सीटें मिलीं वहीं एआईएसआईएस को मिली सात। टीआरएस को इस बार 18 सीटें उन इलाकों में हासिल हुई जिनका विकास खुद नायडू ने कराया था।

तेलंगाना विधानसभा में कुल 119 सीटें हैं। इसमें टीआरएस को 88 कांग्रेस को 13, और भाजपा को एक सीट मिली है। इस बार चुनाव प्रचार में मतदाताओं ने तेलंगाना के संस्थापक, पहले मुख्यमंत्री के पूरे आकलन के बाद अपना मत दिया। अगली बार ऐसा फिर होगा। यह कोई नहीं कह सकता। इसलिए संभावना यही है कि कुछ समय बाद ही वे अपने फेडरल फ्रंट के जरिए राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण नेता बतौर सक्रिय हो जाएं। राज्य की बागडोर वे अपनी बेटी कविता और बेटे केटी रामराव को भी सौप सकते हैं। दोनो आधे दशक से राजनीति में सक्रिय तो हैं ही।

निजी तौर पर केसीआर बेहद आध्यात्मिक हैं। लेकिन उन्होंने जो काम किए हैं उसके लिए उन्हें तेलंगाना की जनता के लिए भूल पाना असंभव है। उन्होंने बिना जोत देखे हर किसान को रुपए आठ हजार मात्र की सालाना राशि देने का वादा किया था। यह एक तरह की उनका फसल बीमा कहा जा सकता है। यदि किसी किसान की मौत हो जाती है तो उसे मुफ्त जीवन बीमा राशि रुपए पांच लाख मात्र सरकार देती है। कृषि बहुल इलाकों में सातों दिन चौबीसों घंटे बिजली की मुफ्त सुविधा तेलंगाना में ही है। इन सुविधाओं के चलते किसानों ने उन्हें अपना मत दिया। इसी तरह यदि आप शादी करते हैं और आप निश्चित राशि भी नहीं कमा पाते तो आपको शादी मुबारक या कल्याण लक्ष्मी के तौर पर एक लाख रुपए की राशि मिलेगी। इसे अब बढ़ा कर डेढ़ लाख रुपए कर दिया गया है। यदि आपने एक घर के लिए आवेदन किया है तो आपको एक कमरे का फ्लैट, या फिर आप कुछ धन लगाएं तो आपको दो कमरे का फ्लैट भी मिल सकता है।

जो युवा माताएं नार्मल डिलीवरी सरकारी अस्पतालों में कराएगीं उन्हें रुपए 13,000 मात्र और यदि शिशु बच्ची है तो उसे रुपए 15,000 मात्र मिलेगे। साथ ही केसीआर की ओर से एक बाक्स मिलेगा जिससे युवा प्रसूताएं व शिशु की देखभाल कर सकें। इसी तरह आवासीय स्कूलों में शिक्षा लेने वालों के रहने, खाने और शिक्षा का पूरा खर्च सरकार उठाएगी। सत्ता में वापसी के बाद की योजना है कि अल्पसंख्यकों को शिक्षा और नौकरियों में सात फीसद से बढ़ाकर 12 फीसद आरक्षण अब मिलेगा। भाजपा और कांग्रेस से दूरी बना कर राज्यों की अपनी आवाज को सशक्तिकरण देने के इरादे को केसीआर ने अपने प्रदेश में कामयाब किया। उन्होंने इस काम को अपने बेटे केटी रामराव के सुपुर्द किया।

पूरे राज्य में भाजपा को सिर्फ एक सीट मिली। कांग्रेस को बुरी तरह हार मिली। उन्हें भी एक ही सीट मिली। उनकी तमाम सीटों पर टीआरएस का विशेष ध्यान था। हालांकि कांग्रेस के राज्य अध्यक्ष उत्तम कुमार रेड्डी हुजूरनगर से जीते। उनके अनुसार कई सीटों पर जीत में बहुत कम अंतर रहा। कई जगह ईवीएम भी खराब थी। यहां गठबंधन का असर यहां क्यों नहीं दिखा। इस पर विचार करना होगा। कांग्रेस के जो बड़े नेता थे उनमें मंत्री रहे के अरुण और गीता रेड्डी, विधानसभा में विपक्ष के नेता केजाना रेड्डी हार गए।