राज्यसभा के 24 फीसदी सदस्यों के खिलाफ हैं आपराधिक मामले

जब नेशनल इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉम्र्स ने एक सूची जारी करके खुलासा किया कि 2019 के लोक सभा चुनाव में जीतने वाले कुल 539 विजेता में से 233 लोकसभा सदस्यों ने चुनाव के दौरान खुद के खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किये थे, तो इस जानकारी ने कई की भौंहें चढ़ा दीं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि घोषित आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवार के लिए लोकसभा में जीतने की सम्भावना 15.5 फीसदी थी, जबकि स्वच्छ पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों के लिए यह केवल 4.7 फीसदी थी।

विडम्बना यह है कि बात जब राज्यसभा की आती है, तो कहानी अलग नहीं है। कुल 229 राज्यसभा सांसदों का विश्लेषण किया गया, तो ज़ाहिर हुआ कि इनमें से 54 अर्थात् (24 फीसदी) राज्यसभा सदस्यों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किये हैं। राज्यसभा की 233 सीटें हैं, जिनमें से तीन सीटें खाली हैं। नेशनल इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉम्र्स (एडीआर) ने 230 राज्यसभा सदस्यों में से 229 के शपथ पत्रों का विश्लेषण किया। एक सांसद का विश्लेषण नहीं किया गया है; क्योंकि उसका हलफनामा अनुपलब्ध था।

एडीआर के पास उपलब्ध आँकड़ों से पता चलता है कि विश्लेषण किये गये 229 राज्यसभा सदस्यों में से 54 अर्थात् (24 फीसदी) राज्यसभा सांसदों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किये हैं। साथ ही 28 अर्थात् (12 फीसदी) राज्यसभा सदस्यों ने गम्भीर आपराधिक मामले घोषित किये हैं। लोकसभा की बात देखें, तो लोकसभा चुनाव-2019 में विश्लेषण किये गये 539 विजेता उम्मीदवारों में से, 233 अर्थात् (43 फीसदी) सदस्यों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किये हैं। इनमें से 19 सांसद ऐसे हैं, जिन्होंने महिलाओं के खिलाफ अपराधों से सम्बन्धित मामलों की घोषणा की है। इनमें से तीन ने बलात्कार (आईपीसी की धारा-376) से सम्बन्धित हैं; जबकि छ: ने अपहरण से सम्बन्धित मामलों की घोषणा की है। हलफनामे में, जेडीयू के 16 विजेता उम्मीदवारों में से 13

(81 फीसदी), आईएनसी के 51 विजेताओं में से 29 (57 फीसदी), डीएमके से 23 विजेताओं में से 10 (43 फीसदी), एआईटीसी के मैदान में उतरे 22 विजेताओं में से 9 (41 फीसदी) और भाजपा के 301 विजेताओं में से 116 (39 फीसदी) ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किये हैं। राजनीतिक दलों में जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) में आपराधिक रिकॉर्ड वाले सांसदों का फीसदी सबसे अधिक है। केरल में इडुक्की निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस सांसद डीन कुरीकोकोस ने अपने खिलाफ 204 आपराधिक मामले घोषित किये हैं। इनमें दोषपूर्ण हत्या, घर पर अत्याचार, डकैती, आपराधिक धमकी आदि से सम्बन्धित मामले शामिल हैं। गम्भीर आपराधिक मामलों की बात आने पर यह आँकड़ा कहीं अधिक भयावह है। लगभग 159 (29 फीसदी) विजेताओं ने इस बार बलात्कार, हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण, महिलाओं के खिलाफ अपराध आदि से सम्बन्धित मामलों सहित गम्भीर आपराधिक मामलों की घोषणा की है।

हत्या और हत्या के मामलों की कोशिश

उम्मीदवारों की शपथ पत्र के आधार पर संकलित एडीआर और इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट से पता चलता है कि महाराष्ट्र से एक राज्यसभा सांसद, भोंसले श्रीमंत उदयनराजे प्रतापसिंह महाराज (भाजपा) ने हत्या (आईपीसी धारा-302) से सम्बन्धित मामलों की घोषणा की है। चार राज्यसभा सांसदों ने हत्या के प्रयास – भारतीय दंड संहिता (भादंसं) की धारा-307 – से सम्बन्धित मामलों की घोषणा की है।

महिलाओं के खिलाफ अपराध

चार राज्यसभा सदस्यों ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों से सम्बन्धित मामलों की घोषणा की है। चार सांसदों में से एक, राज्यसभा सदस्य राजस्थान के के.सी. वेणुगोपाल (कांग्रेस) ने बलात्कार (भादंसं की धारा-376) से सम्बन्धित मामला घोषित किया है। जब आपराधिक मामलों के साथ राज्यसभा सदस्यों की पार्टीवार भागीदारी की बात आती है, तो भाजपा के 77 राज्यसभा सांसदों में से 14 (18 फीसदी), कांग्रेस के 40 राज्यसभा सदस्यों में से 8 (20 फीसदी), टीएमसी के 13 में से 2 (15 फीसदी) बीजद के 9 राज्यसभा सांसदों में से 3 (33 फीसदी), वाईएसआरसीपी के 6 राज्यसभा सदस्यों में से 3 (50 फीसदी) और सपा के 8 राज्यसभा सांसदों में से 2 (25 फीसदी) ने अपने हलफनामों में खुद के खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किये हैं।

गम्भीर आपराधिक मामलों के साथ पार्टी के राज्यसभा सांसदों का डेटा दर्शाता है कि भाजपा के 77 राज्यसभा सांसदों में से 5 (6 फीसदी), कांग्रेस के 40 राज्यसभा सांसदों में से 6 (15 फीसदी), टीएमसी के 13 राज्यसभा सदस्यों में से 1 (8 फीसदी), बीजेडी के 9 राज्यसभा सदस्यों में से 1 (11 फीसदी), वाईएसआरसीपी के 6 राज्यसभा सदस्यों में से 3 (50 फीसदी) और आरजेडी के 5 राज्यसभा सांसदों में से 3 (60 फीसदी) ने खुद के खिलाफ गम्भीर अपराधी मामलों को अपने हलफनामों में घोषित किया है।

जब हम आपराधिक मामलों वाले राज्य वार राज्यसभा सदस्यों की बात करते हैं, तो उत्तर प्रदेश के 30 राज्यसभा सदस्यों में से 6 (20 फीसदी), महाराष्ट्र के 19 राज्यसभा सांसदों में से 8 (42 फीसदी), तमिलनाड के 18 में से 4 (22 फीसदी), पश्चिम बंगाल के 16 राज्यसभा सांसदों में से 2 (13 फीसदी) और बिहार के 15 राज्यसभा सदस्यों में से 8 (53 फीसदी) ने अपने हलफनामों में खुद के खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किये हैं।

अमीर सांसद

एक और दिलचस्प तथ्य यह है कि 86 राज्यसभा सदस्यों के पास 10 करोड़ रुपये से अधिक की सम्पत्ति है, जबकि 36 के पास पाँच-पाँच करोड़ रुपये से अधिक की सम्पत्ति है। वास्तव में 229 में से राज्यसभा सांसदों का विश्लेषण किया जाए तो 203 (89 फीसदी) करोड़पति हैं। प्रमुख दलों में भाजपा के 77 राज्यसभा सदस्यों में से 69 (90 फीसदी), कांग्रेस के 40 राज्यसभा सांसदों में से 37 (93 फीसदी), एआईएडीएमके के 9 (100 फीसदी) राज्यसभा सदस्य और टीएमसी के 13 में से 9 (69 फीसदी) राज्यसभा सदस्य करोड़पति हैं।

प्रमुख दलों में 77 भाजपा राज्यसभा सांसदों की प्रति सांसद औसत सम्पत्ति 27.74 करोड़ रुपये है; 40 कांग्रेस राज्यसभा सांसदों के पास औसत सम्पत्ति 38.96 करोड़ रुपये है। वहीं 13 टीएमसी राज्यसभा सांसदों के पास औसत सम्पत्ति 3.46 करोड़ रुपये और 9 एआईएडीएमके राज्यसभा सांसदों के पास 12.40 करोड़ रुपये हैं। सबसे ज़्यादा सम्पत्ति वाले शीर्ष तीन राज्यसभा सांसद महेंद्र प्रसाद (जेडीयू, बिहार), अल्ला अयोध्या रामी रेड्डी (वाईएसआरसीपी आंध्र प्रदेश) और जया अमिताभ हैं।

राज्यसभा के 24 (10 फीसदी) सांसदों ने अपनी शैक्षणिक योग्यता 8वीं और 12वीं पास के बीच की घोषित की है, जबकि 200 (87 फीसदी) राज्यसभा सांसदों ने स्नातक या उससे ऊपर की शैक्षिक योग्यता होने की घोषणा की है।

कुल 5 राज्यसभा सांसद डिप्लोमा धारक हैं। चार (2 फीसदी) राज्यसभा सांसदों ने अपनी उम्र 31 से 40 साल के बीच बतायी है, जबकि 117 (51 फीसदी) राज्यसभा सांसदों ने अपनी उम्र 41 से 60 साल के बीच बतायी है। राज्यसभा सांसद 105 (46 फीसदी) हैं, जिन्होंने अपनी आयु 61 से 80 वर्ष के बीच होने की घोषणा की है। तीन राज्यसभा सांसद ऐसे हैं, जिन्होंने अपनी आयु 80 वर्ष से अधिक होने की घोषणा की है। कुल 229 राज्यसभा सदस्यों में से केवल 22 (10 फीसदी) राज्यसभा सदस्य ही महिलाएँ हैं।