राजस्थान हाई कोर्ट ने स्पीकर नोटिस मामले में यथास्थिति बनाए रखने को कहा, अयोग्यता की कार्रवाही नहीं होगी, मामला सुप्रीम कोर्ट में

राजस्थान हाई कोर्ट ने शुक्रवार को सचिन पायलट गुट को बड़ी राहत देते हुए शुक्रवार को स्पीकर के नोटिस को लेकर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है।  इस तरह बागी 19 विधायकों पर अयोग्यता की कार्यवाही नहीं होगी। इससे पहले हाई कोर्ट ने केंद्र को भी इस मामले में पार्टी बनाने की याचिका को स्वीकार कर लिया। अब लगता है इस मामले का सारा परिदृश्य सुप्रीम कोर्ट में बदल गया है।

हाई कोर्ट को आज स्पीकर के 19 विधायकों को नोटिस जारी करने के फैसले को सचिन गुट की तरफ से चुनौती के मामले में कहा कि यथास्थिति बनी रहेगी। गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि यह फैसला उसके अधीन रहेगा। इस बीच मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा का विशेष अधिवेशन बुलाकर अपना बहुमत सिद्ध करने की तैयारी कर ली है। संभावना है कि सोमवार को कोई बिल लाकर यह काम हो सकता है।

 याद रहे राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी के नोटिस के खिलाफ सचिन पायलट गुट के विधायक पृथ्वीराज मीणा की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट में दायर याचिका पर तीन दिन लगातार मैराथन सुनवाई हुई थी। मुख्‍य न्‍यायाधीश इंद्रजीत माहंती और जस्टिस प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने मंगलवार को सुनवाई पूरी कर ली थी और 24 जुलाई फैसले की तारीख तय की थी लेकिन गुरुवार को कॉजलिस्ट में मामला फैसले के लिए लिस्ट नहीं हुआ था, जिससे संभावना बन गयी थी कि अदालत शायद शुक्रवार को फैसला न सुनाए।

याद रहे बुधवार को सचिन पायलट गुट की ओर से एक प्रार्थना पत्र हाई कोर्ट में दायर किया गया था जिसमें कहा गया है कि मामले में शेड्यूल 10 के 2-1-ए को चुनौती दी गई है। ऐसे में याचिका में केंद्र सरकार को भी पार्टी बनाया जाए। पार्टी नहीं बनाने से याचिकाकर्ता के हित प्रभावित होंगे, ऐसे में हो सकता है कि अदालत शुक्रवार को इस प्रार्थना पत्र पर ही सुनवाई करे।

इससे पहले गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट फैसले पर रोक लगाने की स्पीकर की मांग को स्वीकार नहीं किया था। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए थे कि इस मामले में राजस्थान हाई कोर्ट का जो भी फैसला आएगा वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अधीन रहेगा। अर्थात हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद भी लागू नहीं होगा। ऐसे में फैसले से कोई भी पक्ष सीधे तौर पर प्रभावित नहीं होगा, लेकिन फैसला किसके पक्ष में आता है और किसके खिलाफ यह जरूर साफ़ हो जाएगा।