रफाल विमानों के लिए पक्षियों का खतरा

अंबाला में अभी तक नहीं है ठोस कचरा प्रबन्धन संयंत्र, भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के महानिदेशक, निरीक्षण और सुरक्षा शाखा ने हरियाणा सरकार को पत्र लिखकर कहा है कि वह अंबाला एयरबेस के आसपास 10 किलोमीटर के एरोड्रम जोन में पक्षियों के झुण्ड के खतरे से बचने के लिए कदम उठाये। एरोड्रम पर्यावरण प्रबन्धन समिति की बैठकों के माध्यम से अंबाला नगर निगम के संयुक्त आयुक्त और अतिरिक्त नगर आयुक्त से इस सिलसिले में मुलाकात की थी।

हरियाणा के अंबाला स्थित एयरबेस में देश के पहले पाँच रफाल लड़ाकू विमानों के आगमन के साथ भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के महानिदेशक, निरीक्षण और सुरक्षा शाखा ने राज्य सरकार से अंबाला एयरबेस के आसपास कचरे के ढेर की जाँच करने के लिए कहा है। इस कचरे के ऊपर काली चील और कबूतर जैसे पक्षियों के झुण्ड मँडराते रहते हैं और इस तरह वायुयानों के लिए गम्भीर खतरा पैदा हो जाता है।

अंबाला में 29 जुलाई को शामिल रफाल विमानों की सुरक्षा को वायुसेना की सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुए आईएएफ के निरीक्षण और सुरक्षा शाखा के महानिदेशक एयर मार्शल मानवेंद्र सिंह ने हाल में हरियाणा के मुख्य सचिव शेषनी अरोड़ा को पत्र लिखा है। अंबाला में एयरबेस के आसपास पक्षियों की उपस्थिति बहुत अधिक है और टकराने की स्थिति में पक्षी से विमान को बहुत गम्भीर नुकसान पहुँच सकता है।

उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि हवाई क्षेत्र में पक्षियों की गतिविधि आसपास के क्षेत्र में कचरे की मौज़ूदगी के कारण है। पत्र में उन्होंने कहा कि इसे कम करने के लिए कई उपायों की सिफारिश की गयी है और अंबाला स्थित एयरफोर्स स्टेशन के एयर ऑफिसर कमांडिंग ने 24 जनवरी, 2019, 10 जुलाई, 2019 और 24 जनवरी, 2020 को एरोड्रम पर्यावरण प्रबन्धन समिति की बैठकों के माध्यम से अंबाला नगर निगम के संयुक्त आयुक्त और अतिरिक्त नगर आयुक्त से इस सिलसिले में मुलाकात की थी। पत्र में कहा गया है कि इससे यह ज़ाहिर होता है कि यह आवश्यक है कि लड़ाकू विमानों की सुरक्षा के लिए बड़े और छोटे पक्षियों को हवाई क्षेत्र से दूर रखा जाए। ऐसे में आईएएफ ने अंबाला हवाई क्षेत्र के आसपास 10 किलोमीटर के एरोड्रम क्षेत्र में चील जैसे बड़े पक्षियों की गतिविधि को कम करने के लिए ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन (एसडब्ल्यूएम) योजना को तत्काल लागू करने को कहा है। पत्र में आगे कहा गया है कि इसमें कचरा फैलाने के लिए ज़ुर्माना, कचरा संग्रहण में सुधार और उपयुक्त एसडब्ल्यूएम संयंत्र स्थापित करना शामिल होगा। साथ ही एयरफील्ड के आसपास कबूतर प्रजनन गतिविधि पर प्रतिबन्ध और नियंत्रण की माँग की गयी है। नागरिक प्रशासन से मदद की माँग करते हुए एयर मार्शल मानवेंद्र सिंह ने आगे लिखा है कि यह आवश्यक है कि लड़ाकू विमान की सुरक्षा और वायुसेना की इस विशिष्ट आवश्यकता को पूरा करने के लिए बड़े और छोटे पक्षियों को हवाई क्षेत्र से दूर रखा जाए। एयर मार्शल ने हरियाणा सरकार से स्पष्ट रूप से इस बहुमूल्य राष्ट्रीय सम्पत्ति को बचाने के लिए प्रक्रिया को तेज़ करने के अंबाला के स्थानीय अधिकारियों को निर्देश देने के लिए हस्तक्षेप की माँग की है।

कार्य प्रगति पर है

हरियाणा सरकार ने इस मामले को सबसे ज़रूरी और समयबद्ध मानते हुए शहरी स्थानीय निकाय विभाग को अलर्ट किया है और इसे तुरन्त कार्रवाई करने के लिए कहा है। यहाँ तक कि मुख्य सचिव ने कार्रवाई के लिए शहरी स्थानीय निकाय विभाग को आईएएफ का पत्र भी भेज दिया है। स्थानीय नगर निगम ने उन व्यक्तियों को नोटिस जारी करना शुरू कर दिया है, जो अंबाला आईएएफ स्टेशन के आसपास के क्षेत्रों में कबूतरों का प्रजनन कर रहे हैं और उन्हें अपने पक्षियों को एयरबेस क्षेत्र से 10 किलोमीटर दूर ले जाने के लिए कहा है। हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज, जो शहरी स्थानीय निकाय विभाग का ज़िम्मा भी सँभाल रहे हैं; ने कहा कि उन्होंने सम्बन्धित विभाग से कहा है कि वह इस मसले को गम्भीरता से लें और तेज़ी से कार्य करें; क्योंकि यह राष्ट्रीय महत्त्व का मामला है।

उन्होंने कहा कि चूँकि अंबाला में अभी तक अपना ठोस कचरा प्रबन्धन संयंत्र नहीं है, इसलिए मैंने विभाग को इसके लिए तत्काल निविदाएँ जारी करने का निर्देश दिया है। इसके अलावा शहरी निकाय विभाग को कबूतरों के प्रजनन को प्रभावी ढंग से जाँचने के लिए सख्त निर्देश जारी किये गये हैं और अधिकारियों ने कुछ लोगों को नोटिस भी भेजे हैं। साथ ही ज़िला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि अंबाला छावनी में पडऩे वाले एयरबेस के आसपास के क्षेत्र में कबूतर प्रजनन के व्यवसाय में शामिल छ: परिवारों को शिफ्ट करने का भी निर्णय किया गया है। यह भी पता चला है कि अभी भी अंबाला छावनी के साथ-साथ अंबाला शहर में बड़ी संख्या में लोग हैं, जो कबूतर प्रजनन के व्यवसाय से जुड़े हैं। इसके अलावा फाइट फ्लाइंग और प्राइवेट ड्रोन उड़ान पर प्रतिबन्ध को एयरबेस क्षेत्र से तीन किलोमीटर से बढ़ाकर चार किलोमीटर करने का भी फैसला किया गया था।

बता दें कि यद्यपि अंबाला का अपना एसडब्ल्यूएम प्लांट एयरबेस से लगभग 10 किलोमीटर दूर पाटवी गाँव में स्थापित किया गया था, यह पिछले कई साल से उपयोग में नहीं था।

पक्षी टकराने की घटनाएँ

कुछ रिपोर्टों के अनुसार, फाइटर जेट की 10 फीसदी दुर्घटनाएँ सिर्फ पक्षी टकराने (बर्ड हिट) से ही होती हैं। भारतीय वायुसेना पक्षी-रोधक राडार और जनशक्ति की कमी के अलावा बहुत ही महत्त्वपूर्ण हवाई ठिकानों के आसपास कचरा जमा होने को समस्या का मुख्य कारण मानती है। अंबाला में भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान को गम्भीर नुकसान पहुँचाने वाले पक्षी टकराने के उदाहरण दुर्लभ भी नहीं हैं।

उदहारण : जून, 2019 में आईएएफ के जगुआर फाइटर जेट को अंबाला एयरबेस से रुटीन उड़ान भरते समय पक्षी की चपेट में आने के बाद अपना पेलोड गिराना पड़ा था। एयरफील्ड और शहर के बलदेव नगर के आवासीय इलाके के पास ऑफ-लोडेड फ्यूल टैंक और प्रैक्टिस बम, हालाँकि काफी होते हुए भी; से किसी नुकसान की सूचना नहीं मिली थी। अप्रैल, 2019 की शुरुआत में भी जगुआर फाइटर जेट पायलट को अंबाला ज़िले के रोलन गाँव में खाली खेतों में तब दो ईंधन-ड्रॉप टैंकों को नीचे गिराना पड़ा था, जब विमान के एक इंजन को कुछ पक्षियों से टकराने के बाद नुकसान हुआ था। ईंधन टैंक या अन्य भार को तुरन्त हटाने का कदम जेट के वज़न को कम करने के लिए किया जाता है, ताकि आपातकालीन लैंडिंग के लिए इसे सक्षम किया जा सके।

इसी तरह अन्य हवाई ठिकानों पर भी पक्षी टकराने (बर्ड हिट) के मामले नये नहीं हैं। हाल में पड़ोसी राज्य राजस्थान के जोधपुर में भी सुखोई एसयू-30 एमकेआई को पक्षी टकराने से बड़ा नुकसान हुआ था। यह पता चला है कि अकेले जोधपुर में पिछले पाँच साल में 50 से अधिक पक्षी टकराने से जुड़े मामले दर्ज किये गये हैं। ग्वालियर एयरबेस, असम में तेजपुर एयरबेस और पश्चिम बंगाल में हासिमारा एयरबेस में भी लड़ाकू विमानों को कथित तौर पर पक्षी टकराने से नुकसान होने की रिपोट्र्स मिली हैं। आईएएफ पक्षियों को डराने के लिए बंदूकों और पटाखों का उपयोग करता है। हालाँकि यह एक असफल-सुरक्षित तरीका नहीं हो सकता है। भारत सरकार के पास वायुसेना और नौसेना के लिए बर्ड-डिटेक्शन राडार खरीदने की भी योजना है।

अंबाला एयरबेस का महत्त्व

अंबाला भारतीय वायुसेना के अग्रिम पंक्ति के ठिकानों में से एक है, जिसने कारगिल संघर्ष के दौरान सक्रिय भूमिका निभायी थी। लड़ाकू विमान मिराज 2000 को यहाँ तैनात किया गया था। एयरबेस में अन्य लड़ाकू विमान भी हैं, जैसे कि जगुआर स्ट्राइक एयरक्राफ्ट और आवश्यकता के अनुसार, अलग-अलग समय पर मिग-21 बाइसन्स। देश में छ: वायु कमांडों में से अंबाला एयरबेस पश्चिमी वायु कमान में आता है और चीन और पाकिस्तान से सीमाओं पर खतरों से निपटने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण हवाई अड्डों में से एक है।

इस एयरबेस की रणनीतिक लोकेशन के कारण ही बहु-भूमिका वाले रफाल लड़ाकू विमान अंबाला में रखे गये हैं। यह जगह भारत-पाकिस्तान सीमा के सबसे पास है और आपात स्थिति में तत्काल उड़ान भरने और पाकिस्तान के भीतर गहरे लक्ष्यों पर हमला करने के लिए निकटतम दूरी पर है। यही नहीं, अंबाला स्थित वायु सेना हवाई अड्डा चीन के साथ उत्तरी सीमाओं पर किये जाने वाले किसी भी हवाई हमले के लिए भी एक आदर्श प्रारम्भिक केंद्र भी है।

रक्षा बेड़े में शामिल हुआ राफेल

बता दें कि 10 सितंबर को राफेल विमान आधिकारिक रूप से वायुसेना के बेड़े में शामिल हो गया है। इस दौरान अंबाला एयरबेस में आयोजित कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली भी शामिल हुईं।