योगी राज में महँगाई की मार

उत्तर प्रदेश में एक महीने पहले जीएसटी को लेकर हुई छापेमारी से व्यापारियों में हडक़ंप मचा था। अब महँगाई को लेकर जनता में हाहाकार मचा हुआ है। व्यापारियों तथा दुकानदारों ने जीएसटी के नाम पर कई उपयोगी वस्तुओं के भाव बढ़ा दिये हैं। दुकानदारों का कहना है कि ऊपर से ही महँगाई बढ़ गयी है। उपभोक्ता क्या करे उसे तो रोटी खानी ही पड़ेगी। महँगाई के चलते एक आम उपभोक्ता की थाली से धीरे-धीरे पौष्टिक आहार छिनते जा रहे हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, कुछ जनपदों में अभी भी जीएसटी टीमें अचानक छापेमारी करने पहुँच रही हैं। जनवरी के पहले सप्ताह में मकरंदापुर मधवापुर में अचानक जीएसटी टीमों की छापेमारी से खलबली मच गयी। दुकानदारों ने फटाफट दुकानों के शटर बन्द कर दिये। जीएसटी टीमें किसी भी प्रकार के व्यापारियों को नहीं छोड़ रही हैं, चाहे वो एमआरपी वाली वस्तुओं का विक्रेता हो, चाहे खुली वस्तुओं का विक्रेता हो। यहाँ तक कि लकड़ी तथा कोयला बेचने वालों को, टेंट की दुकान चलाने वालों को भी नहीं छोड़ा जा रहा है। इस डर से खोखे तथा खोमचे वाले भी सहमे रहते हैं।

बिजली पर रार

उत्तर प्रदेश में बिजली सप्लाई की दो व्यवस्थाएँ हैं। नगरीय व्यवस्था तथा ग्रामीण व्यवस्था। नगरों में बिजली कटौती कम होती है, मगर ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली कटौती बड़े पैमाने पर होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में सात से बाहर घंटे ही बिजली रहती है। इस समय में बिजली के बार बार लगते कट परेशान किये रहते हैं। उत्तर प्रदेश में बिजली महँगी भी बहुत है।

अब खलबली इस बात को लेकर मची है कि बिजली और अधिक महँगी होने जा रही है। उत्तर प्रदेश की बिजली कम्पनियों ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए बिजली दरों में औसतन 15.85 प्रतिशत की बढ़ोतरी का प्रस्ताव राज्य विद्युत नियामक आयोग के पास भेजा है। अगर इस प्रस्ताव को राज्य विद्युत नियामक आयोग मान लेता है तथा विधानसभा में भी इस प्रस्ताव पर मुहर लग जाती है, तो बिजली बिलों में 18 से 23 प्रतिशत तक बढ़ोतरी निश्चित है। इसमें उद्योगों की बिजली दरों में 16 प्रतिशत तथा कृषि उपयोग के लिए बिजली की दरों में 10 से 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो जाएगी।

इस बढ़ोतरी से बिजली कम्पनियों को इस वित्त वर्ष की तुलना में आगामी वित्त वर्ष में लगभग 9,140 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिलेगा। इस वित्त वर्ष में बिजली कम्पनियों को बिल के माध्यम से लगभग 65,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिलना चाहिए, जो कि सरकार द्वारा अनुमति ज्ञापित है।

इस आधार पर वित्त वर्ष 2022-23 में बिजली कम्पनियों को लगभग 74,140 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होगा। बिजली कम्पनियों ने अपने प्रस्ताव में वित्त वर्ष 2023-24 के कुल $खर्चों के लिए वार्षिक राजस्व की आवश्यकता 92,547 करोड़ रुपये बतायी है। प्रस्ताव में वार्षिक राजस्व की आवश्यकता के ब्योरे में एक वित्त वर्ष का नुक़सान 14.90 प्रतिशत दिखाया गया है,। इसका अर्थ यह है कि राजस्व में लगभग 9,140 करोड़ रुपये घाटा बिजली कम्पनियों ने राज्य विद्युत नियामक आयोग को बताया है।

जानकारी के अनुसार, बिजली कम्पनियों का उपभोक्ताओं पर लगभग 25,133 करोड़ रुपये शेष हैं। भौजीपुरा निवासी सत्यवीर का कहना है कि बिजली तो पहले से ही बहुत महँगी है। अब अगर बिजली और महँगी की जाएगी, तो महँगाई के इस दौर में आम जनता पिस जाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आम जनता का दर्द समझना चाहिए। विदित हो प्रदेश में बिजली दरों में बढ़ोतरी वित्त वर्ष 2014-15 में हुई थी। इसके बाद वित्त वर्ष 2017-18 में फिर अन्तिम बार वित्त वर्ष 2019-20 में बिजली बिलों में बढ़ोतरी हुई थी। कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता,समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव तथा आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय सिंह बिजली दलों में बढ़ोतरी के प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं। विदित हो बीते चुनाव में भाजपा ने किसानों को सिंचाई के लिए मुफ़्त बिजली देने का वादा अपने घोषणा पत्र में किया था, मगर अब वह तरह तरह से महँगाई बढ़ाकर किसानों की आर्थिक दशा बिगाडऩे पर तुली हुई है।