युद्ध का असर पेट्रोलियम जरूरत पर

रूस और यूक्रेन के बीच अगर युद्ध लंबा चलता है तो भारत पर क्या असर पड़ सकता है। इसको  लेकर भारत के विदेश मामलों के जानकार डॉ अमित रंजन का कहना है कि वैसे तो भारत का रूस और यूक्रेन इन दोनों ही देशोॆं से काफी सामान का आयात-निर्यात होता है किंतु इसमें फार्मास्युटिकल व यूरेनियम यह दो महत्वपूर्ण है। 
लेकिन भारत की असल चिंता तो पेट्रोलियम सप्लाई से जुड़ी हुई है। जिसमें कच्चे तेल का मामला भी जुड़ा हुआ है। डॉ अमित रंजन का कहना है कि प्राकृतिक गैस के अलावा रूस कच्चे तेल का भी बड़ा उत्पादक है। भारत देश के लिये यह मुश्किल की बात है कि वह अपनी पेट्रोलियम जरूरत के लिये  80 प्रतिशत तक आयात करता है। और इसका बड़ा हिस्सा रूस से आता है।
ऐसी स्थिति में भारत पर क्या असर पड़ेगा पेट्रोलियम विभाग से जुड़े एक अधिकारी डॉ हरमीत सिंह ने बताया कि देश-दुनिया में कही भी युद्ध हो तो सारी दुनिया पर असर पड़ता है। क्योंकि मौजूदा समय में यूक्रेन और रूस के बीच जो युद्ध चल रहा है। इसको लेकर ये अनिश्चिता बनी हुई है कि कब तक युद्द चलेंगा और किस हद तक चलेगा। ऐसे हालात पर सरकार पैनी नजर रखे हुये है।
वहीं भारत पेट्रोलियम से जुड़े पूर्व अधिकारी जीत कुमार का कहना है कि जब दोनों देशों के बीच आर-पार की नौबत आ जाएगी तब पेट्रोल-डीजल के साथ घरेलू गैस का संकट गहरा सकता है। ऐसे हालात में इन पदार्थो का महंगा होना कोई मायने नहीं रखता है। मायने रखता है कि आपूर्ति में कोई बाधा न आये। बचाब के तौर पर हमें अभी से डीजल-पेट्रोल की खपत कम से कम करनी चाहिये। ताकि कोई काम बाधित न हो सकें।