यह तीन टायर नहीं त्रिदेव की सरकार है – सत्यवान सोनावणे, जनरल सेक्रेटरी मुंबई प्रदेश एनसीपी

महाविकास आघाडी सरकार को  3 टायर वाली सरकार कहा जा रहा है और दावा किया जा रहा है कि  ज्यादा नहीं चल पाएगी…

मेरा तो यह मानना है कि यह तीन टायर नहीं बल्कि तीन देव की सरकार है यानी त्रिदेव की सरकार है। एक खास तौर पर किसानों की समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करेगी ।दूसरी रोजगार निर्माण, बेरोजगारी और युवाओं की समस्या पर विशेष फोकस करेगी और तीसरे का काम होगा राज्य में कानून व्यवस्था की ओवरहीलींग करना। जिससे आम आदमी, चाहे वह किसान हो या व्यापारी या फिर कर्मचारी निडर और बेफिक्र होकर अपनी जिंदगी गुजारे।

तीन पार्टियों की मिलीजुली सरकार बनी है मुद्दों को लेकर मनमुटाव से इंकार तो नहीं किया जा सकता…
मनमुटाव आपस में क्यों होगा? जब हमने निश्चय कर ही लिया कि महाराष्ट्र के विकास पर ही फोकस करेंगे तो मनमुटाव का सवाल ही नहीं होता है। कॉमन मिनिमम प्रोग्राम ऐसे ही नहीं तैयार हुआ है। हर पहलू पर गहराई से मंथन किया गया। मतभेद का सवाल ही नहीं उठता। अब विकास की बात होगी, बेरोजगारी हटाने पर जोर देंगे। नौजवान जो देश का भविष्य है उसे रोजगार देंगे। आपको याद होगा कांग्रेस एसीपी के दौर बेरोजगारी भत्ता दिया जाता था फिर से शुरू किया जाएगा । रोजगार में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी। किसानों का कर्ज माफ होगा। बीज,खाद और औजारों पर दी जाने वाली सब्सिडी  शुरू होगी। सूखे, अतिवृष्टि और बेमौसम बारिश ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है। सबसे ज्यादा तकलीफ धरती के उस भगवान को है जो खुद भूखा  रहकर हमारा पेट भरने के लिए खेतों में पसीना बहाता है। नुकसान के एवज में  उन्हें सबसे ज्यादा मुआवजा देना महा विकास आघाडी की प्राथमिकता है। इसके अलावा कई प्रकार के रोग हैंं जिससे फसलें नष्ट हो जाती हैं मवेशी मर जाते हैं यह भरपाई भी जरूरी है। उस पर भी विशेष पॉलिसी बनाई जाएगी।

आपने राज्य में कानून व्यवस्था के ओवरहालिंग की बात की क्या कानून व्यवस्था ठीक ठाक नहीं है?

यह मैं नहीं कह रहा, यह रिपोर्ट बताती है जिसे सरकारी महकमा तैयार करता है…एनसीबी।

आज की तारीख में स्थिति विकट है। महिलाओं पर अत्याचार की घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है। साथ ही मासूम बच्चियों के यौन शोषण का ग्राफ भी बढा है। केंद्र सरकार बार-बार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की घोषणा करतीहै। लेकिन सच्चाई इसके बिलकुल विपरीत है। कागजी घोषणाओं से बदलाव नहीं आता। हमारी सरकार इस मामले पर  सीरियस एक्शन लेगी।

पिछले सालों में सामाजिक ताने-बाने पर भी बुरा असर पड़ा है। वर्ण -भेद, जात -पांंत और धर्म से जुड़े मामलों के चलते वैमनस्य बढ़ा है। देश की गंगा जमुना तहजीब को तोड़ने की कोशिश की जा रही है। सामाजिक सद्भावना का विकास हो यह हमारी एक और प्राथमिकता है। सबसे बड़ी बात पुलिस महकमे की है।ये वो लोग हैंं जो 24 घंटे हमारी सुरक्षा के लिए जागते रहते हैं लेकिन उनकी सुरक्षा और सुविधाओं पर ध्यान नहीं दिया जाता है । ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों को खाने-पीने की सुविधाओं के साथ साथ उनके आवासीय व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। कोशिश होगी कि वे भी अपनी पारिवारिक जिंदगी को एंजॉय कर सकें।

क्या यह सच नहीं है कि आरे प्रोजेक्ट को रोककर मुंबई के विकास को रोकने की कोशिश की जा रही है?

मुंबई शहर की सबसे बड़ी समस्या है प्रदूषण ..
जो लगातार बढ़ती ही जा रही है। गाड़ियां ,फैक्ट्री, नवीन कंस्ट्रक्शन,मैट्रो आदि के प्रदूषण को रोकने का काम आरे की हरियाली कर रही थी। आप कह सकते हैं आरे मुंबई का फेफड़ा ,लंग है।

विकास के नाम पर हजारों पेड़ों को कत्ल कर दिया गया। वहां पर हजारों एकड़ बंजर जमीन थी कार शेड बन सकता था। लेकिन निजी फायदे के लिए मेट्रो के नाम पर, विकास के नाम पर हरियाली का खात्मा किया जाना मुंबईकरों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करना ही है। अगर ऐसा होता रहा तो वह दिन दूर नहीं  जब शहर को श्वसन संबंधी बीमारियों से जूझना पड़ेगा।

इसका मतलब विकास कार्यों को रोक दिया जाए?

बिल्कुल नहीं। विकास अपनी जगह है और नागरिकों का स्वास्थ्य अपनी जगह। लेकिन स्वास्थ्य को हर हाल में प्राथमिकता दी जानी चाहिए। आप कानून बनाइए कि हर कंस्ट्रक्शन साइट पर , चाहे रोड – हाईवे हो, बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन हो या बुलेट ,मेट्रो ट्रेन या फिर एरोड्रम प्रोजेक्ट। मुफीद तौर पर हर 10- 15 फ़ीट पर एक पेड़ लगाना अनिवार्य कर दिया जाए। और जब तक पौधे पूरी तरह से विकसित ना हो तब तक उनकी जिम्मेदारी उस कंस्ट्रक्शन साइट के ठेकेदार पर या उस सरकारी या गैर सरकारी संस्थाओं पर हो। ऐसा न करने पर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। विकास होगा पर्यावरण पर भी ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। अब देखिए विकास के नाम पर खाडियों को पाटा जा रहा है। मैनग्रोव्स खत्म किया जा रहा है जो मुंबई के लिए फिल्टर का काम करता है। अगर यही खत्म हो जाएंगे मुंबई को खत्म होने मे वक्त कितना लगेगा ? शहर की सुरक्षा और शहरवासियों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी, शहर ही नहीं पूरे राज्य को खुशहाल रखने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है और महा विकास आघाडी को अपने फर्ज का बखूबी ख्याल है।

सरकार कितने दिन चलेगी?

यह सरकार अपना यह कार्यकाल पूरा करेगी और कई कार्यकाल पूरा करती रहेगी।