मौत की राजनीति

पहले उत्तर प्रदेश में इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम से पीडि़त 63 बच्चों की तब मौत हो गयी, जब वहाँ पेमेंट न मिलने के कारण सप्लायर ने ऑक्सीजन की आपूर्ति रोक दी थी। फिर यह 2019 में बिहार में हुआ, जहाँ एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम से 150 से अधिक बच्चों की मौत हुई। अभी राजस्थान के कोटा और जोधपुर में कथित चिकित्सीय लापरवाही के कारण 250 से ज़्यादा बच्चों की मौत के शोक से हम उबर भी नहीं सके थे कि गुजरात के राजकोट में सरकारी अस्पताल में भी केवल दिसंबर माह में सैकड़ों बच्चों की मौत की खबर आ गयी। राज्यों में ऐसी घटनाओं ने हमें शर्मसार किया है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने राजस्थान सरकार को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। एनसीपीसीआर की चेयरपर्सन, प्रियंक कानूनगो ने टिप्पणी की कि ‘सूअर अस्पताल के परिसर के भीतर घूमते पाये गये, जबकि बीमार बच्चे मौसम की दया पर निर्भर थे।’ ऐसे आरोप हैं कि कोटा के अस्पताल में 19 में से 13 वेंटिलेटर सहित महत्त्वपूर्ण चिकित्सा उपकरण काम नहीं कर रहे थे। यही नहीं अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञों और नर्सों की कमी थी। वहीं गुजरात में डॉक्टर अपना पल्ला झाडऩे की कोशिश कर रहे हैं और भाजपा नेता खामोश हैं।

दुर्भाग्य से राजनीतिक आरोपबाज़ी का खेल शुरू हो गया है; लेकिन हमेशा की तरह समस्या समाधान पर किसी का कोई ध्यान नहीं है। राजस्थान मामले में भाजपा संसदीय प्रतिनिधिमंडल के तीन सदस्यीय दल ने प्रशासनिक लापरवाही, चरमराते बुनियादी ढाँचे, गंदगी के माहौल और चिकित्सा क्षेत्र में उदासीनता को इसके लिए ज़िम्मेदार बताया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट करके कांग्रेस अध्यक्ष पर असंवेदनशीलता का आरोप लगाया। आदित्यनाथ ने लिखा- ‘कोटा के अस्पताल में 100 बच्चों की मौत बहुत दु:खद है। यह दु:खद है कि कांग्रेस प्रमुख सोनिया गाँधी और महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा, महिला होने के बावजूद समझ नहीं पायीं।’ यहाँ यह भी कहना ज़रूरी है कि योगी खुद को दोषी क्यों नहीं मानते? राजस्थान मामले में ही बसपा प्रमुख और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी ट्वीट् करके लिखा- ‘यह बहुत दु:ख की बात है कि कांग्रेस महासचिव कोटा के अस्पताल में 100 बच्चों की मौतों पर चुप्पी साधे हैं। उत्तर प्रदेश की तरह यह भी अच्छा होता कि वह उन बच्चों की माताओं से भी मिलतीं, जिनकी मृत्यु राजस्थान के अस्पताल में कांग्रेस सरकार की उदासीनता के कारण हुई है। अगर कांग्रेस महासचिव त्रासदी से प्रभावित कोटा के परिवारों से नहीं मिलती हैं, तो उत्तर प्रदेश में पीडि़तों के प्रति सहानुभूति राजनीतिक अवसरवाद ही माना जाएगा, जिससे उत्तर प्रदेश की जनता को सतर्क रहने की सलाह दी जाती है।’

राजस्थान का मामला ठंडा भी नहीं हुआ कि बच्चों की मौत मामले में भाजपा भी बुरी तरह फँस गयी। गुजरात में भाजपा सरकार और बाकी भाजपा नेता गुजरात मामले पर चुप्पी साध गये हैं। वहीं राजस्थान मामले में कांग्रेस ने तथ्यों को स्वीकार करने के बजाय अस्पताल में मामलों के लिए पूर्ववर्ती भाजपा सरकार को दोषी ठहराया। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट की एक शृंखला में विपक्ष की आलोचना का जवाब देते हुए आश्वासन दिया कि उनकी सरकार जे.के.लोन मातृ एवं शिशु चिकित्सालय में बीमार शिशुओं की मौत के प्रति संवेदनशील है। समय आ गया है कि इस तरह की गम्भीर त्रासदी पर राजनीति खेलने की जगह उससे निपटने के लिए सुधारात्मक उपाय किये जाएँ।